कवि की सर्वभौमिकता..
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न पूछो कवि कहाँ कहाँ हैं!
जहाँ रवि नहीं वहाँ वहाँ है।
जन्म गाथा भी बतलाता
मृत्यु शैय्या पर लिख आता।
बचपन की किलकारियों में तो
वृद्धावस्था की पेचीदगी में,
लड़कपन बादशाहियत में तो
जवानी की रंगरेलियों में
न पूछो कवि कहाँ कहाँ हैं....2
न पूछो कवि कहाँ कहाँ हैं!
जहाँ रवि नहीं वहाँ वहाँ है।
रागिनियों के सौन्दर्य में तो
बागों की बहारों में
नदियों की कलकल धारा तो
पर्वत की श्रृखंलाओं में
कश्मीर की वादियों में तो
कन्याकुवांरी सागर तट पर
न पूछो कवि कहाँ कहाँ हैं....2
जहाँ रवि नहीं वहाँ वहाँ है।
मंदिर जाता मस्जिद में जाता
गुरूद्वारा गिर्जाघर हो आता
कंकड़ पत्थर सब पूज आता
ईश्वर एक अपने में पाता
श्रद्धा और विश्वास जगाता
नेकी का जग पाठ पढ़ाता।
न पूछो कवि कहाँ कहाँ हैं....2
जहाँ रवि नहीं वहाँ वहाँ है।
त्रेता में रामलला के हनुमान तो
द्वापर में कृष्णा के सुदामा में
कलयुग का वारा न्यारा
सतयुग का जीवन बतलाता
कालराज को सीख दे आता
धर्मराज को नीति बतलाता।
न पूछो कवि कहाँ कहाँ हैं....2
जहाँ रवि नहीं वहाँ वहाँ है।
माँ वागेश्वरी शिष्य परम है,
आशीष माँ का कवि वहाँ है।
♨♨
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
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