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Sunday, 21 June 2020

बन जाना चाहे कलेक्टर.....

बन जाना चाह कलेक्टर.....
♨♨
चाहे बन जाना कलेक्टर, अपनों बीच छोटे रहना।
पद प्रतिष्ठा मिल जाए, अभिमान कभी न करना।।

युवा आज पढ़ लिख कर, काबिल बन तो रहा है।
पर अच्छा बिलकुल नहीं, अभिमानी बन रहा है।।

जिन्दगी  का  जब  अपने, भरोसा  नहीं  रहा  है।
क्यों रहते मगरूर इतने, गुरूर रावण नहीं रहा है।।

जहाँ जो जैसा रहता हो, व्यवहार वैसा ही करना।
वहाँ योग्यता का अपने, दिखावा कभी न करना।।

शालीनता  सबको  भाता,  मृदभाषी  बन  रहना।
हृदय में होगा तेरा स्थान, तीखे वचन न कहना।।

बुद्धिमता का प्रदर्शन, बिना जरूरत नहीं करना।
जिन्दगी में बढ़े सौम्यता, पहचान इसकी करना।।

सुखी जिन्दगी की नैय्या, व्यवहार ही है खेवईया।
जीवन डगमग जब होता, करेगी पार यही भईया।।

याद हमें बस यही रखना, मूल से जुड़ कर रहना।
रहेगा सुन्दर तन मन, जहान का सुन्दर बनना।।

चाहे बन जाना कलेक्टर, अपनों बीच छोटे रहना।
पद प्रतिष्ठा मिल जाए, अभिमान कभी न करना।।
♨♨
myheart1971.blogspot.com
✒...... धीरेन्द श्रीवास्तव "धीर"



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