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Saturday, 30 May 2020

बीमार मनः स्थिति...

बीमार मनः स्थिति...

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वो न करे बस हमी करें...?

वो नहीं आता तो हम क्यों जाएं...?

वो बात नहीं करता तो हम क्यों करें...?

~~

☛इंसान के जीवन में बीमारी का गहरा नाता है। हम शारीरिक बीमारी पर ध्यान तो देते हैं और उससे बचने के लिए अंग्रेजी, हिन्दी व आयुर्वेदिक, योग, प्रणायाम तमाम व्यवस्थाओं को अपनाते हैं।

☛परन्तु कुछ ऐसी भी बीमारियां हैं जो हमारे जिन्दगी, हमारे जीवन शैली, हमारे जीने के तरीके, हमारी बोली भाषा, हमारी सोच और हमारे संबंथों से जुड़े हैं।

☛असल में मनःस्थिति में पनपने वाली बीमारी इंसान को मानसिक तौर पर बीमार व असहाय कर देती हैं जिस पर समय रहते ध्यान न देने से खूद का भी और आप से जुड़े लोगों का भी जीवन बहुत ही खतरनाक, लाईलाज नासूर बन जाता है जो इंसान को खोखला बना देता। इंसान के पास सब कुछ होने के बाद भी चंद विवशता व मजबूरी वाले लोगों का ही साथ रह जाता है।

☛वास्तव में ईगो से प्रेरित बीमारी सबसे ज्यादा ही खतरनाक है और हम इस बीमारी पर न तो कभी सोचते हैं और न ही कभी ध्यान देते हैं; ईलाज तो बहुत दूर की बात है। इंसान अपने जीवन में अनवरत उसी आदत व उसी सोच और उन्ही बीमार कर देने वाले शब्दों के साथ जीवन जी रहा होता है।

☛फलस्वरूप घर परिवार, समाज व देश में तमाम विसंगतियां पनप रही है। आज हर जगह घृणा, द्वेष, कलह, नफरत व स्वार्थ में हर इंसान तल्लीन है। जिसकी वजह से पूरी मानवता भयक्रांत, विभत्ष, आक्रोश, वेदना, नफरत, उद्वेलित और विचलित कर देने वाले समाज में जी रहा।

☛उपरोक्त सारी समस्याएं पढ़े लिखे व विद्वत समाज में ज्यादा ही देखने को मिल रहा है। कैसे हर इंसान आज संस्कार विहिन हो गया है अदब लेहाज से वंचित होकर जीतने भी निक्रिष्ट कार्य है करने में गर्व महसूस कर रहा।

☛जैसे जैसे शिक्षा का स्तर बढ़ रहा, योग्यता बढ़ रही व जागरूकता बढ़ रही इंसान के लिए बहुत अच्छा है परन्तु यहाँ हमसे गलती यह हो रही कि हम नैतिकता व अपने सनातनी संस्कृति से दूरी बना रहे हैं। सोने पर सुहागा तो तब होता जब इंसान अपनी योग्यता के साथ साथ अपनी नैतिकता व अपने सनातनी संस्कृति को साथ लेकर चलता।

☛बीमारी के अवस्था में इंसान खूद व अपने परिवार के साथ परेशान होता है; परन्तु इंसान के अपने मनः स्थिति के कुसंयोजन और गलत तौर तरीकों से घर परिवार, समाज व राष्ट्र सब परेशान होता। अगर गहराई में विचार करें तो वर्तमान में 'आतंकवाद' व 'कोरोना' इसका दुष्परिणाम है। 

☛बेहतरीन तो तब और होता जब इंसान अपने जिन्दगी, अपने जीवन शैली, अपने जीने के तरीके, अपने बोली भाषा व अपनी सोच और अपने संबंथों पर इतना सजग रहता। 

☛शारीरिक बीमारी में अनगिनत रुपए खर्च करता है परन्तु मनःस्थिति का निःशुल्क ईलाज उस पर नित मनन, चिन्तन योग से उसे स्वच्छ व सुन्दर नहीं कर पाता।

👇

किसी ने खूब कहा है :-

"जब 'घमंड' व 'पेट' बढ़ता तो इंसान चाह

कर भी किसी को गले नहीं लगा सकता।"


~~💥🦀💥~~


Severe disease state of mind…?

🦀

He should not just do it ... 

If he doesn't come then why should we go ...?

If he doesn't talk then why should we ...? 

🦀

☛There is a deep connection with illness in the life of human. We pay attention to physical illness and to avoid it, we adopt all resources like English, Hindi and Ayurvedic, Yoga, Pranayam.

☛But there are some diseases which are related to our way of life, our way of living, our dialect language, our thinking and our connections.

☛In fact, the mind-boggling disease makes a person mentally ill and helpless, due to which, due to not paying attention in time, the life of the people themselves and the people associated with you also becomes very dangerous, incurable and cancer which makes a person hollow. Makes it Even after having everything with a human being, people remain with some helplessness and compulsion.

☛In fact, the disease induced by ego is the most dangerous and we neither think nor pay attention to this disease; Treatment is very far away. A person is living a life in his life with the same habit and the same thinking and the same words that make him sick.

☛As a result, there are many inconsistencies in the family, society and country. Today, every person is engrossed in hatred, discord, hatred and selfishness. Because of which the whole humanity lived in a society full of fear, anger, resentment, anguish, hatred, excitement and disorientation.

☛All the above problems are being seen more in the educated and educated society. How every human being has been shattered today, being deprived of admiration Lehaj and taking pride in winning even the worst work.

☛As the level of education is increasing, qualification is increasing. Awareness is very good for the human being, but here we are making a mistake that we are keeping distance from morality and our eternal culture. The icing on the cake would have happened when a human would have taken his morality and his old culture along with his ability.

☛In the state of illness, the person and family are troubled, but the misfortune of his state of mind and the ways and means of the family, society and nation would be disturbed. If we consider in depth, then terrorism and corona are the ill effects. 

☛It would have been better if human beings had been so aware of their way of life, their way of living, their dialect language and their thinking and their relationships.

☛Spending countless rupees in physical illness, but free treatment of the state of mind cannot be made clean and beautiful by meditating on it, thinking yoga.

☛Someone has said: - 

"When pride and stomach grows,

human desire Can't even hug anyone."

🦀🦀

myheart1971.blogspot.com

✒.......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)




दर्द अपना कोई बताए भी तो कैसे ?

दर्द अपना कोई बताए भी तो कैसे ?

💥💞

दर्द अपना तुम आते ही सुना देते हो!

दर्द अपना कोई बताए भी तो कैसे?


चकित हूँ शक अपने पर हो जाता है!

दर्द का भागी कभी बनाया तो नहीं है?


मैं कैसा हूँ जाने क्यों समझ नहीं पाते!

मैं सही नहीं हूँ या तुम सही नहीं हो?


दूसरों के लिए हर असूल तोड़ देता हूँ!

अपने पर असूलों से जकड़ जाता हूँ?


शराफत से अब जी कर थक चुका हूँ!

तुम तो शराफत समझते ही नहीं हो?


दर्द अपना तुम आते ही सुना देते हो!

दर्द अपना कोई बताए भी तो कैसे?


माना की मजबुरियां तुम्हारी भी होंगी!

फिर हमदर्द का मतलब ही बता देते?


दर्द तब होता संबंध परख नहीं पाते!

साथ जीने का मतलब फिर बता देते?


मोहब्बत तो करते हमको यकीन है!

मेरी मोहब्बत पर कैसे यकीन करोगे?


जमाने की बेरूखी सहन हो जाती हैं!

तुम्हारी बेरूखी क्यों दहला देती है?


दर्द अपना तुम आते ही सुना देते हो!

दर्द अपना कोई बताए भी तो कैसे?

