Pages

Thursday, 13 August 2020

ग़ज़ल


 ♨♨
कमी अपनी हो तो ज़माना भी बुरा लगता है।
जब कमी अपनी हर शख्स में नज़र आता है।।

हर  एक  शख्स  ज़माने  में  बुरा  नहीं  होता।
जाने  अंजाने  में उसको  तुमने शताया होगा।।

खूद के करतब का  मन ही तो  आईना होता।
पता चल जाता तुम्हें मन में झाँक लिया होता।।

एक तुमही हो जो हर बात पर ख़फा होते हो।
दूसरा  कोई  नहीं  हमसे  कभी  ख़फा  होता।।

गलत  खूद  करके  औरों  पर  दोष मढ़ते हो।
अच्छे भले इंसान से रूसवा  बेवजह होते हो।।

कमी अपनी हो तो ज़माना भी बुरा लगता है।
जब कमी अपनी हर शख्स में नज़र आता है।।

♨♨
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)




No comments:

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box.

ससुराल मायका बहू बेटी...

ससुराल मायका बहू बेटी... 🍁🍁   ससुराल मायका बहू बेटी! दोनों जहान आबाद करती। मायके से ट्यूशन गर लिया, दुखों का जाल बिछा लेती। जहां कभ...