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Sunday, 28 June 2020

माँ अकल्पनीय है!!

माँ अकल्पनीय है!!
🍁
तेरी  ही  रचना  हूँ  माते,
तुझ पे लिखूँ शब्द नहीं।
माँ जननी है जन्नत है
लक्ष्मी  है  सरस्वती है
शक्ति और अन्नपूर्णा है
माँ प्यार  है माँ दुलार हैं
ममता की पूर्ण संसार है
माँ जीवन की पतवार है
जीवन सुख की धार है
माँ प्यार की गागर है
सिन्धू है सागर है
आँचल में स्वर्ग है
माँ गुरू है ज्ञान है
मुश्किल में ढ़ाल है
दिपक है प्रकाश है
पूजा है आराधना है
कामना है  इबादत है
माँ ढ़ांढ़स है हिम्मत है
वंदनीय  है  पूजनीय है
अद्भूत  अकल्पनीय  है
ईश्वर  भी  नतमस्तक  है
माँ जैसी है आदरणीय है
माँ कोटि कोटि  प्रणाम है
🍁
है  दुर्भाग्य  ऐसे  पुत्र  का,
माँ बेबस अगर लाचार है।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"


Friday, 26 June 2020

फिक्र अपनों का कद्र करता चल।


फिक्र अपनों का कद्र करता चल।
♨♨
अपने हैं फिक्र में हर वक्त रहते हैं!
फिक्र अपनों का कद्र करता चल।

तड़प क्यों न हो स्नेह जो करते हैं!
उन्हें भरोसा हो आगाज़ देता चल।

जो प्रेम करते हैं वही चाह रखते हैं!
उनके चाहत को गले लगाता चल।

कामयाबी यहाँ संघर्ष से मिलती है!
न सोच न रूक  संघर्ष करता चल।

अपने हैं हैसियत बखूबी जानते हैं!
उनका आशीष लेकर चलता चल।

साथ रख दुशवारियाँ न ले उनका!
तुझे कामयाब देखेंगे  चलता चल।

अपने हैं फिक्र में हर वक्त रहते हैं!
फिक्र अपनों का कद्र करता चल।
♨♨
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)


Thursday, 25 June 2020

यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी.....


जन्म दिन की असीम शुभकामना  हार्दिक बधाई!! 🙏
🍁🍁
जनम दिन के पावन दिन राष्ट्र शिल्पी को नमन हमारा।
ईश्वर की कृपा तुझ पर हो  गौरवान्वित  है देश हमारा।।
तेरी महिमा सूझ बूझ का गुणगान करें कोई शब्द नहीं।
सूरज को दीप दिखाने जैसा  शान में तेरे शब्द हमारा।।

सन् चौदह में काशी आये धन्य काशी  गंगा पुत्र पाया।
बहुत आये  देश  में  सेवक  पर  तेरे जैसा नहीं आया।।
कायल  देश कायल जनता तुझे पाकर गौरवान्वित है।
जिसने सुंदर राष्ट्र बनाया  देश  ने सच्चा सेवक पाया।।

साहसिक सशक्त फैसलों से जग अचंभित कर डाला।
जिन मुद्दो पर जयचंदों ने वोट की रोटियां सेंक डाला।।
इतनी सरलता से खत्म होगा विश्वास नहीं  यह  होता।
डरे सहमे 370, मंदिर पर जबरन विवाद बना डाला।।

यही सोचना है सबको, हिन्दू मुस्लिम विवाद नहीं था।
मानवता का जो है पूजारी  विवादों से नाता नहीं था।।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई  सबको समान समझता।
जयचंदों की सोची समझी सब वोट की राजनीति था।।
🍁🍁
✒.......धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव"धीर"



Wednesday, 24 June 2020

माँ शारदे विनती मेरी स्वीकार ले....


माँ शारदे विनती मेरी स्वीकार ले...
🙏⚘🙏
माँ शारदे! माँ शारदे, विनती मेरी तु स्वीकार ले।
तेरे  शरण  में  हूँ मैं माता
कृपा से अपनी नवाज दे।
माँ कर  कृपा तु बस यही
लिखूँ  पढूँ  तु  संवार  दे।
माँ शारदे! माँ शारदे, विनती मेरी तु स्वीकार ले।

तेरी कृपा से सिद्धि होते
बुद्धि  ज्ञान  को  धार दे।
कामना यही है  माँ मेरी
जन जन ज्ञान धनवान हो।
मन में  ज्ञान  प्रकाश हो
आशीष  माता  चाहिए।
माँ शारदे! माँ शारदे, विनती मेरी तु स्वीकार ले।

बुद्धि  दे  माँ  ज्ञान  दे माँ
जग में हूँ  कुछ कर सकूँ।
बुद्धि ज्ञान विवेक अपना
सब  माता  तेरे  हवाले।
बालक हूँ तेरा माँ तु मेरी
जीवन  मेरा  तु संवार दे।
माँ शारदे!  माँ शारदे,  विनती मेरी तु स्वीकार ले।
⚘🙏⚘
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"



Tuesday, 23 June 2020

न्यायालय हो तो घर जैसा.....

न्यायालय हो तो घर जैसा.....
♨♨
न्यायालय हो तो मेरे घर व घरैतिन जैसा!
अपराधी तु वकील तु जज भी तुम्ही हो।

गलतियाँ करके फैसला खूद ले लेती हो!
दूरी बनाने का सजा खूद ही दे देती हो।

घर जैसा न्यायालय संसार में नहीं होता है!
जो निर्दोष है उसे गुनहगार बना देती हो।

सजा ऐसा दोषी को सुनाया भी न जाए!
मियाद कितना निर्दोष को बताया न जाए।

वाह रे न्यायपालिका जवाब नहीं है तेरा!
फैसला होता मगर अपील नहीं होती है।

न पूछो कसम से दोष में मजे भी जमके!
जीवन में इसका अलग ही तरंग होता है।

न्यायालय हो तो मेरे घर व घरैतीन जैसा!
मिनटों में निर्दोष को दोषी करार देती हो।

गुनहगार नहीं फिर भी बोल नहीं सकता!
जैसी भी हो बहुत प्यारी है न्यायपालिका।

वाह रे न्यायपालिका जवाब नहीं है तेरा!
फैसला होता मगर अपील नहीं होता है।
♨♨
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)




Sunday, 21 June 2020

बन जाना चाहे कलेक्टर.....

बन जाना चाह कलेक्टर.....
♨♨
चाहे बन जाना कलेक्टर, अपनों बीच छोटे रहना।
पद प्रतिष्ठा मिल जाए, अभिमान कभी न करना।।

युवा आज पढ़ लिख कर, काबिल बन तो रहा है।
पर अच्छा बिलकुल नहीं, अभिमानी बन रहा है।।

जिन्दगी  का  जब  अपने, भरोसा  नहीं  रहा  है।
क्यों रहते मगरूर इतने, गुरूर रावण नहीं रहा है।।

जहाँ जो जैसा रहता हो, व्यवहार वैसा ही करना।
वहाँ योग्यता का अपने, दिखावा कभी न करना।।

शालीनता  सबको  भाता,  मृदभाषी  बन  रहना।
हृदय में होगा तेरा स्थान, तीखे वचन न कहना।।

बुद्धिमता का प्रदर्शन, बिना जरूरत नहीं करना।
जिन्दगी में बढ़े सौम्यता, पहचान इसकी करना।।

सुखी जिन्दगी की नैय्या, व्यवहार ही है खेवईया।
जीवन डगमग जब होता, करेगी पार यही भईया।।

याद हमें बस यही रखना, मूल से जुड़ कर रहना।
रहेगा सुन्दर तन मन, जहान का सुन्दर बनना।।

चाहे बन जाना कलेक्टर, अपनों बीच छोटे रहना।
पद प्रतिष्ठा मिल जाए, अभिमान कभी न करना।।
♨♨
myheart1971.blogspot.com
✒...... धीरेन्द श्रीवास्तव "धीर"



Friday, 19 June 2020

गाली कऽ कई रूप है भईया।

गाली कऽ कई रूप है भईया
😃💖
गाली कऽ कई रूप है भईया
कहा तऽ तोहें सुनाई हो....

मनवा तोहसे जुड़ल रहेला
टोके से तु बाज न आवेला
बिना बुद्धि क बात करेला
एही से गदहवन पसंद आवेलन
दिमाग आपन खूब दौड़ावेला
नियमवो क ध्यान रखबा हो
बतावा अब तोहें के पढ़ाई।

गाली कऽ कई रूप है भईया
कहा तऽ तोहें सुनाई हो....

भीतरी गाली व बहरी गाली
डिपेण्ड करेला कईसन हौवऽ
हौवा मजबूत भीतरिए गरियाईब
कमजोरी पे बहरी जोर चिल्लाईब हो
ईज्जत हौव न बचल रहिया भईया
कौनों काम कौनों बात ऐसन न करिह
भीतरी बहरी गरिया के कोई जाई हो।

गाली कऽ कई रूप है भईया
कहा तऽ तोहें सुनाई हो....