💥💥

लेखनी का भाव:-

☛समाज है यहाँ हर तरह के व हर सोच व तमाम विचारधारा के शख्सियत होते हैं किसी के लिए कोई बात बहुत सहज व आम तरह की होती है तो किसी दूसरे के लिए वही बात बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती। इंसान के जेहन में यह फरक उसकी विस्तृत, उच्चस्थ व दूरस्थ सोच की देन है।

☛मानव स्वभाव भी कई तरह का होता है चालाक भी होता तो कुछ शातिर भी कुछ तो जरूरत से ज्यादा ही चालाक व शातिर होता हैं। जरूरत से ज्यादा ही संबंधों के लिए घातक होता है।

☛उनकी कमी एक यह भी होती की वह हर व्यक्ति को अपने जैसा ही समझ कर जहाँ दिल का इश्तेमाल करना हो वहाँ दिमाग का करते हैं और जहाँ दिमाग का करना चाहिए तो वहाँ दिल का करते हैं; सारी गड़बड़ी यहीं से पैदा होना फिर शुरू हो जाता। फिर कोई लाख कोशिश करले सारा माहौल बिगड़ता चला जाता।

✒.......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)




Friday, 29 May 2020

हिन्दू कब जगेगा.....

हिन्दू कब जगेगा.....

🍁🍁              

कब जगेगा कैसे समझेगा हिन्दू,

खंड  खंड  में  बटा  जब  हिन्दू।

राजनीति पार्टी  बीजेपी कांग्रेस,

सपा  बसपा  में  उलझा   हिन्दू।

                     गर्व से बोलते अपने हिन्दू भाई,

                     हर  कौम के आपस में हैं भाई।

                     अपने में क्या हिन्दू भाई एक है,

                     क्या मंसूबे  देश हित में नेक है।

अपने   हित   फायदे  में चुप है,

चाहे  कटे  मरे  दिमाग  कुंद है।

संगठन  की ताकत नहीं समझे,

बस अपने सुख चैन में खुश है।

                     सशक्त राष्ट्र बुरी नजर नहीं लगते,

                     डर  भय  से  आतताई  दूर रहते।

                     शक्तिशाली  देश  बनना   जरूरी,

                     युद्ध के लिए हो यह नहीं जरूरी।

परखिए  एकजुटता की ताकत,

रहे सुख शांति  मचे न आफत।

अराजक तत्व चुपचाप ही रहते,

खुराफात  का करे न हिमाकत।

                     सशक्तता  में  अनुशासन  होता,

                     अपराध  अत्याचार  नहीं होता।

                     आतंकी  मानसिकता जिस मन,  

                     रहे खौफ में  स्वछंद नहीं होता।

इतिहास साक्षी चंद लूटरे आये,

तोड़  हिन्दुत्व साम्राज्य बनाये।

लड़वाया और कटवाया  हिन्दू,

गद्दार  हिन्दू  ही  शस्त्र  उठाये।

                     क्या  हिन्दू जन एक हो सकेगा,

                     या  अपने  हाथों  गला  घोंटेगा।

                     नहीं   एकजुट  नहीं  एकमत है,

                     राजनीति पार्टी में जड़ खोदेगा।

वोट  की स्वार्थ थी गद्दारों की,

पाँच  सौ बरिस राजनीति की।

राम  सनातनी  देश के प्रतिक,

बड़ी कुर्बानी दिया अपनों की।

                    अब तो  जागो  अब तो जागो,

                    मिला  है कोई साथ निभाओ।

                    होगा  अपना  सुखी  हर कौम,

                    सुख  समृद्धि  देश  में  पाओ।

  🍁🍁


✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

💔 काहे जीयरा छोटा

।।काहे जियरा छोटा।।

<👀>

जीवन एक रैन बसेरा है!

न कुछ तेरा न कुछ मेरा है!

फिर काहे जियरऽ छोटा ?

~~

खाली हाथ हम आएं हैं!

खाली ही हमको जाना है!

फिर काहे जियरऽ छोटा ?

~~

रूपया पैसा साथ न जाई!

धरम करम ही साथ निभाई!

फिर काहे जियरऽ छोटा ?

~~

रामायण बाचे गीता बाचे!

मंदिर रोज भोरहरिया जाके!

फिर काहे जियरऽ छोटा ?

~~

मनवा बा पापी रे भाई!

एकर कुच्छो होए न पाई!

फिर तब्बे जियरऽ छोटा।

~~

जीवन मरण में बिते जाई!

बीचे में कुछ होई न पाई!

राम दुहाई राम दुहाई।

~~

कविता का भाव:-

☆☆इस संसार में जीतने भी जीवात्मा हैं सबको एक समय पर प्रकृति में विलीन हो जाना है। मतलब जो संसार में आया है उसे संसार से एक दिन जाना ही है। आने और जाने के अन्तराल में नियंता द्वारा प्रदत्त अपने दायित्वों व कर्तव्यों का निर्वहन रंगमंच के अदाकार की तरह अपनी अपनी अदाकारी करना है।

☆☆मानव जीवन एक रैन बसेरा है संसार में ईश्वर की मर्जी से आता है ठहरता है और उससे उसके कर्तव्यों का निर्वहन कराता और समय पर वापस बुला लेता।

☆☆इस प्रकार न जिन्दगी अपनी और न कर्तव्य व दायित्व अपना है जिसके बावजूद इस तरह से माया में जकड़े रहता और उसी के वशीभूत होकर अपना सुख चैन नष्ट कर दे रहा हैं।

☆☆संसार में इंसान का कुदरती वस्त्र में आना और जब जाना तो भी पंचतत्व में विलीन हो जाना फिर इस बीच की अवधि में क्या कुछ नहीं करता? धन दौलत की चाहत होनी चाहिए जरूरी है पर कितनी इसका मानक सेट नही कर पाता लालच और लालसा में हित व अनहित को भूला देता और हमेशा व्याकूल व अधिर रहता।

☆☆इंसान का धरम करम ही जीवन के बाद भी उसे जीवित रखता है। धरम करम का अपना एक अलग ही महत्व है पर भरोसा व विश्वास के साथ किया गया होना चाहिए।

☆☆मन का स्वभाव भी विचित्र है जीवन की सारी विधाओं का रास्ता इसी पर निर्भर है। इंसान यहाँ सजग व सहज है तो इंसान के जीवन व मरण के बीच के हर कार्य सहज व सरल अच्छे ही रहेंगे वर्ना आना तो हो चुका है मात्र जाना ही शेष ही है जो शाश्वत है चले जाना है।

💥💥

✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Thursday, 28 May 2020

आत्म चिन्तन....


।।आत्म चिन्तन।।

🤗

छोटी छोटी गूढ़ बातें मन में सदा सुषुप्त ही रहती हैं!

नित चिन्तन व मनन से मन में जाग्रत हो सकती है।


किताब, सत्संग व उपदेश जीवन के सच्चे सारथी हैं!

जीवन की खुशियों के लिए हर पल साधना करनी है।


किताब, सत्संग व उपदेश हमें ज्ञान प्रशस्त कराती है!

इसकी मियाद बस उतनी है जब तक संग सारथी है।


आत्मचिन्तन वह शक्ति है जीवन पर्यन्त तक रहती है!

चिन्तन से मोह छुटा तो दुख का कारण बन सकती है।


आत्म चिन्तन जो सुन्दर है तो जग सुन्दर हो जाता है!

बातों में समरसता आती अभिमान नहीं टिक पाता है।


जीवन पर्यन्त यह ज्ञान रहें आत्म चिन्तन जरूरी है!

चिन्तन से ब्रम्हत्व मिले है! चिन्ता चिता पर ले जाए।


सरल सहज चिन्तन कर जो उपजे मन में जो विचार!

