ममता जागृत रहती....
🍁🍁
माँ की ममता जागृत रहती,
उसके अंश कहीं भी होती।
उठ उठ कर उसे निहारती,
नींद में सोया रहे तब भी।
ठंड लगती माँ व्याकुल होती,
लाडले को चादर ओढ़ाती।
हर क्षण फिकर में माँ होती,
दूर व पास जहाँ भी रहती।
अपने खुशियों के हर पल,
हंसी खुशी माँ त्याग करती।
भूला कर पीड़ा व दुख दर्द,
ममता पर असर नहीं फर्क।
सुख की कामना लिए माता,
महफूज बलाओं से रखती।
स्वस्थ रहे सुखी रहे आबाद,
दुआ यही माँ का आशीर्वाद।
मामता अगर दुखी होती,
किस्मत अभागे की उसकी।
हंसी खुशी माँ को रहने दो,
दुखी नहीं उसको होने दो।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"
उसके अंश कहीं भी होती।
उठ उठ कर उसे निहारती,
नींद में सोया रहे तब भी।
ठंड लगती माँ व्याकुल होती,
लाडले को चादर ओढ़ाती।
हर क्षण फिकर में माँ होती,
दूर व पास जहाँ भी रहती।
अपने खुशियों के हर पल,
हंसी खुशी माँ त्याग करती।
भूला कर पीड़ा व दुख दर्द,
ममता पर असर नहीं फर्क।
सुख की कामना लिए माता,
महफूज बलाओं से रखती।
स्वस्थ रहे सुखी रहे आबाद,
दुआ यही माँ का आशीर्वाद।
मामता अगर दुखी होती,
किस्मत अभागे की उसकी।
हंसी खुशी माँ को रहने दो,
दुखी नहीं उसको होने दो।
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✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"
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