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Friday, 4 June 2021

परिस्थिति जनित हत्या....

परिस्थिति जन्य हत्या....

🍁🍁 (लेख)

"आत्महत्या परिस्थिति जनित हत्या है"

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☛किसी को जान से मार कर समाप्त कर देना हत्या कहलाता है परन्तू कुछ मृत्यु ऐसी परिस्थिति जन्य होती है जो हत्या समझ में नहीं आता, जबकि उसे जघन्य हत्या की श्रेणी में होना चाहिए।

☛ऐसी हत्या का सृजन अमूमन निकट संबंधों के बीच में जहाँ इंसान का ज्यादा लगाव होता है जो आपसी परिवारिक कलह से या फिर परिवार के किसी दीगर व्यक्ति द्वारा झूठे व गलत आरोप किसी के मान, सम्मान, ईज्जत व मर्यादा के खिलाफ गढ़ दिये जाने से होता है। 

☛वैसे तो हर व्यक्ति स्वाभिमानी होता है चाहे वह शारीरिक व आर्थिक रूप से कमजोर हो या ताकतवर हो। मान, सम्मान, ईज्जत व मर्यादा इंसान का स्वभाविक गुण होता है जिसका हनन इंसान को उद्वेलित व विचलित करता है। 

☛जब किसी दीगर व्यक्ति द्वारा ऐसी बात या ऐसे कार्य उस व्यक्ति के मान, सम्मान, ईज्जत और मर्यादा के खिलाफ कहा व किया जाता है या फिर कोई ऐसी गहरी चोट जो उसके मान, सम्मान, मर्यादा व ईज्जत पर आघात करता है तब व्यक्ति अपने दुख वेदना को अपने बदनामी व ईज्जत के निलाम होने से बचाने का असहज प्रयास करने लगता है। अपनी दुख और वेदना को किसी से कहने से डरने लगता है परिणामस्वरूप वह व्यक्ति अंदर ही अंदर घुट घुट कर जीने के लिए विवश हो जाता है। मान, सम्मान, ईज्जत व मर्यादा का हनन व निलाम होने के डर की वजह से अपने दुख को किसी से साझा नहीं कर पाता है। फलस्वरूप अन्त:मन में उपजा घृणा व नफरत उग्र रूप धारण करने लग जाता तत्पश्चात वह व्यक्ति धीरे धीरे असहज व विक्षिप्त रहने लग जाता है। 

☛ऐसे व्यक्तियों का एकांतवास अत्यंत ही कष्टप्रद व दुखों से भरा होता है। घटित घृणित घटनाएं उसको बेचैन करती हैं उसके चैन व सुकून की धज्जियाँ उड़ा देती है। यदि समय रहते इसका निदान नहीं हो पाए तो ऐसे व्यक्ति का जीवन उसके लिए बोझ लगने लगता। जिसका परिणाम हमेशा दुखदायी ही होता है। 

☛परिणामत: ऐसा इंसान अपनी व्यस्तता की अवधि में तो अपने साथ उक्त घटित घटना को भूला रहता है पर जैसे ही वह एकांतवास में होता है रहता है जैसे- घर में रात में बिस्तर पर या फिर बाथरूम में या फिर अपने यात्रा के दरमयान में अकेला हो तब इस प्रकार की घटना तथा घटना कारित करने वाले के प्रति घृणा व नफरत उसको प्रतिषोध की ज्वाला में इस कदर धकेलता है कि वह व्यक्ति उस क्षण बिलकुल संज्ञा शून्य हो जाता है और उसे अपने स्थितियों का आभास नहीं होता है कि वह कहाँ है और क्या कर रहा है और क्या करने जा रहा है फिर अनहोनी होना सहज व स्वभाविक हो जाता है और ऐसा व्यक्ति घटना दुर्घटना का शिकार भी हो जाता है। 

☛अधिकांशतः यह देखा भी जाता है कि आते जाते सड़क पर कोई किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है या फिर बाथरूम में आत्यधिक घृणा क्रोध व नफरत में ब्रेन हैमरेज या हृदयघात हो जाता है और कभी कभी इंसान घृणा के वशीभूत होकर घृणित निक्रिष्टतम कार्य यानि आत्महत्या भी कारित कर लेता है। 

☛हमको आपको यह घटना स्वभाविक प्रतित होता है कभी कोई इस तरह की घटना की गंभीरता को जानने की कोशिश भी नहीं करता पर यदि विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे इसके पीछे जरूर उपरोक्त कोई परिस्थिति व कारण है। एक तरह से देखा जाय तो यह जघन्य हत्या की प्रकृति है। 

☛समाज में अगर इस तरह की मानसिकता है जो अपने चंद स्वार्थ में इस तरह का ठेस जाने अंजाने में दे रहा हैं ऐसे निक्रिष्ट दुरात्मा निर्बुद्धि इंसान का समाजिक बहिष्कार होना चाहिए। ऐसा व्यक्ति कानून की जद में तो नहीं आ पाता हैं परन्तु ईश्वर ऐसे निक्रिष्ट शख्स को कभी माफ नहीं करेगा।....

🍁🍁#हृदयवंदन 

✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

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