सदैव सुखमय होत है उसका घर परिवार और संसार।

❣❣


कविता का भाव :-

☆☆इंसान के अंदर ही तमाम ऐसी महत्वपूर्ण बात व तथ्य सुषुप्तावस्था में विराजमान रहती हैं परन्तु हम उतना सोचते ही नहीं और न ही कभी सोचने का दृष्टिकोण भी नहीं रखता।

☆☆इंसान के जीवन में उक्त ज्ञान को बढ़ाने के लिए उसके सुखमय जीवन के लिए तमाम ऐसे संसाधन बतौर सारथी हैं जैसे- किताब, सत्संग व उपदेश जो हमारे जीवन को सदैव ही सुख की तरफ ले जाने के लिए अग्रेषित करती है।

☆☆परन्तु हमारी चेतन मन इतना चंचल चलायमान है कि तभी तक नियंत्रित रहती जब तक सारथी इसके साथ रहता वर्ना वह पुन: उसी सुषुप्तावस्था में चला जाता है परन्तु इसके विपरीत यदि मनुष्य अपने स्वयं के बातों व तथ्यों पर चिन्तन व मनन करता है तो उसका यह ज्ञान सदैव के लिए जीवन पर्यन्त तक बना रह सकता फलस्वरूप उसका जीवन से जुड़े हर एक पहलू पर दृष्टिकोण सकारात्मक व स्वच्छ होगा। जिससे उसका परिवेश स्वच्छ व सुन्दर होगा। प्यार व मोहब्बत का सुखद संचरण जीवन भर होगा।

☆☆आत्मचिन्तन वह योग है जिससे व्यक्ति स्वयं तो मजबूत होता है साथ में उससे जुड़े लोग भी सकारात्मकता व दृढ़ता व धैर्यता से मजबूत व होते हैं। ऐसा व्यक्तित्व जीवन के अन्तिम क्षण तक संघर्ष करता है।

☆☆अगर इंसान के पास स्वयं का आत्मचिन्तन नहीं है तो व अवश्य ही विवेक शून्य प्राणी के श्रेणी में आता है और फिर अवसादग्रस्त जीवन जीता है।

💥

.........धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

नफ़रत हटेगी तभी चैन होगी।

नफ़रत हटेगी  तभी चैन होगी।
🏵🏵 
नफ़रत हटेगी  तभी चैन होगी!
प्यार तभी है तभी सुकून होगी।

नफ़रत के आगे  बेबस  हुए हो!
खुशी  सामने  है  पर रो रहे हो।

दिलों में अपने  नफ़रत जमाए!
कैसे खुशी फिर दिल में समाए।

नफ़रत अपना के दंस सहते हो!
क्यों इतनी पीड़ा  तुम ले रहे हो।

नफ़रत की अग्नि में जल रहे हैं!
हासिल किए क्या ये तो बताओ।

नफ़रत हटेगी  तभी  चैन होगी!
प्यार है तभी तभी सुकून होगी।

करीब होना था वो दूर हो गया है!
नफ़रत की अग्नि के भेंट चढ़ा है।

कैसे बताएं  तुम्हे कैसे  समझाएं!
नफ़रत से कुछ भी हासिल नहीं है।

जब तुम प्रेम  परस्पर  अपनाते!
तभी तो सभी से तुम सुख पाते।

प्यार से जीना है नफ़रत हटाओ!
दूरी बनाओ उसे जड़ से मिटाओ।

नफ़रत हटेगी  तभी चैन  होगी!
प्यार तभी है तभी सुकून होगी।
🏵🏵
कविता का भाव:-
☆☆हमारे घर परिवार, समाज व देश में अजीबो गरीब नफरत का माहौल किसी न किसी बात को आधार बनाकर चन्द निज लाभ के निमित्त उत्पन्न किया जा रहा है। नफरत का आलम इस कदर समावेश हो गया है कि व्यक्ति व्याकूल व बेचैन रहने लगा है। जिसका दूरगामी परिणाम बहुत कष्टकारी है चाहे वह घर परिवार हो या समाज या फिर देश हो। नफरत में इंसान पूर्णतया विवेक शून्य हो जाता तो जाहिर है उसके फैसले भी अविवेकी, गलत व शून्य ही होगा।
☆☆इंसान के जीवन में सुकून, प्यार व स्नेह तभी रह सकता है जब हम विवेकशील बनें और सही व गलत पर विचार करे। नफरत ही वो कारण जिससे इंसान को कुछ भी हासिल नहीं होता बल्कि उसके स्वयं का ही नुकसान होता। उसका  उसके घर परिवार में व समाज में तिरस्कार होता है। उसके अपने जो कभी साथ हुआ करते वो सब उससे दूर हो जाते बल्कि यह समझ लीजिए कि नफरत रखने वाला इंसान अपने स्वभाव के कारण खूद को ही सबसे दूर करते चला जा रहा है।
☆☆व्यक्ति विशेष का नफरत घर परिवार व समाज को पतन की ओर अग्रेषित करती है।
🏵🏵
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Wednesday, 27 May 2020

इंसान की समस्या।

इंसान की समस्या

♨♨

पारखी नज़र न रही

दूरदर्शिता भी न रही

धैर्य न  विश्वास  रही

मान न  संस्कार रही

मकसद  बस ये रही

अर्जन हो जाए सही

वर्तमान स्वरूप यही

इज्जत  कर  न पाए

वाणी  मधुर  न  रखें

ज्ञान फिर कैसे  पाए

परिश्रम कर  न पाए

दिमाग चला  न पाए

कहो  समझ  न पाए

धन  फिर  कैसे पाए

बात  बिलकुल खरी

विचार करो तो सही।

♨♨

कविता का भाव:-

☆☆इंसान के जीवन की सर्वभौमिक समस्या स्वयं की सोच और उसका व्यवहार ही है हम उस पर कभी भी गौर नहीं करते और न ही कभी समझने की कोशिश ही करते हैं। समस्याएं हमारी खूद की जनित होती और हम हैं कि दोषी किसी और को ठहराते हैं।

☆☆हम कोई भी कार्य करते करते हैं कोई भी बात करते हैं उसको सही तरीके से परखने का प्रयत्न ही नहीं करते और न ही गंभीर होते हैं।

☆☆कार्य और बात की गति और उससे होने वाले प्रभाव व दूरगामी परिणाम को समझने की कोशिश ही नहीं करते बस त्वरित लाभ व फायदा के चक्कर में अपने दूरगामी सुखद परिणामों से सहज ही वंचित हो जाते हैं।

☆☆आज के दौर में इंसान अपने धैर्य और विश्वास को इतना कमजोर कर लिया है कि थोड़ी थोड़ी परेशानियों और उलझनों से अपना धैर्य व अपनों पर से विश्वास ऐसे खो देता है जैसे पुराने दुश्मन हों।

☆☆पहले की तुलना में आज हम संस्कार विहिन होते जा रहे हैं। उसे न तो अपने मान सम्मान व ईज्जत की चिन्ता है और न ही दूसरों की; परिणाम सुखद हो ऐसी कल्पना कैसे कर सकता है? सोचता भी नहीं कि हमारे इस प्रकार के व्यवहार से हमसे लोग जूड़ेंगे कैसे?

☆☆बोली भाषा में मधूरता न रख पाने के कारण दूसरों से अपने बड़ों से बिना मूल्य चुकाए मिलने वाले प्रेम, स्नेह व ज्ञान से वंचित रहा जाता।

☆☆आज ज्यादातर लोगों की अभिलाषा यही है कि श्रम न करना पड़े, दिमाग न लगाना पड़े व झूकना न पड़े और हमारा हर कार्य व हर मुराद पूरी हो जाए।

✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

जिन्दगी का कदर....

