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Monday, 3 August 2020

गज़ल


♨♨
नसीब  वालों  को  मिलते  हैं  वो,
दिल  से  ज्यादा अजीज  हैं  जो।

हम  भी   तेरे   ही  अजीज  रहते,
तुम  नाराज  नसीब  से  न  होते।

खुदा   जाने   दर्द   दिए   हमको,
चोट से  बेदम  कर दिए  हमको।

बीमार  दिल से पहले  से  ही था,
कसूर  क्या  था हृदय घात दिए।

 जी  में  आया  छोड़  दूँ ताल्लुक,

कम्बख्त  दिल   ने  रोक  लिया।

दिल के हाथों बेबस लाचार हुआ,
जाने  है  दो  घड़ी का साथ यहाँ।

जिन्दगी का कोई  ठिकाना नहीं,
जी  रहे  हम  रंज  तमाम  लिए।

पागल  है  उम्मीद  पर   कायम,
सुध  लेंगे  कभी  मेरे  दिल  का।

नसीब  वालों  को  मिलते  हैं  वो,
दिल  से  ज्यादा अजीज  हैं  जो।
♨♨

✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)





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