लोकतंत्र हौव, चपले रहा कोपतंत्र
एम्मन तनिखों नाही मनाहीं हौव।
दिमाग देहलन भगवान हो भईया
ओकर लाज तऽ बचाईं हो
मानुष हौव भीतरे ईश्वर
ओन्हे जिन बहरियाईं हो
गरिमा ओनके बढ़ाईं हो....

गाली कऽ कई रूप है भईया
कहा तऽ तोहें सुनाई हो....

कुल खेला जबनिए क हौव
कोशिश करीं, माला तोहें पहनाईब हो।
♨♨
उपरोक्त पंक्तियों का भाव:-
☛उपरोक्त पंक्तियों को व्यंग्यात्मक तौर से रचित है। अज्ञानता और नफ़रत दोनों अगर किसी इंसान के अन्दर मौजूद है तो उसे देशी कहावत से बखूबी समझ जायेंगे "एक तऽ तित लौकी दूजे नीमी पर" अर्थात अज्ञानता तो विषाक्त तो है ही नफ़रत जूड़ जाए तो महा विनाशक हो जाएगा।
☛उपरोक्त अवगुण इंसान को हर तरह से संकूचित व विनाश करता है साथ ही समाज को भी क्षति पहूँचाता है। क्योंकि हर बात व कार्य में सकारात्मक व रचनात्मक दृष्टिकोण व रवैया अपनाने में अक्षम होते हैं।
☛ऐसे व्यक्ति समस्या उत्पन्न होने पर उसके निराकरण व प्रतिकूल स्थितियों में अपने को व्यवस्थित करने व उसमें ढ़लने पर तनिक भी नहीं सोचते। उनका संकल्प सिर्फ विरोध और उलाहना पर केन्द्रित हो जाता।
✒...... धीरेन्द्र  श्रीवास्तव (हृदय वंदन)




Thursday, 18 June 2020

नफ़रत का परिणाम...

  नफ़रत का परिणाम...
♨♨
नफ़रत से कुछ भी हासिल न होगा....
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।

नफ़रत का बीज जेहन में डाल कर देखना
रातों की नींद हराम न हो जाए तो कहना
पागल दिमाग न हो जाए तो  कहना
अपना पराया न हो जाए तो कहना
चेहरा कुरूप न हो जाए तो कहना
ब्लड संतुलन बिगड़ न जाय तो कहना।

नफ़रत से कुछ भी हासिल न होगा....
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।

नफ़रत से हासिल क्या होगा इसे भी समझो
गलत बोल अपने ही सपनों को चूर करेगी
नफ़रत तुम करोगे अपनों से दूर होगे
पालो न भरम अपने दिलों दिमाग में
नफ़रत में इंसान तबाही ही गढ़ता
रातों की नींद दिन का सुकून ही हरता।

नफ़रत से कुछ भी हासिल न होगा....
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।

रातों को करवट बदलने से तो अच्छा
झूठा ही सही पर गुड नाईट बोलना
नफ़रत स्वभाव में ज़हर घोल देती
छुएगी जभी असर बुरा ही करेगी
नफ़रत जहरीला धुँआ ही समझना
जबतक रहेगी परेशान करती रहेगी।

नफ़रत से कुछ भी हासिल न होगा....
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।

माना कि कमियाँ बताना भी जायज होता
पर जो सही है जायज है अच्छा करे है
उसका प्रोत्साहन व उत्साह बढ़ाओ
गलतियां को रोको सही को बढ़ाओ
सही का खिलाफ़त कर क्या पाओगे
नफ़रत को समझो और कारण पहचानों।

नफ़रत से कुछ भी हासिल न होगा....
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।
♨♨
कविता का भाव :-
☛नफ़रत बहुत ही विचित्र समस्या है जिसका प्रादुर्भाव इंसान के दिल व दिमाग से ही होता है। नफ़रत का अपना कोई  मानक नहीं होता यह इंसान के स्वयं के मनःस्थिति पर निर्भर करती है।
☛इसके जद में जो भी आता समझो स्वयं के पतन का मार्ग प्रशस्त कर लेता है क्योंकि नफ़रत की विशेषता ही ऐसी है जो बुराईयों पर आतुर व ललाईत रहती है। इंसान सदैव बुराईयों के बीच अपने को रखता और वैसा ही अपने आचार विचार व स्वभाव को बना लेता।
☛परिणामस्वरूप नफ़रत में इंसान अच्छाईयों से विमुख होता चला जाता तत्पश्चात जीवन में कुरूपता का होना स्वभाविक है।
♨♨
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)



Monday, 15 June 2020

सुशांत तुम क्यों शान्त हो गए.......

सुशांत तुम क्यों शान्त हुए....

(पिछले वर्ष की रचना)
🌹🌹
कलाकार  जीवन खूब होता,
दर्द  छुपाए खुशियां  बाटता।
ईज्जत शोहरत कद सम्मान,
चारचाँद  जीवन  में लगाता।
जीवन में दुखी सवाल दे गए, क्यों तुम ऐसे शान्त हो गए..?

तुम  सुशांत श्रेष्ठ अदाकार थे,
युवा  प्रेरणा  स्रोत आधार थे।
तेरी  छवि  हर एक अदा पर,
रहते फिदा युवा अपनाते थे।
जीवन में दुखी सवाल दे गए, क्यों तुम ऐसे शान्त हो गए..?

ऐसा क्या था खामोश हो गए,
इतने  कमजोर  कैसे हो गए।
विश्वास  बिलकुल नहीं होता,
स्नेह प्यार पर  पाप कर गए।
जीवन में दुखी सवाल दे गए, क्यों तुम ऐसे शान्त हो गए..?

मौत की आहट  से मन कांपे,
तुमने  सहज  ही गले लगाए।
कैसी वेदना मौत सरल लगा,
था दर्द कैसा कायर बन गए।
जीवन में दुखी सवाल दे गए, क्यों तुम ऐसे शान्त हो गए..?

किसी के बेटे  भाई किसी के,
चहेते सभी के प्यारे सभी के।
तुझे याद नहीं आई मोहब्बत,
तुमसे  जोड़ संजोए थे सपने।
जीवन में दुखी सवाल दे गए, क्यों तुम ऐसे शान्त हो गए..?

मालूम  है  अब  तुम  नहीं रहे,
कसक है विश्वास नहीं हो रहे।
अपनों  के  जज्बात  स्नेह को,
जीते जी तुम सबको मार गए।
जीवन में दुखी सवाल दे गए, क्यों तुम ऐसे शान्त हो गए..? 15/06/2020
🍁🍁
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

Sunday, 14 June 2020

चलो कुंवारे में घूम आयें.....

चलो कुंवारे में घूम आयें.....
💝💝
वो  भी  अपने  क्या  दिन थे,
जब   कुंवारे  हम  अपने  थे।
सुखहारा आज गम का मारा,
कैसे   खुश   रहता   बेचारा।
बैठे   बैठे    मन   में   आया,
सुखद अतीत में घूम आया।
अपने  कुंवारे से मिल आया,
हर्षित  मन  गम दूर भगाया।
           कुंवारे    वाले   दिन  अपने,
           ख्वाब  में भी नजर न आते।
           डका  पचासा  हैरान तब से,
           बच्चे  अपने जवान  जब से।
           कुंवारे  में  गया  न  कब  से,
           चलो  कुंवारे  में  घूम  आयें।
           कहते हैं मन बूढ़ा नहीं होता, 
           तब मन उमंग  क्यों न होता।
हम कुंवारे जवानी में झांके,
हर  एक बाल काले घने थे।
योगभ्यास प्राणायाम करते,
चमके चेहरा पाॅलिश करते।
कपड़े  में  कीरिच रहता था,
आइने  से  लगाव बहुत था।
सिनेमा  देख कर आता था,
हीरो  बना  घूमा करता था।
           वो भी क्या दिन अपना था!
           सच लगता सारा सपना था।
           मिथुन गोविन्दा अनिल की,
           स्टाईल अपनी भी होती थी।
           जूही, माधुरी, और श्री देवी,
           ख्वाब  में  अपने  होती थी।
           बिसर   गये  अपने  वो दिन,
           लुगाई  अब प्यारी इन दिन।
अफसोस  नहीं  उमंग  नहीं,
समय  के  साथ सब है सही।
डाई  होता  न  अब  पाॅलिश,
वास्तविकता बनी  ख्वाहिश।
खुश  रहता  वो  उमंग  नहीं,
स्वर्ग   अपनी  दुनियां  यही।
तन  मन  तब  खुश हो जाये,
चलो  कुंवारे  में  घूम  आयें।
💖💖
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

Saturday, 13 June 2020

अपना बचपन नया दौर...