🔥🔥
ऐ जिन्दगी बस इतना समझ ले;
तेरी कदर मौत के डर से ही है।
~
कुदरत का कहर जरूरी ही था!
इंसान खुद को समझे था खुदा।
~
अगर न होता मौत से उसको डर!
इंसान घर में फिर रूके ही कहाँ।
~
शक्ति पर अपने जिसे था गुमान!
कहर से आज ये बेबस लाचार।
~
मरने की तनिक भी फुर्सत न थी!
फुर्सत में कैसे जी रहा ये इंसान।
~
ऐ जिन्दगी बस इतना समझ ले;
तेरी कदर मौत के डर से ही है।
~
बहुत अकड़ बहुत जकड़ में था!
कुदरत ने कैसे तोड़ा सब गुमान।
~
भूलाए बैठा था ईश्वर को इंसान!
आपही के सहारे जीने को तैयार।
~
मुश्किलों का दौर जरूरी ही था!
ईश्वर को तभी पहचाने ये इंसान।
~
तेरे महत्व को डर ने समझाया!
अपने पराए का फर्क दिखाया।
~
ऐ जिन्दगी बस इतना समझ ले;
तेरी कदर मौत के डर से ही है।
🌹🌹
कविता का भाव :-
☆☆ वैसे तो हर जीवित प्राणी को अपने जिन्दगी से लगाव होता। प्राणी कभी भी अपने मृत्यु को स्वीकारना नहीं चाहता जबकि यह अटल है।   
☆☆ जब इंसान के जीवन पर कोई संकट आता जिससे उसके जान को खतरा है तब उसे कदर समझ आती वर्ना वह अपने माया में इस तरह से उलझा हुआ है कि उसे कुछ भी होश नहीं रहता।
☆☆ कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की डर ने उसे घरों में कैद कर दिया पूरा संसार महिनों से अपनी जिन्दगी को बचाने के फिराक में बैठा हुआ है।
☆☆ हर इंसान अपने दैनिक क्रिया कलापों इतना उलझा था इतना व्यस्त था कि उसके पास मरने तक की समय नहीं थी और आज समय ही समय है।
☆☆ इंसान अपनी शक्तियों व धन वैभव के अभिमान में आकर अपने को सर्वशक्तिमान ईश्वर समझने लगा था; इंसान की शक्ति उसकी ताकत उसका धन वैभव को कुदरत ने एक पल में शून्य कर दिया सब धरी की धरी रह गईं।
☆☆ कुदरत ने इंसान को उसके वास्तविक मूल पर ला कर खड़ा कर दिया है। अपनी शक्ति व ताकत का अहसास करा दिया। अपनों की वेदना व संवेदना उनके होने न होने का कटू अनुभव करा दिया।

✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

💗चाहत संतान के खुशी का.......

चाहत संतान के खुशी का.......

💌
चाहत तेरी खुशी लिए हर गम पिता सहता!
दर्द अपने सीने का किसे ज़ाहिर नहीं करता।

रोशन हो तेरा जीवन दिन रात सोचा करता!
अंधरों से तभी तो दिन रात है पिता लड़ता।

जिम्मेदारियों के साथ मोहब्बत जो जुड़ी है!
बेचैन ही सदा रखती चैन से रहने नहीं देती।

ईश्वर ही एक सहारा जिसके सहारे जी रहा है!
कल की फ़िक्र छोड़कर वह आज जी रहा है।

कृपा बनाएं हे दाता उसे झूकने कभी न देना!
खुश रहें अपने सदा उसे टूटने कभी न देना।

सीने में दर्द अपने हम मोहब्बत में हैं छुपाए!
दर्द अपने सीने का उसे मालूम न पड़ जाए।

प्रार्थना है रब से कभी तुझको न ख़्याल आए!
चेहरे के पीछे ये मन कैसे किस से जूझता है।

पिता का कर्तव्य ऐसा ही सोच लिए है रहता!
अहमियत पिता की समय पर ही समझ आता।

चाहत तेरी खुशी का हर गम को पिता सहता!
दर्द अपने सीने का किसे ज़ाहिर नहीं करता।
💥
कविता का भाव :-
☆☆ हर प्रणी मात्र का अपने संतान से अद्भूत लगाव व स्नेह होता जो अतुलनीय व अकल्पनीय है। जब बात संतान की सुख का हो उसकी खुशी का पिता मन कभी बेबस व लाचार नहीं होता वह अपने क्षमता व सामर्थ्य से ज्यादा करने की चाहत रखता तथा कोई भी दुख व दर्द हो उसे अपने तक ही सीमित रखता है।
☆☆ एक पिता का अन्तर्मन हमेशा अपने पुत्र के सुख की कामना उसका भविष्य उज्ज्वल बने के निमित्त दिन रात अंधेरा रूपी समस्याओं से जुझता रहता है। अपने अन्तर्मन के दर्द को कभी सम्मूख संतान प्रकट नहीं होने देता और उस दर्द को मोहब्बत से बड़े ही प्यार व सहजता से अपने अंदर सीने में छुपाए रखता है।
☆☆   हर पिता की यही चाहत रहती कि संतान की खुशहाली व सुखी जीवन के पिछे पिता किन किन स्थितियों को से गुजरा है इसकी भी जानकारी अपने संतान को देना नहीं चाहता।
☆☆इस चेतन संसार में माता पिता ही ऐसे अनोखी शख्सियत है जो अपना सर्वश्य न्यौछावर बिना किसी स्वार्थ से अपने संतान पर करता है। 
❣❣
✒......धीरेन्द्र कुमार (हृदय वंदन)

शब्दों के गुण अवगुण।

💌
शब्द मरहम होती है तो शब्द ज़हर भी होती है।
पल में खुशी देती है तो पल में खुशी ले लेती है।
💌
शब्दों से ही उत्साहित करें धन दौलत बेमोल रहे।
मृत्यु शैय्या पर लेटा इंसान जिए सहारे ईश्वर के।
💌
शब्दों से शक्ति त्वरित मिले क्षमता चाहे रहे न रहे।
जब सकारात्मक व क्रियात्मक इंसान कार्य करे।
💌
शब्दों की बुराई को परखे चतुर भले ही क्यों न रहें!
कैसे युधिष्ठिर की बातें सुन गला कटा गुरू द्रोण के।
💌
शब्दों के व्यंग भी अनमोल हुए देवी रत्नावली के!
पत्नी से व्यंग लेकर तुलसी रामचरित ही रच डाले।
💌
शब्द अगर अच्छे हैं तो दोस्ती पक्की फिर समझो।
शब्द अगर बुरे हुए तो दोस्ती दुश्मन बनी लिखलो।
💌
शब्द मरहम भी होती है तो शब्द ज़हर भी होती है।
पल में खुशी जो देती है तो पल में खुशी ले लेती है।
💌
कविता का भाव :-
☆☆ बोलना बातें करना इंसान के लिए ईश्वर की एक नैसर्गिक देन है। इंसान इसका उपयोग जीवन के अंतिम क्षण तक अमूमन करता है। इंसान के बोलचाल की भाषा में यदि शब्दों का समायोजन अच्छी व सही तरह से करना जान गया तो संभवत उसका हर कार्य व हर क्षण का जीवन सुखदायी बन सकता है।
☆☆ इंसान के बोलचाल में उपयोग होने वाले शब्दों में ऐसी शक्ति है कि वह बड़े से बड़े जख्म भर देती तो इसके विपरीत जख्म को हरा भरा कर सकती है और अगर इंसान बीमार है मरणासन्न है तो कभी कभी उसके लिए जीवन दायनी भी हो जाती है।
☆☆ कभी कभी अपनी क्षमतानुसार व रूची वश कोई कार्य करता है तो सुसंगत शब्दों के द्वारा उसका प्रोत्साहन कर दिया जाता है तो वह शब्द और वाक्य उसकी कामयाबी के शिखर पर बैठा देता है अगर गलत हुआ तो कार्य शुरू करने के पहले ही या कार्य के बीच से ही विमुख हो जाता है।
☆☆ शब्दों के फेर बदल से महाभारत के द्रोणाचार्य जैसे पराक्रमी योद्धा की हत्या हो गयी और कौरवों का समूल नाश हुआ। पत्नी रत्नावली के शब्दों से आहत होकर तुलसीदास जी ने रामचरितमानस काव्य की रचना कर डाली। शब्तदों में वो जादू है कि मित्र भी दुश्मन बन जाता और दुश्मन भी मित्र बन सकता है।
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✒......धीरेन्द्र कुमार (हृदय वंदन)

Tuesday, 26 May 2020

कैसी तेरी फितरत रे मनवा...

