~~ग़ज़ल~~
(शराब व शबाब)
🍁🍁
लुढ़क गए ज़नाब बेअदबी से पीके,
अदब से तुम लेना थोड़ा धीरे धीरे।
शराब व शबाब हुस्न -ए-महताब,
बेअदबी से पेश न इनसे तुम आना।
अनाड़ी थे वो पी गए झट गटक के,
मज़ा को खराब बनाए गटक के।
अहिस्ता अहिस्ता समय लेके पीना,
मज़े में नज़ाकत से मज़ा लेते पीना।
बेअदबी से पेश न इनसे तुम आना।
अनाड़ी थे वो पी गए झट गटक के।
लुढ़क गए ज़नाब बेअदबी से पीके,
अदब से तुम लेना थोड़ा धीरे धीरे।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
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