अपना बचपन नया दौर....
♨♨ 
बचपन की हर एक यादें  बहुत अच्छी होती थी
धूल में सनी हुई जिन्दगी  बड़ी सच्ची होती थी।

क्या दौर क्या जीवन था  मराते थे पर प्यार था
बाबा दादी के साथ रहें माता पिता के साथ रहें।

नाना नानी के साथ रहें चाचा चाची के साथ रहें
बुआ फूफा के साथ रहें हर रिश्ते में ताजगी रही।

रिश्ते वही हैं इंसान भी वही हैं फरक बस यही है
बचपन नासमझी का था पर समझ बड़ी हो गई।

आज का न पूछो नास्तिक सब खुदा बन गए हैं
न भरोसा न विश्वास है पढ़ा लिखा भी बीमार है।

कमजोर दिल हुआ  दिमाग भी कमजोर हो गई
भरोसा न कहीं रही  विश्वास अब नदारद हो गई।

कमाने की होड़ मची आधुनिकता की जोर लगी
घर से पलायन हुआ  कंकरीट के मीनारों में बसे।

घर सा महोल कहाँ  डरे सहमें  जिन्दगी है जहाँ
संस्कार अब यही मिले  मतलब किसी से न रहे।

डरते हैं हर लोग यहाँ  जिन्दगी जिए फिर कहाँ
अविश्वास की भेंट चढ़ी  खुशियों की बाट लगी।

दौर ऐसा आ गया भरोसा जन्मदाता पर न रहा
बच्चों को साथ रखें छोड़े तो फिर किसके बुते।

सटाएं अपने साथ, जवान बना जन्म से नादान
सिलसिला आगे बढ़ा है कोसे फिर क्यों इंसान।

अपनी शिक्षा व संस्कार काट रही अपनी नाक
क्यों रोए हैं, याद न आए, जब गुरू रहा इंसान।

रिश्तों की मिठास खतम अकेला जीए है इंसान
अपनत्व दिखाओ मोहब्बत करो, इग्नोर न करो।

जीवन का हर किरदार अकेले क्यों निभाते हो
घर में हैं बेहतरीन अदाकार  बस मौका तो दो।

गलती तो हम कर रहे खुद को खुदा समझ रहे
इस धरती पर हो कैसे, इस पर विचार कर लेते।

न वो दौर रहा न संस्कार रहा अभाव जरूर रहा
मगर असल जिन्दगी वही थी, रिश्ते में प्यार रहा।

बचपन की हर एक यादें  बहुत अच्छी होती थी
धूल में सनी हुई जिन्दगी  बड़ी सच्ची होती थी।
♨♨
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Friday, 12 June 2020

पाप कर्म ही पापी का विनाशक

पाप कर्म ही पापी का विनाशक होता।
☛इंसान कर्मों से महान बनता है और अपने कर्मों के द्वारा ही गर्त में भी जाता है। इंसान का कर्म अच्छा है मतलब सोच अच्छी है; सोच अच्छी है तो शब्द संरचना भी अच्छी होगी; शब्द संरचना अच्छी होगी तो स्वयं के लिए और उसके अपनों व समाज के लिए गुणकारी होगी; वह अच्छा होगा उसके लोग अच्छे होंगे फलस्वरूप उसका संसार अच्छा होगा।
☛जिस दिन इंसान अपने जीवन में कोई भी गलत कार्य अपने अन्तः मन के खिलाफ जाकर करता है बस उसी समय से उसका अन्तःमन आपके दिमाग से क्लेष व द्वन्द्व करना शुरू कर देगा। इंसान का अन्तर्मन ही उस अपराधी को जब भी एकांत वाश में होगा उसके अपराध का बोध व गलती को बराबर एहसास कराता रहेगा आपका दिल दिमाग में बराबर द्वन्द्व युद्ध चलता रहेगा जो इंसान का सुकून हर लेता है।
☛जब मन की दो विपरीत अवस्थाओं से टकराव होगा तो परिणाम भी दुखद व विध्वशंक होगा जो आपके साथ साथ आपकी सोच आपके आचार विचार व व्यवहार पर सीधा प्रहार करेगी जिससे तमाम विकृति आपके अन्दर पनपना शुरू करेगी तत्पश्चात प्रतक्ष्य व अप्रतक्ष्य रूप से आप से जुड़े हुए लोगो को भी प्रभावित करेगी।
☛इंसान को जब अपने द्वारा किए गए अपराध का बोध होता तो वह हमेशा सशंकित पकड़े जाने से बचने के लिए तमाम और गलत हथकण्डे अपनाता है ऐसा व्यक्ति ऐसे समाज में जाने से बचता है जिससे उससे खतरा समझ आता है परिणाम यह होता कि उसका सभ्य समाज से दूरी बनने लगती है।
☛समाज में ज्यादातर अपराधिक प्रवत्तियों के इतिहास को देखने से यह ज्ञात हो जाएगा कि इनकी दैनिक जीवन कैसा है? संसार की तमाम बुराईयां उनमें नजर आएंगी आन्तरिक द्वन्द्व से बचने के लिए नशे का सेवन करने लग जाता है।
☛इस प्रकार ऐसे व्यक्ति अपने द्वारा किए गये अपराध पापकर्म के उपरान्त से ही अन्तः द्वन्द्व के कारण उनके विनाश की कहानी शुरू हो जाती है। समाज व कानून अपराध की संज्ञानता पर उनको सजा दे या न दे परन्तु पापी का पाप कर्म ही उसके विनाश की कहानी लिखना शुरू कर देता।
☛इंसान के पापकर्म का दण्ड स्वयं पाप कर्म में लिप्त व्यक्ति को ही नहीं मिलता बल्कि उससे जुड़े सभी को मिलता है उसका विनाश तो होता ही है परन्तु उसके आचार विचार और व्यवहार से उसका परिवार विनाश का भागी होगा ही एवं समाज पर भी बुरा असर देखने को मिलता है क्योंकि ऐसा व्यक्तित्व जहां भी होगा उस समाज को दुषित ही करेगा।
☛कहते हैं कि स्वर्ग व नर्क कहीं नहीं है सब इसी धरती पर ही है। कर्म फल सभी को इसी धरती पर ही भोग कर चले जाना है। जो जैसा करेगा वैसा ही वह पाएगा यही परम सत्य है।
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा।
जो जस करहि सो तस फल चाखा।।
♨♨
My Heart
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Thursday, 11 June 2020

जिन्दगी लय में जियो मगर...

जिन्दगी लय में जियो मगर...
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जिन्दगी  तुम  अपनी  लय में जियो
मगर किसी और की लय न बिगाड़ो।

जुड़ी हैं  और भी  तुमसे जिन्दगियां
कभी तो उनका मान रख लिया करो।

मुसाफिर है चंद लम्हों की जिन्दगी
झूठा ही सही मगर प्यार दिया करो।

प्रकृति ने अपना कहर बरपा दिया
इससे  बड़ा  कोई  सबक न होगा।

नफरते सहेज कर कैसे रख लेतो हो
जतन ऐसा मोहब्बत के लिए कर लेते।

जिन्दगी  तुम  अपनी  लय में जियो
मगर किसी और की लय न बिगाड़ो।

खुदगर्ज  कैसे हो जाते हैं  जमाने में
कारवां तो वही है सभी का जमाने में।

सफर  भी वही है मंजिल भी वही है
जाना सभी को उसी पड़ाव से ही है।

फरक है सफर मेरा है पड़ाव समय है
हर पड़ाव सुखमय हो सोचना यही है।

न भूलो मंजिलों को सुकून चाहते हो
कर्तव्य निभालो सही काम कर चलो।

जिन्दगी  तुम  अपनी  लय में जियो
मगर किसी और की लय न बिगाड़ो।
♨♨
कविता का भाव :-
☛अगर इंसान है तो चाहत किसे नहीं होता अपने जीवन में तमाम खुशियां बटोरने लेने कि मगर किसी की पूरी तो किसी की अधुरी ही रह जाती है सब अपनी आदतों और अपने स्वभाव से ही संभव है साहब।
☛इंसान तो सभी एक जैसे ही हैं मगर अपनी सोच अपनी चाल चलन व गतिविधियों से सबकी अलग अलग पहचान दिखती है।
☛हर इंसान की सोच व उसकी प्रवृत्ति अलग अलग होती। प्रथमतः कोई अपना जीवन अपना सुख व अपना आराम देखता है तो कोई अपने के साथ दूसरों के लिए बेचैन रहता है कोई तो ऐसे हैं जो अपने को नगण्य कर सिर्फ दूसरों को ही तरजीह देते हैं।
☛सबसे अच्छा तो यही है कि इंसान अपनी जिन्दगी तो जिए मगर सदैव कोशिश यह भी करे कि अपने खुद के चाल चलन व व्यवहार से जो तुम्हारे साथ जुड़े हैं उन पर गलत प्रभाव न पड़े उनको पीड़ा न हो और न ही उनका मन दुखे।
☛हर इंसान का जीवन चक्र एक ही है। प्रथम जनम और दूसरा मृत्यु और मृत्यु ही जीवन का अंतिम मंजिल है। जीवन और मरण के बीच तमाम पड़ाव अच्छे व बुरे दिन के रूप में जीवन में समय समय पर आते रहते हैं। उम्र के हरएक पड़ाव से हर इंसान को गुजरना ही होता है।
☛हर इंसान का यह दायित्व व कर्तव्य है कि उम्र के जिस किसी भी पड़ाव पर हैं उसमें सामंजस्य रखें उसे खुश व सुखी रखे क्योंकि वही पड़ाव कल तुम्हारा होगा। इसलिए हमें उम्र के जिस पड़ाव पर हैं उसे सुखी व खुशी बनाएं तभी तो हमारा भविष्य सुखी व सुन्दर होगा।
♨♨
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)



