स्वचिन्तन व मनन से हृदय की गहराईयों से उत्पन्न शब्दों को कविता व लेख से "My Heart" के माध्यम से सत्य, सार्थक, चेतनाप्रद, शिक्षाप्रद विचारों को सहृदय आपके के समक्ष प्रस्तुत करना हमारा ध्येय है। सहृदय आभार! धन्यवाद।
Sunday, 30 August 2020
ग़ज़ल (शराब व शबाब)
Saturday, 29 August 2020
पति पत्नी का प्यारा रिश्ता...
पति पत्नी का प्यारा रिश्ता...
Friday, 28 August 2020
हे वागेश्वरी शारदे माँ...
हे वागेश्वरी शारदे माँ...
वर दे! वर दे! शारदे माँ...
वीणावादिनि वर दे माँ!
माँ अम्बे परमेश्वरी माँ।
Thursday, 27 August 2020
राधे राधे श्री भगवान....
राधे राधे श्री भगवान
Wednesday, 26 August 2020
कटुता की न सोचो...
Tuesday, 25 August 2020
डोर टूटे बंधन की...
Monday, 24 August 2020
मुस्कुराते रहना....
मुस्कुराते रहना....
मुस्कुराते हंसते रहना,
तभी भला तेरा होगा।
क्रोध से आवेश से तो,
सिर्फ बुरा अपना होगा।
मुस्कुराता हंसता चेहरा,
सुन्दर जब मगन होगा।
घर परिवार सुखी तेरा,
दुख नहीं जीवन होगा।
हंसी खुशी से रहने से,
सफल होगा काज तेरा।
मंजिलों की राहें फिर,
सरल सुखी सहज होगा।
झूठे वायदे झूठी कसमें
इनसे दूर हुए न तुम,
बुझा बुझा दुखी जीवन,
दर्द भरा तेरा होगा।
मुस्कुराते हंसते रहना,
तभी भला तेरा होगा।
🍁🍁
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
Sunday, 23 August 2020
कर्म प्रेम से तु करता चल....
कर्म प्रेम से तु करता चल....
Thursday, 20 August 2020
चलो सरकार गिराए.....
Monday, 17 August 2020
रक्त संबंध में पड़ते दरार...
"लेख" कारण व निराकरण
Sunday, 16 August 2020
कुंवारा बाप...
Saturday, 15 August 2020
74 वां स्वतंत्रता दिवस बधाई..
है अपना अभिमान तिरंगा।।
प्रतिक साहस शौर्य वीरों का।
लहराता आकाश तिरंगा।।
तिरंगे के शान के खातिर।
वीर जवान कुर्बान देश का।।
लाडलों की कुर्बानी सहती।
माताओं को सलाम देश का।।
आजादी के अमर शहीदों।
आज नमन सलाम देश का।।
शान तिरंगा जान तिरंगा।
है अपना अभिमान तिरंगा।।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई।
है सबका अभिमान तिरंगा।।
सौगंध हमें तेरी मिट्टी का।
माँ शान में जान न्योछावर है।।
मान तिरंगा सम्मान तिरंगा।
हिन्दूस्तान की शान तिरंगा।।
जय जय हिन्द! वंदेमातरम।
नमन वंदन तुम्हे मातरम।।
Friday, 14 August 2020
माया का जाल......
माया का जाल......
Thursday, 13 August 2020
ग़ज़ल
Wednesday, 12 August 2020
दीपक तले अंधेरा होता...
दीपक तले अंधेरा होता...
Tuesday, 11 August 2020
पति पत्नी और रिश्ते...
पंक्ति का भाव:-
Monday, 10 August 2020
चित मानव का..
चित मानव का..
पंक्ति का भाव:-
कुछ उठते प्रश्न....
Sunday, 9 August 2020
परिंदे की स्वछंद उड़ान...