🌺🌺
कैसी तेरी फितरत रे मनवा!
शिकायते में तु आतुर रहती।

गजब तेरी  अभिलाषा भी है!
शिकवा से खुशी तुझे मिलती।

कर  तसल्ली अपने मन की!
कटूता हरदम ही बढ़ाई रहती।

तनिक समझती जो तु मन की!
तो हरदम मस्त  दिखायी देती।

तुम जो कहती  याद न रखती!
दूसरे की अक्षरसः याद कराती।

कैसी तेरी फितरत  रे मनवा!
शिकायते में तु आतुर  रहती।

याद जो रखती अपने मन की!
तो ही दूसरे की बात समझती।

पापिन है तेरी आदत ही ऐसी!
इतना क्यों फिर शातिर रहती।

दिखे बुराई तो खुश हो जाती!
प्रसारण तंत्र कैसे  बन जाती।

सहज सरल बातों  में भी तुम!
कुतर्क कर अनर्थ ही कर देती।

कैसी तेरी  फितरत रे मनवा!
शिकायते में तु  आतुर रहती।
😀😂
☆☆मन का अपना एक विचित्र स्वभाव है इसकी सोच; इसका भाव; इसकी खुशी का तरीका अजीबो गरीब सी है। मानव मन में नकारात्मकता विशेषतः देखने को मिलती है। इसी के परिप्रेक्ष्य में कविता के माध्यम से इंगित किया गया है जिसका निम्न भाव है:-
☆ "मन का स्वभाव उसकी सोच ऐसी है कि वह हमेशा शिकवा और शिकायत, बुराई व निन्दा में लगी रहती और ललाईत भी रहती। जब से किसी की शिकायत व बुराई किसी से न कर ले तब से उसे खुशी नहीं मिलती। शिकायत करने से खुशी का मिलना जाहिर है कटूता, झगड़ा व दुराव भी होना निश्चित ही है।
☆   मानव की एक विशेषता यह भी है कि अपनी कही हुई बातों को भूल जाता है और अपने द्वारा कही हुई बातों के प्रतिवाद में जो जवाब मिलता उसे अक्षरसः याद रखता है। जो मूल रूप से बुराई, दुराव व नफरत की जड़ है।
☆   यदि मानव अपने द्वारा कहे गए बातों पर गौर करे और उस पर चिन्तन करले तो मनमुटाव व दुराव जैसे शब्दों के लिए उसके जीवन में जगह ही न हो और आपस में सुखद समभाव हो।
☆   मानव मन को एक तरह का अभिशाप है कि वह बुरी बातों को बिना कहे, बिना आरोपित किए चैन से रह ही नहीं सकता और सरल से सरल सुक्ष्म बातों का कुतर्क व गलत विश्लेषण कर, आकलन कर अर्थ का अनर्थ भी कर देता")
💥💥
✒......धीरेन्द्र कुमार (हृदय वंदन)

Monday, 25 May 2020

अमित शाह जी पर एक नजर।

अमित शाह जी पर एक नजर:-

☆ वर्तमान में अमित शाह जी विशाल लोकतंत्र भारत के गृह मंत्री हैं। गाँधी नगर गुजरात के सांसद। गृह मंत्री का कार्यभार 30 मई सन् 2019 ई0 को हासिल किया है। आप को राजनीति में बीजेपी का मास्टर माइंड और मोदी का दाहिना हाथ कहा जाता हैं। इन्हें बीजेपी का चाणक्य भी कहा जाता है। भारतीय इतिहास में पिछले 10 सालों में केवल केंद्र की राजनीति में ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में बीजेपी का सकारात्मक प्रभाव अमित शाह की कूटनीति, चाणक्य नीति व सुझबूझ से बीजेपी बहुत ही मजबूत स्थिति में उभरी है। जो राष्ट्रहित में नित नये नामुमकिन आयाम स्थापित किए हैं और करते चले आ रहे हैं।

☆ अमित शाह जी का जन्म 22 अक्टूबर सन् 1964 ई0 को शहर मुम्बई में हुआ था।
☆ पेशा राजनीतिज्ञ के रूप में है आपको व्यापार का भी अनुभव रहा है।
☆आपने बायोकेमिस्ट्री में बीएससी स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है।
☆आप हिन्दू धर्म के गुजराती बनिया हैं।
☆आपके पिता श्री अनिल चन्द्र शाह।
☆आपकी माता श्रीमती कुसुम बेन। 
☆आपकी धर्म पत्नी श्रीमती सोनल शाह।
☆आपके पुत्र जय शाह।
☆बहन आरती शाह।
☆पुत्र वधु श्रीमती ऋषिता शाह हैं।
☆आपकी वेबसाईट:- http://www.amitshah.co.in
☆आपका ट्विटर:- https://twitter.com/amitshah?lang=en

☆ अमित शाह जी का जन्म बहुत ही संपन्न व अमीर परिवार में हुआ था। आपके पूर्वज नगर सेठ हुआ करते थे। हालांकि उनके पिता अनिलचंद्र शाह भी पीवीसी पाइप का बिजनेस करते थे। परिवार सम्पन्न होने के बावजूद अमित शाह का जीवन बहुत ही सरल व सादा जीवन जीने आदत परिवार वालों ने बनाई थी। सुविधाओं के बावजूद पैदल ही विद्यालय जाया करते थे जबकि बहन बग्गी से जाती थी।

☆आप को इतिहास को जानने और समझने की रूचि थी। महात्मा गाँधी के राजनीतिक विचार और भागवत पुराण ने उनके विचारों को बहुत प्रभावित किया। आपकी की माँ भी एक गांधीवादी विचारधारा की महिला थी।

☆आपकी परवरिश गुजरात में हुई थी। इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा मेहसाना के स्कूल से ली, फिर अहमदबाद के सीयू शाह साइंस कॉलेज से बायो केमिस्ट्री में स्नातक की।

☆आप 14 वर्ष की उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में एक तरुण स्वयम सेवक बन गये थे और यही से उन्हें देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिली। कॉलेज के दिनों में बीजेपी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के लिए काम करने के बाद सन् 1984-85 ई0 में ही उन्होंने ऑफिशियली बीजेपी की सदस्यता ले लिए।

☆अमित शाह एक कुटनीतिज्ञ होने के साथ ही कुशल प्रबंधक भी हैं। आप अपनी विचारधारा को सर्वोपरी मानते हैं साथ ही कार्यकर्ता का सम्मान और कार्यालय का रख-रखाव वो बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं। आपने संगठन का कौशल कुशुभाई ठाकरे से सिखा था। जिनके साथ उन्होंने कई सालो तक काम भी किया था। जब श्नी नरेन्द्र मोदी जी गुजरात के आर्गेनाईजेशन सेक्रेटरी थे तब उन्होंने अपना राजनैतिक करियर एक आम बूथ वर्कर से शुरू किया था। ये वो समय था जब उन्होंने बीजेपी के भविष्य के लिए एक मजबूत जनाधार तैयार किया था और इसी दौरान कर्मठ कार्यकर्ताओं होने का महत्व समझ आई।

अमित शाह का राजनीतिक सफर:-
☆अमित जी और नरेंद्र भाई मोदी जी पहली बार मुलाकात सन् 1982 में हुआ था। आप सन् 1982 ई0 में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सेक्रेटरी बन गए। 1987 तक अमित शाह बीजेपी के यूथ विंग भारतीय युवा मोर्चा से जुड़े तथा साथ अनेक पदों पर रह कर दायित्वों को बखुबी निभाया। आप सन् 1991 ई0 में राम जन्मभूमि आन्दोलन में गुजरात में एक बड़ा जनाधार तैयार किया और बीजेपी के सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी, जिन्होंने गुजरात के गांधी नगर के जनरल इलेक्शन में चुनाव लड़ा था उनके लिए केम्पेन भी किया। तब से इन्हें बीजेपी के चुनावों को सम्भालने की जिम्मेदारी मिल गयी और उन्होंने एलके आडवानी के साथ मिलकर यह काम सन् 2009 ई0 तक किया। 

☆ आप गुजरात स्टेट फाईनेंशियल कारपोरेशन का चेयरमेन बने। सन् 1997 ई0 में मोदी ने शाह को बीजेपी से टिकट दिलाने के लिए खूब प्रयास किये और वो सफल भी रहे। शाह फरवरी सन् 1997 ई0 में एमएलए बन गए और सन् 1998 ई0 के विधान सभा चुनावों में भी उन्होंने अपनी सीट बनाये रखी। दो सालों में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने अपने सुझबूझ और परिश्रम के दम पर सभी विरोधियों को एक तरफ करते हुए बीजेपी का जनाधार बढ़ाया।

