अपना विपक्ष....
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विपदा में क्या जनता प्यारी,
तुम हो बस मत के पुजारी।
लोभ लालच सत्ता शासन का,
किये किसी को मदद दुआरी।
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येन केन सत्ता मिल जाये,
अपनी झोली बस भर जाये।
जनता की करते यदि मदद,
खुश होकर तुमको मत करते।
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जन मानस से किया न यारी,
सेवा भाव तुमको नहीं प्यारी।
सत्ता कैसे भी मिल जाये,
मन चित साजिश में तुम्हारी।
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✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"
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