मनवे बा दोषी..
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मनवे बा दोषी भईया बिगाड़े घर परिवरवा!
दिमगवो कुंद बा तबै चढ़ल रहेला तेवरिया।
बुरा भला कह देले से मन खुश हो जाला!
तो आनन्द ला काहे को सोचेल जर जाल।
मन में कोही क बुराई मत रखे हो लाला!
खुशी मिली मन के झट से सूनाए दीहा।
मन ससुरा चलनी हव रोके नाही पावेला!
अगर संभाल लेत मनवा पूजाईल न जात।
मनवे शरीरिए पूजवाए मनवे ही थुथूरावे!
मनवा रही कमजोर दिमगवे हल्लूक होवे।
बुरा भला कह देले से मन खुश हो जाला!
तो आनन्द ला काहे को सोचेल जर जाल।
बहुत दुकहड़ा मन बा खुशी बदे कह देला!
खुशी बदे मनवा अपनों से नाता तोड़ेला।
प्रतिभावान हव भाई अच्छाई घोंटी जाला!
बुराई ऐसे छटकाई जईसे दाँते तर कंकड़।
मन क चाल ऐसन बा खुशी बदे लात खाई!
दूसरे क कमी निकारी आपन करी ढ़ीठाई।
बुरा भला कह देले से मन खुश हो जाला!
तो आनन्द ला काहे को सोचेल जर जाल।
जरा बुता तु ही सोचा उ त हल्लूक हो गईलन!
कहली याद न रखली दिमागे हल्लूक हवला।
विकट स्वभाव तबे गड़गड़ाला पावर हाउस!
करिहन कच्चाईन खाईके मेथी अजवाईन।
आपन भूला जहीयन कहले रहीयन दादा।
ओकरे बादो कोस कोस रोईहन बरहो घड़ी!
बुरा भला कह देले से मन खुश हो जाला!
तो आनन्द ला काहे को सोचेल जर जाल।
मनवे बा दोषी भईया बिगाड़े घर परिवरवा!
दिमगवो कुंद बा तबै चढ़ल रहेला तेवरिया।
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लेखनी का भाव :-
☛इंसान के जीवन में अधिकांशतः कलह उसके स्वयं के ही बात विचार, व्यवहार व आचरण से ही उत्पन्न होता है। अधिकांशतः मानव समाज की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि वह कभी भी कोई भी बात व्यवहार यह सोच कर कत्तई नहीं करता कि इसका परिणाम सामने वाले पर कैसा होगा।
☛जो मन में आया, जैसे आया और जब भी आया उस पर बिना विचार किए, बिना सोचे पलटवार कर दिए। ऐसा इंसान तनिक भी परिणाम को नहीं सोचता कि जिसे हम कह सून रहे हैं उस पर क्या असर होगा और सामने वाले की प्रतिक्रिया हमारे साथ क्या होगा?
☛वह इस बात से प्रसन्न हो जाता कि आज हमने उसको नीचा दिखाया, उसको बहुत भला बुरा कहा। ऐसा सोच कर व कह कर, उसकी छवि के बजाय इंसान अपनी छवि खराब करता और अपना बहुत बड़ा नुकसान करता; वो ऐसे उसने तो सून लिया परन्तु आपकी बुरी आदत को बल मिलेगा आगे बड़ी गलतियां करता जाएगा और उसकी दुनिया धीरे धीरे संकुचित होता जाएगा।
☛हर क्रिया का प्रतिक्रिया होता है अगर सही है तो सही प्रतिक्रिया होगा अगर गलत है तो गलत प्रतिक्रिया होगा। गलत होने पर हम उसे नानस्टाप हर किसी के साथ प्रसारण में लग जाते फिर परिणाम भयंकर होता ही चला जाता तत्पश्चात समस्या सुलझने के बजाय ऊलझता चला जाता और लाईलाज हो जाता फिर तो जीवन के साथ ही जाता।
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✒.......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
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