तुझ पर क्या गीत लिखूँ.....
🍁🍁
मन में अनोखे शब्द नहीं
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
जीवन संगिनी मेरी तुम हो
ममता मेरे लाडलों की हो
प्रेरणा मेरे जीवन की तुम
खुशियाँ मेरे आंगन की हो
खुबियों की मूरत तुम हो
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
मन में अनोखे शब्द नहीं
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
सुख दुख तुम साथ चलती
तुझसा कोई मित प्रीत नहीं
वचनों की रीत निभा सकूँ
शायद यह सत्कर्म करलूँ
अच्छी किस्मत अपनी हो
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
मन में अनोखे शब्द नहीं
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
बस रब से इतनी आरजू
मंजिल तक संग साथ चलूँ
खुशियाँ आईं घर आंगन में
आयी जब अपने जीवन में
मेरी सासें धड़कन तुम हो
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
मन में अनोखे शब्द नहीं
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
🍁🌹🍁
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"
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मन में अनोखे शब्द नहीं
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
जीवन संगिनी मेरी तुम हो
ममता मेरे लाडलों की हो
प्रेरणा मेरे जीवन की तुम
खुशियाँ मेरे आंगन की हो
खुबियों की मूरत तुम हो
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
मन में अनोखे शब्द नहीं
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
सुख दुख तुम साथ चलती
तुझसा कोई मित प्रीत नहीं
वचनों की रीत निभा सकूँ
शायद यह सत्कर्म करलूँ
अच्छी किस्मत अपनी हो
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
मन में अनोखे शब्द नहीं
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
बस रब से इतनी आरजू
मंजिल तक संग साथ चलूँ
खुशियाँ आईं घर आंगन में
आयी जब अपने जीवन में
मेरी सासें धड़कन तुम हो
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
मन में अनोखे शब्द नहीं
तुझ पर क्या गीत लिखूँ
🍁🌹🍁
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"