Wednesday, 10 June 2020

कोरोना से बचना है तो पेट साफ रखना है

कोरोना से बचना है, पेट साफ रखना है।
पावर हाउस मस्त, ऊर्जा चकाचक।
💖

☛कोरोना एक ऐसी अदृश्य व शुक्ष्म बीमारी है जो हर इंसान को पकड़ तो सकती है परन्तु शारीरिक और मानसिक रूप से ताकतवर को जकड़ कर काल का ग्रास बना लेना उसके लिए मुश्किल है। अगर किसी प्रकार से आ भी गयी तो थोड़ा बहुत परेशान करेगी टिक नहीं पाएगी चली जाएगी। 
☛कोरोना के शुरूआती दिनों में ऐसा आलम था हर इंसान दहशत में जी रहा था उस दौरान अच्छे अच्छों का इम्यूनिटी तथा पाचन तंत्र खराब हो गया था चारों तरफ खौफ का मंजर था जबकि उस वक्त संक्रमण कम था परन्तु इसके विपरीत आज संक्रमण ज्यादा है पर लोगों के जेहन में भय नहीं बल्कि जागरूक हैं। इसका प्रमूख कारण समय पर लाकडाउन जो इंसान को सामाजिक परिवारिक व आर्थिक संघर्ष कर इंसान के संघर्ष की क्षमता का बढ़ना है। "मन के हारे हार है मन के जीते जी"
☛मन की क्षमता मन की अक्षमता तो क्षणभंगूर है किसी अचानक दुखद व अप्रिय समाचार को सूनकर मन मष्तिष्क शून्य हो जाता तो इसके विपरीत कोई ऐसे सुखद समाचार को सूनता है तो स्फूर्तिमान हो जाता। वजह यह भी है इम्यूनिटी खराब होने कि व मजबूत होने की।
"कहते हैं कि शरीर के तमाम रोगों की जननी हमारी उदर होती"
☛इंसान का पाचन तंत्र यानि पेट ही शरीर का ऐसा यंत्र है जो पूरे शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है अगर मजबूत है तो पूरा शरीर स्वस्थ व मस्त है क्योंकि पेट का क्रियाशीलता, सुचाररूपता व संचालन से ही पूरे शरीर के सारे यंत्र तंत्र को गतिशील बनाए रखती है फलस्वरूप स्वास्थ्य अच्छा होगा दिमाग अच्छा होगा।
☛यदि इंसान का पेट सही है पाचनशीलता सही है तो आपका पूरा शरीर स्वस्थ होगा। यदि शरीर स्वस्थ है तो उसका बुद्धि व विवेक भी स्वस्थ व शुद्ध होगा। इंसान के मन व दिमाग में किसी प्रकार का विकार नहीं होगा तो इंसान का मानसिक चिन्तन भी शुद्ध होगा तत्पश्चात इंसान का हर निर्णय शुद्ध व स्वस्थ होगा। जहाँ शुद्धता व स्वस्थता होगी तो फरक अवश्य होगी।
☛शारीरिक ताकत की प्रभुता के लिए मानसिक तौर पर भी इंसान का स्वस्थ होना नितान्त ही जरूरी है आप शारीरिक तौर पर पहलवान क्यों न हो यदि मानसिक तौर पर बलशाली नहीं हैं तो कोरोना जैसी बीमारी एक सेकेण्ड में धोबिया पछाड़ मार कर आपको चित्त कर देगी।
☛इसलिए अच्छा व सादा खान पान ही पेट को साफ व स्वस्थ रख सकता है। इसलिए कोरोना से बचना है कोरोना से लड़ना है तो हमें "सादा जीवन उच्च विचार" और खान पान की रणनीति अनियमित जीवनशैली और उससे जुड़ी बुरी आदतें दारू शराब बीड़ी सिगरेट व तम्बाकू को छोड़नी होगी तभी हमारा पाचन तंत्र मजबूत व स्वस्थ व साफ होगा और तभी हम कोरोना जैसी बीमारी से पार पाएंगे।
💗पावर हाउस मस्त, ऊर्जा चकाचक💗
♨♨
My Heart
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)


Tuesday, 9 June 2020

जनता जनार्दन है साहब

।।जनता जनार्दन है साहब।।
♨♨
ज्ञान दे दो परवाह नहीं
जान दे दो परवाह नहीं
ईमान दे दो परवाह नहीं
कुर्बानी भी परवाह नहीं
।सब ईश्वर की संतान हैं।
अराम चाहिए काम नहीं
काम हो पर मेहनत नहीं
बेकार रहलेंखे दुख नहीं
सकारात्मकता सोचे नहीं
।।जनता जनार्दन है साहब।।
~~
काम न करने पर दुख
काम करने पर दुख
कुछ अच्छा तो दुख
कुछ बुरा तो दुखे दुख
।सब ईश्वर की संतान हैं।
कुछ दे दिया इसका दुख
कुछ न दिया दुखे दुख
कुछ सोच लिया दुख
न सोचा तो दुखे दुख
।।जनता जनार्दन है साहब।।
~~
इनकी गजब अभिलाषा
पार कोई नहीं पाता
पल में माथे पर साधे
पल में ही भूईं बैठाए
।सब ईश्वर की संतान हैं।
इनके फेरा में आओगे
पागल बन घूमराओगे
संतुष्ट नहीं कर पाओगे
सुख अपना दुख झेलेगा
।।जनता जनार्दन है साहब।।
~~
जैसे लोग वैसा ही प्रलाप
मानव का विशेष आधार
इनकी बातें इनका तर्क
पार करना बड़ा संकल्प
।जनता जनार्दन है साहब।
।।सब ईश्वर की संतान।।
♨♨
कविता का भाव :-
☛अपना मानव और उसका मन टिड्डा जैसा बेतरतीब उछड़ता न दिशा की सोच न दशा की सोच। उसकी सोच अजब गजब उसी सोच पर अनुसरण भी अजब गजब क्या सोचना? क्या कहना? तर्क कुतर्क, भूल गया है क्या सही है क्या है गलत?
☛सोच स्थिर नहीं तो मन भी स्थिर नहीं दिमाग भी बेतरतीब रहे। जीवन व समाज में अस्थिरता का प्रमुख  कारण भी यहीं। मन में धैर्यता नहीं तो संतोष नहीं विश्वास नहीं; यदि संतोष व विश्वास नहीं तो लाख जतन कर लो फिर कुछ भी नहीं।
☛ऐसे जन को समझाना तर्क करना सिर्फ और सिर्फ अपना अहित कराना है और दुख को गले लगाना है। छोड़ दो इनको इनके हाल पर अन्त समय हल हो जाना है।
☛रावण और कंस को मारने के लिए नियंता को जन्म लेना पड़ा था। बहुत आसान नहीं इनको समझाना सब माया का बोलबाला है। जनता जनार्दन है साहब सब विधिसम्मत ईश्वर की संतान हैं।
My Heart
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)



Monday, 8 June 2020

वाह रे जनता....

♨♨
कलयुग के हैं दिव्य दिवाकर
भारत माता की शान हैं दोनों ईश्वर के अवतारी
उनसे ही हमारा नाता है।

वाह रे जनता....
बेवकूफ रही जनता राज किए नेता!
समझ गयी जनता पहचान गई नेता।

अंधन में कनवा राजा!
जैसी रही जनता वैसे ही मिले उनको नेता!
फिर काहे कोई से वास्ता?

कौन परिवार की सोचता?
परिवार में हैं तो बस अपना सूख अपना हित
फिर काहे कोई से वास्ता?

कौन समाज की सोचता?
समाज में हैं तो सिर्फ अपना पेट अपने चट्टे बट्टे
फिर काहे कोई से वास्ता?

कौन देश की सोचता?
देश में हैं तो यहाँ भी अपना खजाना अपना वर्ग
फिर काहे कोई से वास्ता?

कौन साथ आया है?
लूटने का इरादा अकेले आया अकेले जाएगा
फिर काहे कोई से वास्ता?

मुलायम आए लालू आए
मायावती भी उछल कूद मचाईं, देखे हो न भाई
फिर काहे कोई से वास्ता?

केजरी बैठे दिल्ली में
ड्रामा खूबे रचाई ओहू अपना जमीर कटाई
फिर काहे कोई से वास्ता?

बरसाती आताताई मेंढ़क
नेता को भारत माता के सिंहासन से दूर भगाना है
फिर काहे कोई से वास्ता?

एक कहानी सब पर बनती~
अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता
फिर काहे कोई से वास्ता?