☆ अमित शाह को 2000 मे अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव बैंक का प्रेजिडेंट बनाया गया। 36 करोड़ के घाटे में चलने वाले बैंक को आप अपने कुशल नेतृत्व से 27 करोड़ का फायदा कराए। नरेन्द्र मोदी जी के 12 साल के मुख्यमंत्री कार्यकाल में ही अमित शाह एक शक्तिशाली नेता बनकर उभरे। सन् 2002 ई0 में हुए गुजरात के विधान सभा चुनाव में सरखेज से उन्होंने 1,60,000 वोट के साथ जीत दर्ज करवाई और आप सबसे युवा मंत्री रहें। सन् 2007 ई0 के विधान सभा चुनाव में फिर से सरखेज से ही उन्होंने जीत हासिल की।

अमित शाह से जुड़े बड़े विवाद:-
☆ फेक एनकाउंटर केस – अमित शाह सोहाबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर बी और उनके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के मर्डर केस में फंसे थे। सीबीआई के अनुसार राजस्थान के दो व्यापारियों ने अमित शाह को पैसे दिए थे जिससे वो सोहाबुद्दीन को ठिकाने लगा सके क्युकी वो उन व्यापारियों को परेशान कर रहा था। केस रिपोर्ट के अनुसार ये मर्डर प्लानड था जिसमें अमित शाह, डीआईजी डीजी वंजारा और एसपी राजकुमार पांडिया भी शामिल थे। लेकिन अमित शाह ने इन आरोपों को मानने से इंकार कर दिया था और इसे कांग्रेस की साजिश बताई थी। अमित शाह को 2002 में हुए गुजरात दंगों में सबूतों को प्रभावित करने के भी आरोप लगे थे। और इशरत जहाँ के एनकाउंटर केस से सम्बन्धित महिला पर गैर क़ानूनी जासूसी करवाने के भी आरोप लगे। अमित शाह की गिरफ्तारी और रिहाई सोहाबुद्दीन फेक एनकाउंटर केस में ही इन्हें को 25 जुलाई 2010 के दिन हिरासत में लिया गया था। इस कारण वो सीएम की पोस्ट के लिए दावेदारी नहीं कर सके। इसके बाद उन्होंने जमानत के लिए अर्जी भी दी जिस पर सीबीआई ने कहा की वो इन्वेस्टीगेशन को प्रभावित कर सकते हैं। अक्टूबर 2010 में शाह को जमानत मिली लेकिन उन्हें गुजरात से निष्कासित कर दिया गया। 2 साल बाद शाह को गुजरात आने की अनुमति मिली। इस कारण ही अमित शाह 2012 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार बन सके और उन्होंने नारणपूरा क्षेत्र से जीत भी दर्ज करवाई। 

☆अमित शाह के ख्यातिलब्ध राजनेता होने के कारण स्वाभाविक हैं कि उनके साथ कई विवाद जुड़ चुके हैं और अभी भी कई विवादों का वो हिस्सा हैं।

☆ अमित शाह ने अपने जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। साल 2010 में फर्जी एनकाउंटर के मामले में अमित शाह का नाम आया. इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा. इसके बाद 2015 में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने इस एनकाउंटर केस में शाह को बरी कर दिया। उनकी क्षमता को देखते हुए भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उनको राष्ट्रीय महासचिव बनाकर 80 सांसदों वाले उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया। जिम्मेदारी मिलने के बाद उन्होंने अपने आप को इस काम में झोंक दिया यही वजह रही कि इस चुनाव में भाजपा ने सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से 71 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

☆ केंद में मोदी सरकार बनने के बाद से अमित शाह के  पुत्र जय शाह ने भी अपने बिजनेस में काफी तरक्की की। रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनीज द्वारा ज़ारी गयी बैलेंस शीट और एनुअल रिपोर्ट के अनुसार शाह के टेम्पल एन्टरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड ने 2013 और 2014 में बहुत कम मुनाफा हासिल किया, जबकि 6,230 और 1,724 रूपये का घाटा हुआ। जबकि 2014-15 में 18,728 रूपये का प्रॉफिट देखा गया और 1015-16 तक5 करोड़ तक मुनाफा बढ़ गया। जो कि विवाद का विषय बना।

☆ पार्टी ने शाह की मेहनत को सम्मान दिया और जुलाई 2014 में अमित शाह को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। शाह जी पार्टी के सबसे युवा अध्यक्ष रहे हैं। 24 जनवरी 2016 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उन्हें दोबारा से चुना गया और वो वर्तमान में भी इस पद पर रहे हैं। दूसरी बार 2019 में जब मोदी सरकार लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र की सत्ता में आयी, तो अमित शाह को केंद्रीय गृहमंत्री का पदभार दिया गया। यहां भी शाह ने एक कमाल किया और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया जो ऐतिहासिक कदम था।

अमित शाह जी से जुडी रोचक बातें :-
☆ अमित छोटी दूरी की यात्राएं हेलिकॉप्टर की जगह रोड से करना पसंद करते हैं।

☆ वो सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरना पसंद करते हैं।
शाह जी एक शुद्ध शाकाहारी राजनेता हैं।

☆ मोदी सरकार के लोकप्रिय कार्यक्रम “चाय पर चर्चा” की रूपरेखा तैयार करने में भी शाह का योगदान रहा हैं।

☆ वैसे ये विख्यात हैं कि शाह ने बूथ कार्यकर्ता से लेकर सोशल मीडिया तक अपनी एक बड़ी टीम बना राखी हैं।

☆ जबकि सच्चाई इससे थोड़ी अलग हैं,  वास्तव में अमित शाह के टीम में कोई फिक्स सदस्य नहीं हैं वो हर काम के लिए अलग-अलग लोगों पर निर्भर हैं। एक व्यक्ति उनका ट्रैक रिकॉर्ड रखता हैं।

☆अमित शाह पिछले 3 सालों में हर दिन औसत 525 किलोमीटर की यात्रा की।

☆ आप ने योजनाबद्ध तरीके से सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को कवर किया हैं ।
💞💞
✒.......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Sunday, 24 May 2020

