ऐसे भी हालात.....
🍁🍁 मंजर ऐसी बदहाली का।
साथ नहीं कोई किसी का।।
जिन्दगी की सबको पड़ी है।
मौत जब सामने खड़ी है।।
लाश धरी कोई पास नहीं है।
रिश्ते नाते बेजान रही है।।
देख इंसा मजबूर मरा है।
मानव मानवता से डरा है।।
डर से बेबस दूर खड़ा हैं।
क्यों न रहे जीवन पड़ा हैं।।
फर्ज अदायगी दूर से करा है।
हालात बदल नहीं पा रहा है।।
डगमगा रही जीवन नैय्या।
किस किनारे लगे रे भैय्या।।
धीर धरें प्रभु शीश नवैय्या।
सबके जीवन राम खेवैय्या।।
🍁🍁
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"
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