♨♨
देख परिंदा कैसे उड़ता,
बिन बंदिस के आकाश में।
मानव बस फंसा हुआ है,
खूद अपने कारावास में।
अपनी सांसों में दम घूटता,
बेबस लाचार जहान में।
हालत उसकी ऐसी हो गई,
ईर्ष्या स्वछंद उड़ान से।
प्रकृति प्रेम में जीता परिंदा,
सुखी तभी संसार में।
लोभ लालच में रचा बसा,
कुंठित मानवता जहान में।
इंसा अपने सुख के खातिर,
औरों को दुख दर्द दे जाय।
ऐसा सुख लेकर के क्या,
बेबस जिन्दगी हो जाय।
देख परिंदा कैसे उड़ रहा,
बिन बंदिस के आकाश में।
मानव ही बस फंसा हुआ है,
खूद अपने कारावास में।
♨♨
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
कविता का भाव:-
☛आज इस कोरोना वैश्विक महामारी काल में सम्पूर्ण मानवता डर भय व संकट में बेबस व लाचार जीवन जी रहा है। सम्पूर्ण मानवता के जीवन की स्वतंत्रता उसकी आजादी तार तार हो गई है। लोग अपने ख़ास से भी सिर्फ ऊपरी मन से अपने स्वार्थ के कारण मिल रहें हैं परन्तु सच्चाई यह है कि अन्तर्मन भयवश रोकता है।
☛आज जीव जगत में वैसे हलकान व परेशान तो सभी हैं परन्तु उनमें से सबसे ज्यादा हलकान व परेशान मानव समाज ही है। जिसके पिछे कारण यह समझता हूँ कि मानव ने ही सबसे ज्यादा प्रकृति का दोहन किया है। अपने सुख के लिए अपने ऐशो आराम के लिए किसी को भी दुख दर्द दे देता है तनिक भी अच्छे बुरे व सही गलत पर ध्यान नहीं और न ही मानवता व सभ्यता पर इसका क्या प्रभाव होगा विचार करता।
☛जीतने भी जगत जीव जन्तु हैं उनमें से अधिकाशंतः वो जो मानव पर आश्रित व आधारित नहीं हैं, वो मात्र प्रकृति स्नेह व प्रेम पर निर्भर हैं उनके ऊपर इस महामारी का तनिक भी असर नहीं है वो प्रकृति से जुड़े हैं और प्रकृति पर ही निर्भर है वो स्वच्छंद व आनन्दित होकर उड़ान भर रहे हैं। उनके अंदर लोभ लालच की कोई लालसा नहीं है आज वो स्वतंत्र व आजाद हैं।
☛इंसान अपने सुख के लिए अपने ऐशो आराम के लिए अपने प्रकृत व समाज में इतना अनर्गल कृत्य कर डाला है कि समाज में स्वच्छंद जीवन जीना मुश्किल हो गया है हर पल डर डर कर भय में जीवन जी रहा है। जीवन की अनमोल कड़ी हवा को भी स्वच्छंद होकर ग्रहण नहीं कर पा रहा है।
♨♨
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
Saturday, 8 August 2020
मैं राहों का फूल...
Friday, 7 August 2020
दिल चाहे औरों से ज्यादा।
पंक्ति का भाव :-
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
Thursday, 6 August 2020
वीर हनुमान लंका में...
रामदूत हैं अतुलित बलधामा।
अंजनी पुत्र पवन सुत नामा।
राम जपन करते बलवीरा,
सुमिरन करें सदा रघुवीरा।
पवन वेग उड़ लंका को जाई,
मार घूसा लंकिनी लुढ़काई।
माता सिया की खोज लगाई,
प्रभू मुंदरी देह माँ पुत्र बताई।
माँ की कृपा लेई भूख मिटावा,
उपार चोथ वाटिका उजाड़ा।
अक्षय को परलोक सिधारा,
अभिमानी की लंका जारा।
रामदूत जहं जोर दिखावा,
सियाराम के काज सवारा।
भक्त विभिषण गले लगावा,
प्रभू दर्शन संदेश देई आवा।
रावण भी जोउ भय से हाँफे,
भूत पिशाच जो थर थर काँपे।
माँ निशानी लेई वापस आना,
प्रभू चरणों में शीश नवाना।
कुशल क्षेम माँ का बतलाया,
संकट मोचक नाम कहलाया।
बाँधे सेतू प्रभू सेना पहुँचाया,
युद्ध विकराल भई जहं लंका।
लक्ष्मण मूर्क्षित भए बलवंता,
सुषेन वैध घर समेत लेई आवा।
गिरी उखाड़ संजीवनी लाया,
लक्ष्मिन जी के प्राण बचाया।
नागपाश से मुक्ति दिलावाया,
गरूणराज साथ लेई आवा।
लंका फ़तह सारथी बलवाना,
प्रभू सेवक हैं भक्त हनुमाना।
शीश नवाते तेरे चरणों में,
कष्ट निवारो हे राम हनुमंता।
♨♨
Wednesday, 5 August 2020
दुनिया है साहब...
Tuesday, 4 August 2020
कवि की सर्वभौमिकता..