Quotes in Hindi

💞 Quotes in Hindi💞

💞
💥हृदय वंदन💥
~~
नसेड़ी हूँ!
शब्दों में लौ फूँकता हूँ!
तुम हो कि कस मार कर दिल
जला बैठते हो।
~~
मोह! बुराईयां नहीं देखती।
नफरत! अच्छाईयां नहीं देखती।
~~
खाना, खजाना और जनाना!
छुपाए रखो मर्दाना, वरना
खराब करेगा तराना!
~~
रूठने और मनाने का वो दौर कहाँ!
रूठ गए तो टूट गए वो प्यार कहाँ।
~~
जाने कब तक संभालेंगे अपनी नैय्या!
पैबंद लगाने की भी अब जगह नही है।
~~
विवेक शून्य इंसान सदैव
अपने कृत्य को श्रेष्ठ समझता!
जो विनाश का सबसे प्रमुख कारण है।
जैसे:-चरित्र दुर्योधन।
~~
अक्सर उन्हीं दियों से हाथ जलते हैं!
जिन्हें हवाओं से हम बचाते हैं।
~~
आंसुओं के मायने समझने क्या लगे,
दर्द को सीने में दफनाना आ गया।
~~
"बुद्धिमान" व "बेवकूफ"
इनमें में एक बात काॅमन है!
एक दूसरे को मूर्ख समझते।
~~
शब्द भी आईना है व्यक्तित्व का!
जुबान संवार लें तो अच्छा हो।
~~
जब पापा पापा कहते थे!
फिकर नाॅट हम जीते थे।
जब पापा पापा सुनने लगे!
फिकर थाॅट हम मरते हैं।
~~
ऐसा कोई गेम पसंद नहीं आता!
जिसमें सामने वाला हार जाए।
हारना  कत्तई पसंद नहीं आता!
जब सामने  वाला कपटी होए।
~~
अविवेकी व निर्बुद्धि व्यक्ति की संगति
इंसान को सदैव पतन की ओर ढ़केलती।
~~
आशीर्वाद लेना हो!
बड़ों का पैरा छूना हो!
तो लकवा मार जाता है!
परन्तु भला बुरा कहना हो!
तो गज़ब की स्फूर्ति आ जाती।
~~
बुरा से बुरा इंसान भी!
सच्चाई को ही मानता!
सच्चाई पकड़े रखना!
जय इसी का होना है।
~~
सब दिमाग का खेल!
कर लो जो इसे गरम!
एसी में पसीना छोड़े!
इसे  रखो अगर ठंडा!
गर्मी में शीतलता देवे।
~~
चिन्ता न कर ऐ तु बंदे!
बूरा वक्त ही मजबूत करे!
सफलता के नये द्वार को खोले।
~~
जीवन एक रंग मंच है!
बेस्ट एक्टर वही जो खुशियों के
लिए अनिच्छित एक्टिंग भी कर सके।
~~
दुनियां का सरल कार्य
अन्य की सामीक्षा करना।
इंसान जन्म से पारंगत।
~~
लोग क्या कहेंगे?
यही सोच जीवन जीते हैं।
ईश्वर क्या कहेंगे?
तनिक विचार भी नहीं करते।
~~
ह्वाट्सअप अपना घर सरीखा!
फेसबुक समझो तुम संसार!
वैसा ही अब व्यवहार रखो!
जैसे रखते घर मे व संसार में।
~~
नफ़रत पल में इज़हार कर देते हैं!
जब बात प्रेम परस्पर की हो
जुबान बंद कर लेते हैं।
~~
कभी ऐसी स्थिति भी बनती है!
हम उनको तकलीफ देना नहीं चाहते!
वो हमको तकलीफ देना नहीं चाहते!
पर रहते दोनों तकलीफ में।
यह भी प्रेम है।
~~
घृणा के पात्र न बनें!
विरोध मर्यादा में करें।
~~
जीने की आस लिए निकले थे!
उन्हें क्या पता रास्ते में मौत खड़ी है।
~~
विरोध का एक पैमाना है!
अपनी पहचान कराता है!
अपना ही महत्व गिराता है।
~~
कभी गौर तो कर अपनी गलती!
नज़र झुकी हुई तुमको मिलेगी!
मुश्किल है पर ये करना बैठना,
इज़हार करना व स्वीकार करना!
खुशियाँ बनी रहे सदा घर आँगन।
~~
ईज्जत करना इंसान की फितरत है!
कमियों से अपनी बेखबर यूँ न रहो।
~~
नेतृत्व आसान नहीं!
जिम्मेदारियाँ बहुत बड़ी होती है!
हम हैं कि तुरन्त समीक्षक बन जाते हैं।
~~
कुदरत ने जीने के लिए हवा पानी दिया!
बुद्धिमान पूछते इसमे कितना हमें मिलेगा।
~~
शब्द मरहम होती है तो शब्द ज़हर भी होती है।
पल में खुशी देती है तो पल में खुशी ले लेती है।
~~
माता का चरण जहाँ रहे!
वहीं सर्वोच्च दरबार बने।
बाकी दरबार तो छोटा है!
क्यों न राम रहीम ही रहें।
~~
कुदरत की हवा!
सरकार का पैकेज!
सभी के लिए समान है!
क्षमता अपनी जीतना ले सके।
~~
सच्चे, अच्छे व ईमानदार की आलोचना!
जबरदस्त ऊर्जा प्रदान कराती!
मंजिल प्रशस्त कराती।
~~
बेखौफ जिन्दगी बर्बाद हो जाती!
खौफ ही है जो उसे संभाले रखती।
~~
प्रतिकूल परिस्थितियों में इंसान का धैर्य
ही उसे संभालती है और आगे बढ़ाती।
~~
तुम्हारे अशिष्ट बोल से ही
कोई महानायक बनेगा।
~~
समस्याएं उन्हीं से होती है
जो हर समस्याओं को प्यार
से झेल कर परवरिश करता है।
~~
मात वही खाता!
जो दिल के करीब होता।
🔥🔥
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Saturday, 23 May 2020

हैप्पी बर्थ डे प्रिय विकास


हैप्पी बर्थ डे प्रिय विकास!
💖🎂💖
हैप्पी बर्थ डे प्रिय विकास!
तुम जियो हजारों साल!
साल के दिन हो कई हजार!
कामना पूरण करें श्री भगवान!
हैप्पी बर्थ डे प्रिय विकास!
💖
आज जन्म दिन की बधाई!
देखो खुशियाँ आँगन छाई।
माँ शक्ति स्वरुपा स्वस्थ रखें!
आशीर्वाद माँ का सदा रहे!
सुखमय हो तेरा यह जीवन।
फलो फूलो खुश रहो सदा!
हर खुशियाँ तुमको मिले यहाँ!
कामयाबी सहज ही तुम पाओ!
हर मंजिल तुम्हारी सरल बने!
यही आशीष सदा तुमको है!
कृपा करें जय वीर हनुमान!
यश और कीर्ति मिले सदा!
बल बुद्धि विद्या पाओ!
सुखमय जीवन तुम पाओ!
सदा सुखी रहो कामना यही।
माता पिता का है आशीर्वाद।
हैप्पी बर्थ डे प्रिय विकास!
✒.....धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव (एडवोकेट)

