गाली कऽ कई रूप है भईया
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गाली कऽ कई रूप है भईया
कहा तऽ तोहें सुनाई हो....
मनवा तोहसे जुड़ल रहेला
टोके से तु बाज न आवेला
बिना बुद्धि क बात करेला
एही से गदहवन पसंद आवेलन
दिमाग आपन खूब दौड़ावेला
नियमवो क ध्यान रखबा हो
बतावा अब तोहें के पढ़ाई।
गाली कऽ कई रूप है भईया
कहा तऽ तोहें सुनाई हो....
भीतरी गाली व बहरी गाली
डिपेण्ड करेला कईसन हौवऽ
हौवा मजबूत भीतरिए गरियाईब
कमजोरी पे बहरी जोर चिल्लाईब हो
ईज्जत हौव न बचल रहिया भईया
कौनों काम कौनों बात ऐसन न करिह
भीतरी बहरी गरिया के कोई जाई हो।
गाली कऽ कई रूप है भईया
कहा तऽ तोहें सुनाई हो....
लोकतंत्र हौव, चपले रहा कोपतंत्र
एम्मन तनिखों नाही मनाहीं हौव।
दिमाग देहलन भगवान हो भईया
ओकर लाज तऽ बचाईं हो
मानुष हौव भीतरे ईश्वर
ओन्हे जिन बहरियाईं हो
गरिमा ओनके बढ़ाईं हो....
गाली कऽ कई रूप है भईया
कहा तऽ तोहें सुनाई हो....
कुल खेला जबनिए क हौव
कोशिश करीं, माला तोहें पहनाईब हो।
♨♨
उपरोक्त पंक्तियों का भाव:-
☛उपरोक्त पंक्तियों को व्यंग्यात्मक तौर से रचित है। अज्ञानता और नफ़रत दोनों अगर किसी इंसान के अन्दर मौजूद है तो उसे देशी कहावत से बखूबी समझ जायेंगे "एक तऽ तित लौकी दूजे नीमी पर" अर्थात अज्ञानता तो विषाक्त तो है ही नफ़रत जूड़ जाए तो महा विनाशक हो जाएगा।
☛उपरोक्त अवगुण इंसान को हर तरह से संकूचित व विनाश करता है साथ ही समाज को भी क्षति पहूँचाता है। क्योंकि हर बात व कार्य में सकारात्मक व रचनात्मक दृष्टिकोण व रवैया अपनाने में अक्षम होते हैं।
☛ऐसे व्यक्ति समस्या उत्पन्न होने पर उसके निराकरण व प्रतिकूल स्थितियों में अपने को व्यवस्थित करने व उसमें ढ़लने पर तनिक भी नहीं सोचते। उनका संकल्प सिर्फ विरोध और उलाहना पर केन्द्रित हो जाता।
✒...... धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
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