इतिहास उठाकर दखलो
जो आया लूटा भारत माता को बदनाम किया
फिर उनसे काहे वास्ता?

आजादी के बाद धरा पर
भारत माता के गौरव को मन से जिसने सोचा है
उनसे ही हमारा वास्ता।

घर छोड़ा परिवार छोड़ा
भारत माता के चरणों में जीवन को न्यौछावर किया
उनसे ही हमारा वास्ता।

कलयुग के हैं दिव्य दिवाकर
भारत माता की शान हैं दोनों ईश्वर के अवतारी
उनसे ही हमारा वास्ता।
♨♨
कविता के भाव:-
☛हमारा देश और हमारी जनता है तो प्रतिभा व वैभवशाली परन्तु ज्यादातर व्यक्ति अपने मन व अपने सोच से विवश रहता है सही गलत हित अनहित में फरक शीघ्र नहीं कर पाता है।
☛इंसान सदा ही अपने तुच्छ व संकुचित मन की ही सुनता विशालता से सदैव दूरी बनाया रहता है। ज्यादातर अपने जीवन से संबंधित ईर्द गिर्द ही घूमती है और उससे ज्यादा की सोचता ही नहीं परिणामतः घर परिवार व समाज व राष्ट्र को दूषित कर देती है।
☛इंसान अपने इसी गलत व अवसाद ग्रसित व्यवहार व आचरण से सोच इतनी निम्न कर लिया है कि उसे अच्छे बुरे व सही गलत का ज्ञान व फरक समझ में नहीं आता। वह वही करता व सूनता है जो उसकी अवसाद ग्रसित अन्तःमन कहती व सुनती है।
My Heart
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)


Sunday, 7 June 2020

मर गया जमीर....

मर गया जमीर....
♨♨
हर शख्स यहाँ सच्चा तो है!
तभी तो न्याय प्रणाली बनी है।
गलत कोई नहीं सब हैं सही!
चाहे तो पूछलो गलत ये कहां।
मर गया है जमीर गलत सब सही।
~~
कहाँ से लाते दोगले आधार!
देश का खाते चलाते हो धार।
कहां से लाते तुम बद् जमीर।
बर्दाश्त कर लेते कैसे लंठवीर।
मर गया है जमीर गलत सब सही।
~~
कैसे हो जाते देश के खिलाफ!
धिक्कारता नही जमीर आज
जानते हो तुम गलत हो तुम!
जुबान बोले गलत हम कहां।
मर गया है जमीर गलत सब सही।
~~
जुबांन  मरता  इंसान  मरता!
मर गया जमीर कम सूना था।
इंसानियत कहीं अब रही नही!
जमीर था कौड़ियों में बेच दिया।
मर गया है जमीर गलत सब सही
~~
क्यों और किसलिए मार दिए
जमीर को जो मानव रीड़ था।
जुबां न सत्य न आचरण सत्य!
कर्तव्य की छोड़ो पेट है जबर।
मर गया है जमीर गलत सब सही।
~~
पेट नहीं मराण बना लिए हो!
एक हमारे लूट से बिगड़े है देश
यही सोच कर लूट पाट करे हो
रही सही जमीर भी निगल लिए।
मर गया है जमीर गलत सब सही।
~~
पापी हैं इंसान गद्दार हैं देश के!
प्रेम मानवता व समाज लूट के।
यहां गिर गये हो जमीर बेच के!
ख़ाक में मिलोगे अमीरी लेकर।
मर गया है जमीर गलत सब सही
~~
गंदगी है तगड़ी नहीं है ईलाज!
शरीर के साथ होगी यह खाक!
छोड़ो रहने दो इन्हें इसी हाल!
हम तो सोचे करें देश से प्यार।
मर गया है जमीर गलत सब सही।
~~
मर गया जमीर मर गयी आत्मा।
वंदे मातरम! भारत माता की जय।
♨♨

कविता का भाव:-
आज हमारे समाज में बुद्धिजीवी कहे जाने वाले तमाम शख्सियत इंसानियत व मानवता के नाम पर कलंक हैं कहने में तनिक भी संकोच का भाव मन में नहीं है। उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ अपनी आवश्यकता, सुविधा व जरूरत है जिसके लिए गलत जुबान भी होते हैं उस वक्त मर गया जमीर और मर जाती आत्मा।
☛अपनी आवश्यक आवश्यकता के लिए कुछ भी और किसी भी स्तर पर जा सकते हैं और इसके निमित्त गलत से गलत निक्रिष्ट कार्य व आचरण भी कर जाते हैं मात्र निज स्वार्थ में ये अपने जमीर को भी बेच देते हैं।

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✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Saturday, 6 June 2020

बदलता दौर

बदलता दौर
♨♨
दौर एक वो था जब
घर में एक दो कमरे हुआ करते थे!
रिश्ते कई कई दिन जीवन्त मस्त हुआ करते थे।

बड़ी बड़ी खुशियाँ
घर के आँगन में सिमटती थी!
कमरे बढ़ते गए रिश्ते संकुचित होते चले गए।

प्यार था मोहब्बत था
छोटे बड़े भाई बहन छीनाझपटी तकरार था!
साथ खाना साथ सोना पढ़ना कितना लगाव था।

देखा है उस दौर को
निगाहें चाहत उसी की रखती हैं!
जमाना बदल गया पर निगाहें यही भूल जाती है।

यही पीढ़ी का अंतर है
वो हमारा दौर था, नया तुम्हारा दौर है!
फितरत मेरी समझलो युवा हम भी नए दौर के हैं।

मस्त मिजाजी हम भी हैं
अपने ही रंग में रहना जानते हैं!
परवाह जमाने की नहीं जवां मन की करते हैं।

दौर तो वही है सदा
हमारी सोच खयालात बदल गए!
जिन्दगी वही है सांसे वहीं अमर कोई नहीं है।

जिन्दगी तो अपनी थी
अपनों का खौफ भटकने नहीं देती थी!
बदलाव यही है बेखौफ जिन्दगी लगाव नहीं है।

अब दौर ऐसी आ गई
जिन्दगी फ्लैट हो गई रिश्ते नदारद हो रहे!
अब तो खुशियां महज एक दो घंटे के रह गए।

बदला तो जरूर है
घर है परिवार है रिश्ते हैं नाते हैं सब हैं!
मगर ह्वाट्सअप, फेसबुक, इंटाग्राम पर ही करीब हैं।

कोरोना भी कुछ कम नही
झूलते लटकते रिश्तों को बल दिया है!
मगर इंसानी जज्बातों को कमजोर कर दिया है।

मूँह में मूँह डाले बात करना
हमारे दौर की बात रही व मुहावरा भी रही।
मगर इंसान डिजीटल मुहावरा इतिहास बन गयी।

हर जिन्दगी में दौर हैं तीन
पहला पिता का तो दूसरा खूद का!
तीसरा है पुत्र का गुजारना है शुभकामना सभी को।

हम तीसरे दौर में चल रहे
दौर पहला पिता का खुशियाँ रहीं!
दौर अपना जिम्मेदारियां बढ़ी तैयारी नए दौर की है।

मतलब तुलना का नहीं
समय चक्र व बदलाव ही जीवन है!
समयानुसार दौर वो भी सही दौर आज भी सही है।

हम उस जमाने के हैं
जो बीत गया नया का संकल्प ले लिया!
अपनी जिन्दगी जीएं अब नए दौर के साथ जीएंगे।
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✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)



Friday, 5 June 2020

चलो हम इंसान बन जाएं

चलो हम इंसान बन जाएं
♨♨ 
चलो हम इंसान बन जाएं!
मानवता गुलजार कर जाएं।

हम भगवान बनना चाहते है!
मगर इंसान बनना नहीं आता।

तारीफ सुनना रास आता है!
मगर करना रास नहीं आता।

मोहब्बत की आस है सबसे!
मगर करना रास नहीं आता।

सुकून रहे हमारे जीवन में!
मगर देना हमें नहीं आता।

चलो हम इंसान बन जाएं!
मानवता गुलजार कर जाए।

हमदर्दी की चाहत रखते है!
मगर हमदर्द बनना नहीं आता।

रिश्ते की चाहत तो सबसे है!
मगर निभाना हमें नहीं आता।

अपने जरूरत पर आएं सभी!
मगर जाना हमें नहीं आता।

उम्मीद लगाए हम रखते हैं!
मगर मदद करना नहीं आता।

चलो हम इंसान बन जाएं!
मानवता गुलजार कर जाए।

कविता का भाव :-
☛मानव मन की उत्कंठा सागर की अथाह गहराईयों और अंबर की अनंत ऊचाईयों को भी नाप लेती है।उसकी सोच को पकड़ना आम मानव मन के बस की बात नहीं। चलो हम इंसान बन जाएं।
☛इंसान खुद को श्रेष्ठ साबित करने की चाहत में सत्कर्मों को महत्व न देकर बुरे कर्मों को महत्व देने लग जाता है।  
☛हम एक इंसान हैं और इंसान का क्या औचित्य व कर्तव्य है बस उसी पर अपने ध्यान को केन्द्रित कर अपने कर्तव्य, दायित्व, व्यवहार व आचरण करना चाहिए; यह भी सही है कि जीतना कहना व्यक्ति के लिए सरल व आसान है मगर करना उतना ही मुश्किल।
☛यहाँ विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या इंसान का मन उसकी अन्तर्आत्मा को उसके सही गलत का भान नहीं कराती? क्या अच्छा है क्या बुरा है? क्या करना है क्या नहीं करना है अंतर नहीं समझाती?
☛यदि इंसान का मन और उसकी अन्तर्आत्मा उपरोक्त तथ्यों व बातों का बोध नहीं कराती तो जाहिर है इंसान जड़ता हठधर्मिता का शिकार है। ऐसा इंसान जानता तो सब कुछ है समझता भी सबकुछ है परन्तु अपनी निम्न व तुच्छ सोच व अपनी जड़ता व अकड़ता के कारण उस अन्तःमन पर भारी पड़ जाता है।
☛तत्पश्चात अपनी उसी निम्न व तुच्छ सोच के कारण अपना और अपने से जुड़े लोगों व समाज को भी दुषित करता रहता जिससे घर परिवार व समाज में अनेक प्रकार की विसंगतियां पनपने लग जाती है।
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✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Thursday, 4 June 2020