When Vikas passed class 10. Achieved good marks. Then on June 28, 2016, due to fever in the house, the staircase of the patio of the basin, which was just one feet high, fell from where he had suffered injuries in his mouth. During the popular hospitalization, a few words were posted on social media: -~
~~~~"Just want to thank alll.....who encouraged me daily to get better n better...... few days back I haven't thought of getting in much better position in just few days. When I was hospitalized ur presence made me happy and encouraged me to get better n better. I was totally shaken up.....thanks to all my friends who made me laugh during poor stage of my life....so that i can recover fast..... and believe me.... without u all i was completely demoralized to get better again..... bt u all made it possible. These are some good and some disastrous moment in my life which is unforgettable. I can never forget what u all have done for me especially my #mammy nd #papa😘.....and my some achche wale #friends... I can't speak more than that.....I m speechless with ur efforts.....☺ Now I m much better.😎 Feeling blessed to have u all in my life.....😘😘😘😘😍😍😍
Thank u all my ristedars."



✌जो सामने है उसे सहेज लेते।

🌺🌺
जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
~
भविष्य किसी का कोई न जाने
आने वाला वक्त कैसा होगा।
भविष्य को इतना भी न सोचे कि
वर्तमान कठीन अपना हो जाए।
सिर्फ अपने सत्कर्म की सोचे
नियंता पर विश्वास जमा कर।
~
जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
~
अपने तो सदा अपने ही होते,
तुलना उनकी किसी से न करते।
फरक बातों में फरक जज्बातों में
बहुत होती तुम यह समझ लेते।
सौ अच्छाईयाँ हैं उनमें मगर
एक गलत पर व्याकूल न होते।
~
जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
~
माता-पिता, भाई और बंधू 
जीवन में दूबारा साथ न होंगे।
थोड़ा तुम विचार कर लेते 
खुशियाँ रहती आँगन में तेरे।
बोली भाषा निज दुरूस्त रखते
जो साथ है उसी में खुश रहते।
~
जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
~
शब्दों व विचारों में फेर मतभेद,
नफरत के ढ़ेर, दिल से मिटा देते।
उनके जज्बातों को समझ लेते,
शब्दों को भूलाने में कष्ट न होते।
चोटिल हुए जीन शब्दों से तुम,
उपजा कैसे वो पहचान लेते।
~
जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
~
क्रोध, द्वेष, ईश्या, निन्दा, नफ़रत,
मालूम है, ज़हर करे जीवन।
जाने क्यों जीवन में धरे हुए हैं,
गले लगाए घूमते फिरते हैं
सबको दुश्मन बनाए फिरते हैं
अपनों से दूरी बना कर जीए हैं।
~
जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
~
सुखमय जीवन के साथी तमाम
प्रेम, प्यार, स्नेह व मोहब्बत।
जीवन सुखमय इनसे ही बनते,
जाने क्यों जीवन से दूर किए हैं।
जानवर भी समझे प्रेम की भाषा,
फिर इनको समझ क्यों नहीं आता।
 ~
जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
🌺🌺
✒......धीरेन्द्र कुमार (हृदय वंदन)

Friday, 22 May 2020

🐿ये कैसी फ़लसफ़ा है

~ये कैसी फ़लसफ़ा है~
💥💥
ये कैसी फ़लसफ़ा है!
सपने में भी दुश्मन न हो जो
आज बना बैठा है।
~
अकड़ भी देखो कहाँ अड़ा है;
जहाँ स्वर्ग व जन्नत बसा है
अयोध्या है अपनी।
~
कर्ज छोड़ो, फर्ज से भी डिगा है!
हर क्षण खुद भी जल रहा!
ये कैसी फ़लसफ़ा है।
~
बड़ों के मान, सम्मान व
आदर से ही घर में बसती हैं खुशियाँ!
वरना दुसवारियां बढ़ा है।
~
माया का पर्दा ऐसा चढ़ा है!
जनानी के सामने नरवस खड़ा है!
ये कैसी फ़लसफ़ा है।
~
नई चेतना, नव युग है!
फूहड़ संस्कृति पर गर्व भी खुब है!
संतति गर्व से सीख भी रहा है।
~
ये कैसी फ़लसफ़ा है।
💥💥
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

💞💥💞💥💞💥💞


Wednesday, 20 May 2020

सचेत रहें....

सचेत रहें.....

🍁🍁☛.....#हृदयवंदन

आयी सोशल मीडिया जबसे,

जीने  के  अंदाज  बदल गये।

रिश्ते  नाते   प्यार   मोहब्बत,

आदत व संस्कार  बदल गये।

          कितनी  भी  दूरी कोई रहले,

          लगता  पास हो साथ अपने।

          तनिक भी दूरी अब रही नहीं,

          बात विचार प्रत्यक्ष हैं लगते।

सचेत रहें सोशल मीडिया से,

राजनीति जमे नेता भी इसपे।

पक्ष विपक्ष लगे जमघट रेला,

हल्ला  बोल  इस  पर जमके।

          गजब निकटता बढ़ती आयी,

          साथ  अपने बुराई भी लायी।

          कुछ समज नासमझ भी होते,

          बात बात में  पारा चढ़ जाती।

ह्वाट्सअप  घर परिवार जानें,

फेसबुक  जग  समाज  जानें।

समझ  बुझ  व्यवहार जरूरी,

जैसे  घर   समाज   में  रहते।

🍁🍁

✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

Tuesday, 19 May 2020

प्राणेशा तुम्हे बधाई


प्राणेशा तुम्हे बधाई
💞
शुभ दिन आज शादी सालगिरह आई।
बहुत बहुत बधाई  बहुत बहुत बधाई।
दाम्पत्य 25 वर्ष की गबरू जवान हुई।
जिन्दगी जवान हुई युवा दाम्पत्य हुई।
शुभ दिन आज शादी सालगिरह आई!
हम तुम एक हुए  जीवन संपूर्ण हुआ।
जिन्दगी टंच रही खुशियाँ भी संग रही!
दुख का प्रभाव न हो सुखी संसार बने।
शुभ मुहूरत रही बेटी वर्णिका जो मिली!
माँ अम्बे कृपा रही बेटा विकास मिला!
हर वक्त साथ रहे एक दूजे के जान बने।
तुही अभिमान मेरी तुही मेरी प्राणेश्वरी!
शुभ दिन आज शादी सालगिरह आई!
प्रभू कृपा करें दो जिस्म एक जान रहें!
जन्मों तक साथ रहे कामना यही रही!
बहुत बधाई तुमको आज मेरी प्राणेशा।


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विवाह वृतान्त
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शादी की सालगिरह है भाई!
पचीस वर्ष पूरण को आई!
सभी के प्यार व मंगल कामना
का आकांक्षी है यह भाई।
सुना रहे विवाह का वृतान्त
खुशी मिले अपार सभी को
कोशिश यही किए हैं आज।
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पापा हमारे बहुत शख्त थे!
बात व वसुलों में भी तगड़े थे!
विवाह शीघ्र करना चाहते थे!
सोच के माँ व अपनी वृद्धावस्था!
दिन तारीख विवाह की एक वर्ष
पहले ही 15 मई तिलक व
19 मई 95 को फिक्स किए थे।
विवाह की तिथि फिक्स कर
इन्तजार कर रहे आए कोई लाला।
~
वकालत पढ़ ही रहा था;
वकील बनने का पूरा सिग्नल था
उनके मन में कहीं डर बसा था
चिन्ता भी उनका जायज था!
भूले भटके दुविधा में लिए
घर आ गए एक दिन लाला!
आए परिचय देते हुए बोले
मूलतः भरौना मिर्जापुर के हैं
रामनगर बनारस वन विभाग में हूँ
रहता सपरिवार रामनगर में।
~
पिता ने जीवन वृतांत सुनाया
कार्यभार उस वक्त शून्य था मेरा
पढ़ाई उनके सम्मुख बताया
अगर आप सहमत हो भ्राता
तो ही आगे बात बढ़ाना
ससुर जी ने गर्व से मुझ पर
भरोसा और विश्वास जताया।
~
ससुर जी मधुर मुश्कान बिखेरे
फिर बोले परिवार मेरा है लंबा
मुझको एक पुत्र पाँच कन्या है
तीसरे नम्बर की भाग्यशाली
कन्या की शादी के लिए
सुपुत्र से आपके घर आया।
पिताजी सुन कर उनकी वाणी
खुशी ज़ाहिर कर ही डाली
खड़े क्यों हो बैठो भ्राता
तुमसे एक एक हम हैं ज्यादा
दो पुत्र छ: कन्या मेरे भी हैं भ्राता।
~
एक कुण्डली तो उसी क्षण
मिलाए देखो मेरे पापा!
नजदीकी रिश्ते का ज्ञान लेकर
बहू लाने का जुगाड़ बनाए
लेनी देनी आपकी मर्जी;
मेरे लिए कन्या ही काफी
बोले मेरे पापा है।
~
पूर्व फिक्स तारीख बताए
15 मई पर ही तिलक कराए
19 मई सन् 95 विवाह कराए
गंगा पार से रामनगर नन्दिनी
ले आए देखो मेरे पापा!
आईं लुगाई खुशियाँ आई !
दायित्वों से निवृत्त हुए पापा।
~
कृपा महादेव जगत जननी के
आशीर्वाद स्वरूप प्रथम पुत्री व
दितीय पुत्र का सुन्दर योग हुआ।
पत्नी के साथ दाम्पत्य सूत्र में
जुड़ने का सुखद अहसास रहा।
~
सुखद वृतांत 25 वीं सालगीरह पर
अपनी भार्या को सस्नेह सहृदय
सादर समर्पित!
हार्दिक बधाई व शुभकामना।
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जब रही गंग जमुन जलधारा।
अचल रहे अहिवात तुम्हारा।
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✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

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चलो आज हंस लेते हैं~

😂😂

●चलो आज हंस लेते हैं~

हम अपनी ही सूना कर हंसाते हैं!

●व्याह हुआ रामनगर~

विदा होकर घर आई रामनगर नन्दिनी।

महीना भी मई की थी~

गर्मी जबर थी; बुखार भी चढ़ गई थी।

●फाॅदर-इन-लाॅ घर आते हैं~

तीन दिन बाद पाॅव फेरी की तिथि रख जाते हैं।

●निकल पड़ा पाॅव फेरी~

की रश्म निभाने पत्नी को स्कूटर पर बैठा के थोड़ी हरारत शरीर में थी।

●पिछे से पत्नी बोलीं~

जाना है ऊधरे थोड़ा हैंडिल घूमा लें दर्शन करलें माता रानी की।

●माँ दुर्गा के दर्शन उपरान्त~

हम बोले चलो दर्शन करलें संकटमोचन हनुमान की।

●दर्शन कर जब निकले~

रामनगर को प्रस्थान किए आगे थोड़ी भीड़ थी बंद हो गई अपनी स्कूटर।

●श्रीमती बोली ऊतर जाऊँ~

हमने बोला बैठी रहो! सुनने में गफलत हुई! स्टार्ट किया और चल दिया!

☆ पहुँच गया ससुराल रे भाई~

हुई तब बड़ी चोथाई पत्नी स्कूटर पर नहीं थी आई छूट गई ओहरे लुगाई।🙄

☆डाॅट खाकर मुँह लटका कर चला ढूंढ़ने लुगाई, इतने में वो आटो से घर पहुँच गईं भाई।😂

😂

✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

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