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Friday, 7 May 2021

इंसान की होड़....

इंसान की होड़..!!
🍁🍁
बंदी का फैसला क्या आयी,
बाजार  में  भीड़  लग गयी।
रख  सके  राशन  जुटा कर,
सब   में   होड़   लग   गयी।
                   खौफ  मौत  सिर क्या हुयी,
                   जीने  की   होड़  मच  गयी।
                   जरूरी  जिन्दगी   के  लिए,
                   आक्सीजन  फिर लूट गयी।
धीर"  मन  अपना  सोचता,
अधीर  क्यों   इंसान  होता।
धैर्य खोता न रखता विश्वास,
आस्थावान  ऐसा  न करता।
                    🍁🍁
          ✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

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