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सब रिश्तों का एक ही मूल,
पति पत्नी से न होए भूल।
बुद्धि विवेक प्यार से राखें,
सकल काज सब होई सुखारे।
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जगत जीव सब आदर चाहे,
हर एक जीवन प्यारा प्यारे।
शब्द जुबाॅ पर मान से राखें,
खुशियों से घर द्वार संवारे।
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जीवन बस एक बार मिला है,
रिश्ते सब एक बार मिला है।
हर रिश्ते को जोड़े विधाता,
कौन होते हम तोड़े नाता।
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सोच समझ व प्यार से जी लें,
बुद्धि विवेक से नाता जोड़ें।
संग अपने जो सहेज संवारे,
जाने प्रभू कब मुँह फेरलें।
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पंक्ति का भाव:-
☛पति पत्नी का रिश्ता जगत का सबसे पवित्र व पावन रिश्ता होता है। बेहतरीन ताल्लुकात आचार विचार व व्यवहार गृहस्थ जीवन की सबसे सुदृढ़ कड़ी है। पति पत्नी का रिश्ता और भी शोभायमान व सम्मानित तब होता जब आपसी तालमेल, भरोसा, विश्वास सुन्दर व खुशगवार रहता। परिवार के सदस्यों व नातेदारों के प्रति एक दूसरे का बेहतरीन समन्वय होता।
☛पति और पत्नी के आपसी तालमेल से एक सुखी परिवार की संरचना होती है। एक दूसरे के कार्य विशेष पर आपसी सहमति व स्वीकृति का विशेष महत्व होता है। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह जरूरी नहीं पति और पत्नी के कार्य की सोच दूरदर्शी हो; परन्तु एक दूसरे के राय परामर्श से दूसरों के हित अनहित पर विचार विमर्श कर, समझ में न आने पर किसी दूसरे से जिसे आप योग्य व काबिल समझते हैं और उनसे उचित परामर्श व राय मशविरा से सही, उचित व योग्य फैसले पर जा सकते हैं।
☛इस प्रकार से उपरोक्त व उचित कार्य कर आप अपने बीच ही नहीं अपने के अपनों के बीच श्रेष्ठ व महान बन सकते हैं; परन्तु हमारे समाज में इस प्रकार की जीवन शैली व तौर तरीके का पूर्णतया अभाव हो गया है। अब ऐसी आदतें व ऐसी संस्कार देखने को नसीब नहीं होते।
☛पति पत्नी की जीवन शैली उनके तौर तरीके सुदृढ़, सशक्त व खुशगवार जीवन के स्तम्भ हैं। इसी से उनका सुखद घरौंदा है, उनकी सुखद जिन्दगी का छत यानि छाजन है। उनके जिन्दगी की छाजन समानान्तर रहे इसके लिए यह बहुत ही आवश्यक है कि दोनों का एक समान होना। जिन्दगी का छाजन संतुलित तभी रहेगा जब बतौर स्तंभ पति पत्नि का आचरण व व्यवहार में समानता हो। उसके लिए जरूरी है कि सही क्या है गलत क्या है? एक दूसरे को समय पर बताएं व समझाएं रहें।
☛पति और पत्नी के बीच कोई गलत कार्य व गलत व्यवहार कर रहा है तो उसे गलत व्यवहार व गलत आचरण करने से रोकें खामोश न रहें आपकी ख़ामोशी अपनों व औरों के साथ साथ खूद को भी जलील करवा देती है। खुशगवार माहौल के बीच कठोर दिवार खड़ी कर देती है। जिसे गिराना बड़ा मुश्किल होता।
☛अगर पति द्वारा कुछ गलत किया जा रहा हो तो पत्नी द्वारा बताया जाना या गलत करने से रोका जाना या यदि पत्नी द्वारा कुछ गलत हो रहा हो तो पति का दायित्व है कि वह उसे रोके तथा गलत होने के प्रभाव से अवगत कराए। जिससे जिन्दगी के छाजन का संतुलन बना रहेगा तथा उसके नीचे बसने वालों पर किसी प्रकार का संकट या भय नही होगा। जीवन सदा खुशगवार बना रहेगा।
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✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
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