योगी जी पर एक नज़र


योगी आदित्यनाथ जी पर एक नज़र 

♨♨आप योगी आदित्यनाथ जी गोरखनाथ मन्दिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। ये हिन्दू युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं तथा आपकी छवि एक प्रखर राष्ट्ररवादी नेता की है।

☛आप भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता मे से एक हैं आप वर्तमान में  उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री हैं। आप 19 मार्च 2017 को प्रदेश के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के बाद यहाँ के 21वें मुख्यमन्त्री पद की शपथ ली और प्रदेश का गौरव बढ़ाया।

☛आप गोरखपुर से लोकसभा सासंद भारतीय राजनीति में अपने कट्टर हिंदुत्व की राजनीति के लिए विख्यात हैं।  इनका कथन "एक हाथ में माला एक हाथ में भाला" इनके कट्टरवाद को दर्शाता है। साथ ही उनके समर्थक नारे लगाते घूमते 'गोरखपुर में रहना है तो योगी-योगी कहना है। गोरखपुर के बाहर दूसरे जगहों पर यह नारा 'पूर्वांचल में रहना है तो योगी-योगी कहना है' हो जाता। बाद में तो यह नारा यूपी में रहना है तो योगी-योगी कहना है, में तब्दील हो गया।

☛आप बहुत छोटी सी उम्र से ही सक्रीय राजनीति में अपना पैर जमाये हुए हैं। आप सन् 1998 में भारत के बारहवें लोकसभा में चुनाव जीत कर सबसे कम उम्र 26 वर्ष के सांसद के रूप में देश के सामने आये। आप नाथ संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं।

☛इसके अलावा आप हिन्दू महासभा के अध्यक्ष भी हैं। तात्कालिक समय में गुरु गोरखनाथ मंदिर के महंत आवैद्यानाथ की मृत्यु के बाद इन्हें इस मंदिर का पीठाधिश्वर बनाया गया। यह मंदिर नाथ संप्रदाय के पुराने रीति रिवाजों का पालन करता है।

☛योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 में उत्तराखंड के गढ़वाल जिले में एक राजपूत परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट है जो एक फॉरेस्ट रेंजर थे। तथा इनकी मां का नाम सावित्री देवी है। 20 अप्रैल 2020 को उनके पिता आनन्द सिंह बिष्ट की मृत्यु हो गई। अपनी माता-पिता के सात बच्चों में तीन बड़ी बहनों व एक बड़े भाई के बाद ये पांचवें थे एवं इनसे और दो छोटे भाई हैं।

योगी जी की शिक्षा:-

इन्होंने 1977 में टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल में पढ़ाई शुरू की व 1987 में यहाँ से दसवीं की परीक्षा पास की। सन् 1989 में ऋषिकेश के श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज से इन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। 1990 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े। 1992 में श्रीनगर के हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से इन्होंने गणित में बीएससी की परीक्षा पास की।

☛कोटद्वार में रहने के दौरान इनके कमरे से सामान चोरी हो गया था जिसमें इनके सनद प्रमाण पत्र भी थे। इस कारण से गोरखपुर से विज्ञान स्नातकोत्तर करने का इनका प्रयास असफल रह गया। इसके बाद इन्होंने ऋषिकेश में पुनः विज्ञान स्नातकोत्तर में प्रवेश तो लिया लेकिन राम मंदिर आंदोलन का प्रभाव और प्रवेश को लेकर परेशानी से उनका ध्यान अन्य ओर बंट गया। 

☛1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने ये गोरखपुर आए एवं गोरखपुर प्रवास के दौरान ही ये महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए थे जो इनके पड़ोस के गांव के निवासी और परिवार के पुराने परिचित थे।

☛अंततः ये महंत की शरण में ही चले गए और दीक्षा ले ली। 1994 में ये पूर्ण संन्यासी बन गए। जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गये। आपने हिन्दू युवाओं को एक साथ लाकर हिन्दू युवा वाहिनी का निर्माण किया।

योगी जी का हिन्दू युवा वाहिनी संगठन:- हिन्दू युवा वाहिनी योगी आदित्यनाथ द्वारा स्थापित केवल हिन्दुओं का संगठन है। इस संगठन पर पुलिस ने सन 2005 में मउ में हुए दंगों का आरोप लगाया तथा सन् 2007 में गोरखपुर दंगे का भी आरोप लगा।

योगी जी का राजनैतिक सफर:- योगी आदित्यनाथ जी देश के बारहवें लोकसभा चुनाव में गोरखपुर से चुनाव जीत कर 26 वर्ष की उम्र में सबसे कम उम्र के सांसद बने। सन 1998- 99 में ये कमेटी ऑफ़ फ़ूड, सिविल सप्लाई, डिपार्टमेंट ऑफ़ सुगर एंड एडिबल आयल, मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स आदि में काम किये।

☛सन 1999 में तेरहवीं लोकसभा में ये पुनः निर्वाचित हुए और पुराने सभी पदों पर बने रहे। सन 2004 में पुनः अपनी इसी सीट से इन्होने चुनाव जीता और सभी पुराने पदों पर काम करते रहे। 

☛सन 2009 में पन्द्रहवें लोकसभा में इन्हें लोगों ने फिर से अपना प्रतिनिधि चुना और इस बार वे परिवहन, पर्यटन और संकृति के कमिटी मेम्बर हुए।

☛सन 2014 में भारत के सोलहवें लोकसभा में ये गोरखपुर सीट से चुनाव जीत कर पुनः लोकसभा सांसद बने।

आपकी राजनीतिक विवाद:-

राजनीतिक विवादों से भी जोड़ा गया आप पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं जिसमें से कुछ दंगे भड़काने का आरोप, हत्या की कोशिश, बहुत खतरनाक हथियारों को रखने का आरोप, ग़ैर क़ानूनी तरह से सभा लगाना आदि है। इसके अलावा इन पर और भी आरोग लगाये गए जैसे धर्मान्तरण – सन 2005 में योगी आदित्यनाथ पर क्रिस्टियन लोगों को धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगा था। 

☛आपके उपर जनवरी 2007 में हिन्दुओं और मुस्लिमो के बीच मुहर्रम के दौरान एक तकरार हुई थी जिसमें दंगे का आरोप लगा और गिरफ्तारी हुई थी। गोरखपुर में आपकी छवि मुस्लिम समुदाओं में भी अच्छी रही राजनीतिक विद्वेषवश आपकी छवि खराब करने की साजिश रची गई थी।

☛आप हिन्दुत्व धारणा व मान्यता के अनुयायी थे जिस कारण से उनका क्रियाकलाप विरोधियों के लिए कष्टकारी था।

☛योगी आदित्यनाथ ने योग पर 9 जून 2015 को योगी जी ने उन लोगों को कहा कि सूर्य नमस्कार का विरोध करने वाले या सूर्य नमस्कार न करने वाले को भारत में रहने का कोई हक़ नहीं तथा जो लोग सूर्य में भी हिन्दू और मुस्लिम देखते हैं उन्हें डूबकर मर जाना चाहिए।

☛शाहरुख़ खान पर मीडिया में असहिष्णुता पर शाहरुख़ के बयान को सुनकर उन्होने कहा कि शाहरुख़ को इस देश में बहुसंख्यक समुदाय का ध्यान रखना चाहिए। देश ने उन्हें स्टार बनाया है। यदि देश के लोग उनकी फिल्मे देखना छोड़ दें, तो शाहरुख़ को गलियों में घूमना पड़ जाएगा।

भाजपा से संबंध:-

योगी काफ़ी लम्बे समय से भाजपा से सम्बन्ध रखते हैं। 2006 में उन्होंने गोरखपुर में एक विराट हिन्दू सम्मलेन का आयोजन किया था। इसी समय लखनऊ में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारी बैठक रखी थी। इस दौरान 2007 में उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी और योगी के बीच तनाव देखा गया। हालाँकि बाद में सब सामान्य हो गया।

