नफ़रत का परिणाम...
♨♨
नफ़रत से कुछ भी हासिल न होगा....
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।
नफ़रत का बीज जेहन में डाल कर देखना
रातों की नींद हराम न हो जाए तो कहना
पागल दिमाग न हो जाए तो कहना
अपना पराया न हो जाए तो कहना
चेहरा कुरूप न हो जाए तो कहना
ब्लड संतुलन बिगड़ न जाय तो कहना।
नफ़रत से कुछ भी हासिल न होगा....
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।
नफ़रत से हासिल क्या होगा इसे भी समझो
गलत बोल अपने ही सपनों को चूर करेगी
नफ़रत तुम करोगे अपनों से दूर होगे
पालो न भरम अपने दिलों दिमाग में
नफ़रत में इंसान तबाही ही गढ़ता
रातों की नींद दिन का सुकून ही हरता।
नफ़रत से कुछ भी हासिल न होगा....
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।
रातों को करवट बदलने से तो अच्छा
झूठा ही सही पर गुड नाईट बोलना
नफ़रत स्वभाव में ज़हर घोल देती
छुएगी जभी असर बुरा ही करेगी
नफ़रत जहरीला धुँआ ही समझना
जबतक रहेगी परेशान करती रहेगी।
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।
नफ़रत से हासिल क्या होगा इसे भी समझो
गलत बोल अपने ही सपनों को चूर करेगी
नफ़रत तुम करोगे अपनों से दूर होगे
पालो न भरम अपने दिलों दिमाग में
नफ़रत में इंसान तबाही ही गढ़ता
रातों की नींद दिन का सुकून ही हरता।
नफ़रत से कुछ भी हासिल न होगा....
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।
रातों को करवट बदलने से तो अच्छा
झूठा ही सही पर गुड नाईट बोलना
नफ़रत स्वभाव में ज़हर घोल देती
छुएगी जभी असर बुरा ही करेगी
नफ़रत जहरीला धुँआ ही समझना
जबतक रहेगी परेशान करती रहेगी।
नफ़रत से कुछ भी हासिल न होगा....
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।
माना कि कमियाँ बताना भी जायज होता
पर जो सही है जायज है अच्छा करे है
उसका प्रोत्साहन व उत्साह बढ़ाओ
गलतियां को रोको सही को बढ़ाओ
सही का खिलाफ़त कर क्या पाओगे
नफ़रत को समझो और कारण पहचानों।
नफ़रत से कुछ भी हासिल न होगा....
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।
नफ़रत को समझो और कारण पहचानों।
नफ़रत से कुछ भी हासिल न होगा....
चाहे जोर आजमाईश जितना भी कर लो।
♨♨
कविता का भाव :-
☛नफ़रत बहुत ही विचित्र समस्या है जिसका प्रादुर्भाव इंसान के दिल व दिमाग से ही होता है। नफ़रत का अपना कोई मानक नहीं होता यह इंसान के स्वयं के मनःस्थिति पर निर्भर करती है।
☛इसके जद में जो भी आता समझो स्वयं के पतन का मार्ग प्रशस्त कर लेता है क्योंकि नफ़रत की विशेषता ही ऐसी है जो बुराईयों पर आतुर व ललाईत रहती है। इंसान सदैव बुराईयों के बीच अपने को रखता और वैसा ही अपने आचार विचार व स्वभाव को बना लेता।
☛परिणामस्वरूप नफ़रत में इंसान अच्छाईयों से विमुख होता चला जाता तत्पश्चात जीवन में कुरूपता का होना स्वभाविक है।
♨♨
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.