फिक्र अपनों का कद्र करता चल।
♨♨
अपने हैं फिक्र में हर वक्त रहते हैं!
फिक्र अपनों का कद्र करता चल।
तड़प क्यों न हो स्नेह जो करते हैं!
उन्हें भरोसा हो आगाज़ देता चल।
जो प्रेम करते हैं वही चाह रखते हैं!
उनके चाहत को गले लगाता चल।
कामयाबी यहाँ संघर्ष से मिलती है!
न सोच न रूक संघर्ष करता चल।
अपने हैं हैसियत बखूबी जानते हैं!
उनका आशीष लेकर चलता चल।
साथ रख दुशवारियाँ न ले उनका!
तुझे कामयाब देखेंगे चलता चल।
अपने हैं फिक्र में हर वक्त रहते हैं!
फिक्र अपनों का कद्र करता चल।
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✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
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