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Monday, 15 June 2020

सुशांत तुम क्यों शान्त हो गए.......

सुशांत तुम क्यों शान्त हुए....

(पिछले वर्ष की रचना)
🌹🌹
कलाकार  जीवन खूब होता,
दर्द  छुपाए खुशियां  बाटता।
ईज्जत शोहरत कद सम्मान,
चारचाँद  जीवन  में लगाता।
जीवन में दुखी सवाल दे गए, क्यों तुम ऐसे शान्त हो गए..?

तुम  सुशांत श्रेष्ठ अदाकार थे,
युवा  प्रेरणा  स्रोत आधार थे।
तेरी  छवि  हर एक अदा पर,
रहते फिदा युवा अपनाते थे।
जीवन में दुखी सवाल दे गए, क्यों तुम ऐसे शान्त हो गए..?

ऐसा क्या था खामोश हो गए,
इतने  कमजोर  कैसे हो गए।
विश्वास  बिलकुल नहीं होता,
स्नेह प्यार पर  पाप कर गए।
जीवन में दुखी सवाल दे गए, क्यों तुम ऐसे शान्त हो गए..?

मौत की आहट  से मन कांपे,
तुमने  सहज  ही गले लगाए।
कैसी वेदना मौत सरल लगा,
था दर्द कैसा कायर बन गए।
जीवन में दुखी सवाल दे गए, क्यों तुम ऐसे शान्त हो गए..?

किसी के बेटे  भाई किसी के,
चहेते सभी के प्यारे सभी के।
तुझे याद नहीं आई मोहब्बत,
तुमसे  जोड़ संजोए थे सपने।
जीवन में दुखी सवाल दे गए, क्यों तुम ऐसे शान्त हो गए..?

मालूम  है  अब  तुम  नहीं रहे,
कसक है विश्वास नहीं हो रहे।
अपनों  के  जज्बात  स्नेह को,
जीते जी तुम सबको मार गए।
जीवन में दुखी सवाल दे गए, क्यों तुम ऐसे शान्त हो गए..? 15/06/2020
🍁🍁
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

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