Monday, 3 August 2020
गज़ल
जी में आया छोड़ दूँ ताल्लुक,
Sunday, 2 August 2020
चींटे का क्रोध...
इंसान के क्रोध की कहानी तो आप सभी ने बहुत सुनी है पर आज हम अपने साथ घटित हकीकत कहानी सुनाता हूँ जिसमें एक चीटा है और हमारा शरारती दिमाग।
☛बात आज से लगभग 35 वर्ष पुरानी सच्ची घटना है जो आज साझा कर रहा हूँ। सुबह 8:00 बजे का समय था जनवरी का सर्द मौसम था। सुबह का समय और जनवरी का सर्द महीना बताने का कारण यह है कि आम तौर पर गर्मी में इंसान तो इंसान जानवर भी क्रोध व आवेश में रहते हैं। परन्तु सर्द मौसम में क्रोध व आवेश कम होता है फिर भी एक नन्हा सा चींटा किस प्रकार आक्रोशित होता चलिए सुनाते हैं :-
☛हम चारपाई पर लेटे लेटे धूप सेंक रहे थे कि एक चींटा चारपाई के बगल से जा रहा था। शरारती दिमाग ने उसके रास्ते को अवरूद्ध कर रोकने की सोची और एक दूब यानि तिनका उठाया और उसके मार्ग को अवरूद्ध करने लगा। पहली बार में चींटा अपना रास्ता बदल लिया, फिर उसके मार्ग को रोकने लगा तो फिर वह अपना मार्ग बदल लिया, फिर मैंने वही किया और फिर मार्ग को रोकने लगा, इस बार उसने थोड़ा ठीठक गया थोड़ा रूका जैसे लगा कि वह कुछ सोच रहा हो, उस तिनके के चारों तरफ परिक्रमा किया, फिर उसने अपना मार्ग बदल कर दूसरी तरफ चल दिया।
☛चींटे की हरकत देख कर अवाक रह गया इस बार उसने बहुत तेजी से भागना शुरू कर दिया। उसे कुछ दूर जाने दिया फिर हमने उसके सामने तिनके को लगा दिया। इस बार उसने तनिक भी समय नहीं लिया न रूका तिनके को अपने मुंह के कैचीनुमा दाॅत से काट दिया। फिर क्या था चींटे ने कई बार लगातार तिनके को काटते चला गया।
☛यह घटना क्रम चींटे का आवेश व क्रोध और उससे प्राप्त उत्तम संदेश आज 35 साल के बाद भी मस्तिष्क पटल पर आज भी विराजमान है।
सबक :-
☛इस घटना क्रम से यह सबक प्राप्त हुआ कि इंसान छोटा हो या बड़ा हो, कमजोर या मजबूत हो, इंसान हो या पशु हो जीव जगत का कोई भी प्राणी हो हर किसी की सहनशीलता की एक सीमा है।☛इंसान को हमेशा अपने आचरण व व्यवहार को मर्यादित रखना चाहिए।
☛अपने बोली भाषा और कार्य का संतुलन बना कर रखना चाहिए।
☛अमर्यादित बोल व कार्य से अपने उपर सदैव संकट बना रहता है।
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✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
Saturday, 1 August 2020
जागो विद्वान साथियों जागो..
☛लिख सकते हो तो लिखो!☛पढ़ सकते हो तो पढ़ो!☛बोल सकते हो तो बोलो!☛समर्थन कर सकते हो तो करो!☛जो कर सकते हो करो ख़ामोश न बैठो।☛संकोच न करो निडर बनो!☛निडरता की शक्ति व महत्व को समझो।
ससुराल मायका बहू बेटी...
ससुराल मायका बहू बेटी... 🍁🍁 ससुराल मायका बहू बेटी! दोनों जहान आबाद करती। मायके से ट्यूशन गर लिया, दुखों का जाल बिछा लेती। जहां कभ...
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ग़ज़ल 🍁🍁 जिस बात पर विश्वास न हो। जोर देने से फिर क्या फायदा।। तोड़ कर दिल तुम बैठे हो। जोड़ने से मेरे क्या फायदा।। कायदा जीवन ...
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आओ मिलेकर गीत लिखें" 🍁🍁 विद्या-गीत प्रीत रीत मन मीत लिखें। आओ मिलकर गीत लिखें। खुशियाँ सबके जीवन में हो। दुखी...
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अमित शाह जी पर एक नजर :- ☆ वर्तमान में अमित शाह जी विशाल लोकतंत्र भारत के गृह मंत्री हैं। गाँधी नगर गुजरात के सांसद। गृह मंत्री का कार...