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Thursday, 6 May 2021

जीवन की रीत....

जीवन की रीत.....
🍁🍁
जीवन  की यही रीत सदा,
मिलना बिछड़ना होता है।
                          सुख  के  साथ  दुख होता,
                          दुख  सोच  इंसान रोता है।
सदियाँ बिती युग बिता पर,
कार्य  नहीं कोई रूकता है।
                          देखो  चाँद  और सूरज को,
                          समय  पर  आना जाना है।
दिन  ढ़ल जाता रात होती,
एक   नया   सबेरा  होता।
                           मन शांत रखना उदास नहीं,
                           धैर्य   से    राह   बनता   है।
🍁🍁
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

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