आपके फैसले:-

उत्तरप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की एक प्रकांड बहुमत से जीत के बाद मुख्यमंत्री बनते हुए सामाज के सभी समुदायों और वर्गों के लिए कार्य करने की शपथ ली। कैबिनेट में कुल 47 मंत्री शामिल हुए तत्पश्चात आपने बड़े फैसले राज्यहित में लिए :-

☛योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र के अनुसार प्रदेश में अवैध कसाईखानों को बंद कराये।

☛गौ-माता की तस्करी पर रोक लगवाई। इस कार्य के लिए उन्होंने ‘जीरो –टॉलरेंस’ की नीति अपनाने की बात कही।

☛लड़कियों को छेड़ने वाले मनचलों के विरोध में एक बड़ा फैसला लिया है। उत्तर प्रदेश पुलिस को एक ‘एंटी रोमियो स्क्वाड’ नाम की टीम का गठन करने का आदेश दिया।

☛सरकारी कार्यालय व स्कूल  में किसी कर्मचारी को पान या तम्बाकू खाने की इजाज़त नहीं होगी। सरकारी कार्यालयों के साथ ये फैसला स्कूल, कॉलेजों और अस्पतालों में भी रोक लगाई।

☛आपने सरकारी कार्यालयों में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है।

☛उत्तरप्रदेश सरकार की नयी कैबिनेट तैयार होने के साथ योगी ने कैबनेट के सभी मंत्रियों से व्यक्तिगत सभी चल एवं अचल धन सम्पति का सारा ब्यौरा पंद्रह दिन के अन्दर उनके सामने लाने को कहा है।

☛योगी आदित्यनाथ ने ग़ैर सरकारी सलाहकारों को नौकरी से हटाने का फैसला किया है। इन सलाहकारों के अतिरिक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, निगम सदस्य, अनावश्यक समितियां और उनके सदस्य आदि भी शामिल हैं।

☛योगी आदित्यनाथ ने एक मीटिंग में सभी अधिकारियों को भारतीय जनता पार्टी का संकल्प पत्र दिया है और उस पर अमल करने को कहा है। मुख्यमंत्री के अनुसार लोकहित में तैयार किये गये भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र को ध्यान में रखते हुए ये सरकार अपना कार्य करेगी।

☛योगी ने पुलिस अधिकारियों को लगातार सोशल मीडिया से जुड़े रहने का आदेश दिया है। जिसकी सहायता से पुलिस को जल्द से जल्द किसी घटना का पता चलेगा और पुलिस बिना समय गंवाए घटनास्थल पर पहुँच कर मामले में हस्तक्षेप कर सकेगी। ‘जीरो टोलेरेंस’ की नीति अपनाने की बात कही है.

☛योगी जी ने समाज से VIP कल्चर को हटाने के लिए एक बहुत बड़ा क़दम अपनाया है। उन्होंने अपने सभी मंत्रियों को आदेश दिया है कि वे अपनी निजी गाड़ियों में लाल बत्ती का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

☛राज्य के मुख्यमंत्री ने सभी उच्च पदाधिकारियों को ये निर्देश दिया है कि वे जल्द से जल्द उन लोगों पर सख्त से सख्त कार्यवाही करें, जो राज्य सरकार के दिशा निर्देश का पालन नहीं कर रहे है और अवैध कसाई खानों को अभी भी चला रहे हैं.

☛भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र में राममंदिर निर्माण का भी ज़िक्र और निर्माण को लेकर माननीय न्यायालय के फैसले के उपरान्त बहुत ही साहसिक व सराहनीय कार्य किया।

आपकी खासियत:-

☛योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी ख़ासियत जनता से सीधा संवाद और संपर्क रखते हैं लोग उनमें महंत दिग्विजयनाथ के तेवर और महंत अवैद्यनाथ का सामाजिक सेवा कार्य का जोग देखते हैं. वह कहते हैं कि गोरखनाथ मंदिर के सामाजिक कार्यों का जनता पर काफ़ी असर है।

प्रदेश में किसी भी पार्टी की सरकार हो लेकिन सिक्का तो गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ का चलता है। योगी की एक ललकार पर जनता सड़क पर उतर जाती है। योगी आदित्यनाथ ने जब भी किसी मुद्दे को लेकर सरकार से बगावत की है अंत में सरकार को ही झुकना पड़ा है। 

☛योगी आदित्यनाथ के दरबार से कोई खाली नहीं जाता है। गोरखपुर के लोगों की समस्या का जब कही समाधान नहीं मिलता है तो वह अपने सांसद योगी आदित्यनाथ के पास जाते है ओर मिनटो में उनकी समस्या का समाधान हो जाता है। गोरखपुर की जनता का योगी से इतना अधिक जुड़ाव है कि वह लागातार पांच बार से सांसद रहे हैं। 

☛योगी आदित्यनाथ के पास दुश्मनों की भी कमी नहीं है। 7 सितम्बर 2008 में योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जबरदस्त हमला हुआ था। उस हमले में योगी आदित्यनाथ बाल-बाल बचे थे। हमला इतना जबरदस्त था कि हमलावरों ने सौ से अधिक वाहनों को घेर कर लोगों को लहुलुहान कर दिया था। ऐसे हमलो ने भी योगी की राह नहीं रोकी ओर वह पहले की तरह ही जनता की सेवा करते रहे।

योगी जी की बात समर्थकों के लिए कानून होती:- समर्थको के दिल में योगी आदित्यनाथ के प्रति कितना प्रेम है कि योगी जो बोल देते है वह समर्थको के लिए कानून होता है। गोरखनाथ मंदिर के महंत व सांसद योगी आदित्यनाथ जब मंदिर से ऐलान करते है तो उसी दिन होली व दीपावली मनायी जाती है।

कोरोना काल:-

उत्तर प्रदेश में एक ओर जहां कोरोना का कहर बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ कोरोना कन्ट्रोल के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं। कोरोना पर नियंत्रण और प्रदेश के लोगों की सुविधा के लिए बनाई गई टीम-11 के साथ मीटिंग में सीएम योगी लगातार प्रदेशवासियों की सुविधाओं-समस्याओं से जुड़ी अपडेट ले रहे हैं।

☛लेकिन इन सबके बीच कोरोना काल में जिस तरह से सीएम योगी ने उन मजदूरों को संभाला है, जिन्होंने देश बनाने में 'श्रमशक्ति' लगाई है वह काबिल-ए-तारीफ है। सीएम योगी ने बिना राज्य आधारित नागरिकता का भेदभाव किए इन मजदूरों की सुविधा-सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाई है।

☛जिन मजदूरों को पश्चिम बंगाल, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों ने अपने हाल पर छोड़ दिया था, उनके लिए यूपी के सीएम का 'श्रमयोगी' अवतार एक मिसाल बनकर उभरा है। दूसरे राज्यों से पैदल चलकर अपने घर पहुंचने की जुगत में लगे प्रवासी मजदूरों के लिए यूपी में जिस तरह की व्यवस्थाएं की गई हैं, उनकी तारीफ ये मजदूर भी कर रहे हैं।

योगी जी के सम्मान में:-

☛आप एक अवतारी व दिव्य पुरुष हैं आपका जीवन देश व समाज के लिए समर्पित है। आपकी जीतनी प्रशंसा किया जाय कम होगी राजनीतिक परिवेश में कई बार सांसद, मंत्री व आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के बावजूद भी आपका जीवन बहुत ही साधारण है साथ ही आपका परिवार अपने पुराने जीवन शैली में अपने अपने जगह पर कार्य कर रहे हैं। इससे बड़ी बात आपके जीवन में और क्या होगी।

☛जहाँ आज के इस राजनीतिक लूट खसोट के परिवेश में अगर कोई विधायक बन जाता है तो अकूत धन सम्पदा बटोरने में लग जाता ऐसे लोगों के परिवार का रहन सहन बदल जाता है परन्तु आप में तनिक भी बदलाव नहीं है आप तब भी योगी थे और आज भी योगी है। हमारी नजर से आपको केन्द्र की राजनीति में भी अहम भूमिका अदा करना है। आपको अग्रिम बधाई एवं शुभकामना।

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✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)



Tuesday, 2 June 2020

बुजुर्ग और बच्चा एक समान

बुजुर्ग और बच्चा एक समान
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बुजुर्ग और बच्चा एक समान!
बुजुर्ग को बच्चा तुम भी जान।
छोड़ दे प्यारे उनको समझाना!
उनके साॅचे में खूद को ढ़ालना।
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चलो यह माना गलत है आदत!
क्या पाओगे उनको सुधार कर।
चली चला के बेला में क्या पाना!
जो लगे इतना उनको समझाना।
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बच्चों के साथ बड़े बन जाते हैं!
बुजुर्ग के साथ बच्चे बने रहते हैं।
कभी वो हमारे माता पिता होते!
हमें माता पिता के रोल में आना।
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उनसे उलझना  खुशियां खोना!
मान प्रतिष्ठा कुटुम्ब का गिराना।
वही अवस्था जब खूद पे आना!
तड़प तड़प जीते जी मर जाना।
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गलती हम यहां आज कर गये!
संस्कार भविष्य को यही दे रहे।
मन से सोचो क्या होगा अपना!
उमर हांथ पांव शिथिल करेगा।
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जब अपने खूद बुजुर्ग होजाना!
आज का दिन कल रूलाएगा।
यहाँ की करनी यहीं पर भरना!
स्वर्ग नरक सब यहीं पर बनना।
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जैसी आदत जी लेने दे जीवन!
वैसे ही अब चल तु भी रमजा।
माना कि जीवन गलत जीया!
क्या याद कर उसे बदल देगा।
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मानव आचरण बनाए ही ऐसा!
ईश्वर सब कुछ सोच के रखता।
बिन महिमा पत्ता नहीं हिलता!
उसकी लेखनी इंसान कोसता।
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एक भी आंसू टपके बुजुर्ग के!
संकट घर में व्याप्त ही रहता।
बीती बात अब बिसार दे प्यारे!
मौका है शेष भविष्य संवार ले।
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कुदरत की लाठी नहीं बोलती!
दंड इंसान को कब कैसे देती।
शब्दों से खूद को दुखी न करना!
व्याकुल वेदना लिये लिख डाला।
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कविता का भाव :-
☛आज हमारे समाज में ज्यादातर मनःस्थिति ऐसी हो चुकी है कि जैसे वह बीमार व घुटनों के बल आ गयी हो, इंसान को इंसान के भावना व सोच विचार से कोई वास्ता व सरोकार ही नहीं हैं। आज के दौर में अपने समाज में बुजुर्गों के साथ सामंजस्य स्थापित करना इंसान के लिए बहुत ही जटिल हो गया है।
☛हमारे और हमारे बुजुर्गों के बीच जो असमानता की स्थिति पनप रही है उसके पिछे मुख्य कारण यह है कि हम उनके जीने के तरीके उनकी बोली भाषा एवं बात विचार पर अंकुश लगाना चाहते हैं तथा उनके साथ बिताए पुराने दुखद लम्हों को याद कर खुद भी दुखी होते हैं और उन्हें भी दुखी कर देते हैं।
☛जबकि वास्तविकता तो यह है कि एक समय व अन्तराल के बाद बुजुर्ग की मनःस्थिति बच्चों वाली हो जाती। मानव प्रवृत्ति है बच्चों के साथ हर संभंव सहज संबंध स्थापित कर लेता परन्तु एक बुजुर्ग के साथ नहीं कर पाता और हम उसे समझाने व सुधारने लग जाते हैं। तभी घर में तकरार बर्बादी की स्थिति बन जाती है। 
☛हकीकत व वास्तविकता कलह का यह है कि बच्चों के साथ हम बड़े तो बन जाते परन्तु अपने बुजुर्गों के साथ हम खूद को बच्चे ही बनाए रखते हैं। यही सोच आज परिवारों में कलह की जननी बनी है। करना व होना यह चाहिए कि माता पिता के चली चला के बेला में हमें जगह बदलना हैं हमें उनके साथ अब माता पिता की भूमिका में अपने को लाना होगा तभी बुजुर्ग व परिवार सुखी होगा।
☛जिस इंसान का पूरा जीवन व्यतित हो चुका हो जब शेष जीवन ही रह गया हो तो ~ 
क्या उसकी आदतों व बात विचार व व्यवहार को सुधारा जा सकता है? 
कभी विचार किया यदि सुधार भी लिए तो पाएंगे क्या? 
क्या पुरानी बातों को याद कर हमारा वर्तमान या भविष्य सुधर जाएगा?
क्या बीते दुखद बातों का बार बार उलाहना से वो दिन वापस आएंगे?
क्या हमें अपने भविष्य व आने वाले बुजुर्गियत का ज्ञान नहीं?
क्या हम अपना भविष्य भी ऐसा चाहते हैं?
क्या इतने जड़ हो गए कि अपनी आदत नहीं बदल सकते?
☛वो जैसे हैं वैसे ही रहने दो उनको सुधारने व समझाने से अच्छा खूद को समझा व सुधार लो। बीते दिनों को भूलाकर अपने वर्तमान व भविष्य को सुधारने का काम करें हम बुजुर्गों के साथ इस तरह का व्यवहार कर अपने पैर में कुल्हाड़ी मार रहे हैं। हम अपने भविष्य को यही करने की शिक्षा दे रहे हैं अपितु उनको साथ लेकर करवा रहे हैं। अत्यन्त ही दुखद व विनाशी क्रियाकलाप है।
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✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)


Monday, 1 June 2020

मनवे बा दोषी..

मनवे बा दोषी..
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मनवे बा दोषी भईया बिगाड़े घर परिवरवा!
दिमगवो कुंद बा तबै चढ़ल रहेला तेवरिया।

बुरा भला कह देले से मन खुश हो जाला!
तो आनन्द ला काहे को सोचेल जर जाल।

मन में कोही क बुराई  मत रखे हो लाला!
खुशी मिली मन के झट से सूनाए दीहा।

मन ससुरा चलनी हव रोके नाही पावेला!
अगर संभाल लेत मनवा पूजाईल न जात।

मनवे शरीरिए पूजवाए मनवे ही थुथूरावे!
मनवा रही कमजोर दिमगवे हल्लूक होवे।

बुरा भला कह देले से मन खुश हो जाला!
तो आनन्द ला काहे को सोचेल जर जाल।

बहुत दुकहड़ा मन बा खुशी बदे कह देला!
खुशी बदे मनवा अपनों से नाता तोड़ेला।

प्रतिभावान हव भाई अच्छाई घोंटी जाला!
बुराई ऐसे छटकाई जईसे दाँते तर कंकड़।

मन क चाल ऐसन बा खुशी बदे लात खाई!
दूसरे क कमी निकारी आपन करी ढ़ीठाई।

बुरा भला कह देले से मन खुश हो जाला!
तो आनन्द ला काहे को सोचेल जर जाल।

जरा बुता तु ही सोचा उ त हल्लूक हो गईलन!
कहली याद न रखली दिमागे हल्लूक हवला।

विकट स्वभाव तबे गड़गड़ाला पावर हाउस!
करिहन कच्चाईन खाईके मेथी अजवाईन।

आपन भूला जहीयन  कहले रहीयन  दादा।
ओकरे बादो कोस कोस रोईहन बरहो घड़ी!

बुरा भला कह देले से मन खुश हो जाला!
तो आनन्द ला काहे को सोचेल जर जाल।

मनवे बा दोषी भईया बिगाड़े घर परिवरवा!
दिमगवो कुंद बा तबै चढ़ल रहेला तेवरिया।
💥💥
लेखनी का भाव :-
☛इंसान के जीवन में अधिकांशतः कलह उसके स्वयं के ही बात विचार, व्यवहार व आचरण से ही उत्पन्न होता है। अधिकांशतः मानव समाज की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि वह कभी भी कोई भी बात व्यवहार यह सोच कर कत्तई नहीं करता कि इसका परिणाम सामने वाले पर कैसा होगा।
☛जो मन में आया, जैसे आया और जब भी आया उस पर बिना विचार किए, बिना सोचे पलटवार कर दिए। ऐसा इंसान तनिक भी परिणाम को नहीं सोचता कि जिसे हम कह सून रहे हैं उस पर क्या असर होगा और सामने वाले की प्रतिक्रिया हमारे साथ क्या होगा?
☛वह इस बात से प्रसन्न हो जाता कि आज हमने उसको नीचा दिखाया, उसको बहुत भला बुरा कहा। ऐसा सोच कर व कह कर, उसकी छवि के बजाय इंसान अपनी छवि खराब करता और अपना बहुत बड़ा नुकसान करता; वो ऐसे उसने तो सून लिया परन्तु आपकी बुरी आदत को बल मिलेगा आगे बड़ी गलतियां करता जाएगा और उसकी दुनिया धीरे धीरे संकुचित होता जाएगा।
☛हर क्रिया का प्रतिक्रिया होता है अगर सही है तो सही प्रतिक्रिया होगा अगर गलत है तो गलत प्रतिक्रिया होगा। गलत होने पर हम उसे नानस्टाप हर किसी के साथ प्रसारण में लग जाते फिर परिणाम भयंकर होता ही चला जाता तत्पश्चात समस्या सुलझने के बजाय ऊलझता चला जाता और लाईलाज हो जाता फिर तो जीवन के साथ ही जाता।
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myheart1971.blogspot.com
✒.......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

ससुराल मायका बहू बेटी...

ससुराल मायका बहू बेटी... 🍁🍁   ससुराल मायका बहू बेटी! दोनों जहान आबाद करती। मायके से ट्यूशन गर लिया, दुखों का जाल बिछा लेती। जहां कभ...