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शब्द मरहम होती है तो शब्द ज़हर भी होती है।
पल में खुशी देती है तो पल में खुशी ले लेती है।
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शब्दों से ही उत्साहित करें धन दौलत बेमोल रहे।
मृत्यु शैय्या पर लेटा इंसान जिए सहारे ईश्वर के।
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शब्दों से शक्ति त्वरित मिले क्षमता चाहे रहे न रहे।
जब सकारात्मक व क्रियात्मक इंसान कार्य करे।
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शब्दों की बुराई को परखे चतुर भले ही क्यों न रहें!
कैसे युधिष्ठिर की बातें सुन गला कटा गुरू द्रोण के।
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शब्दों के व्यंग भी अनमोल हुए देवी रत्नावली के!
पत्नी से व्यंग लेकर तुलसी रामचरित ही रच डाले।
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शब्द अगर अच्छे हैं तो दोस्ती पक्की फिर समझो।
शब्द अगर बुरे हुए तो दोस्ती दुश्मन बनी लिखलो।
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शब्द मरहम भी होती है तो शब्द ज़हर भी होती है।
पल में खुशी जो देती है तो पल में खुशी ले लेती है।
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कविता का भाव :-
☆☆ बोलना बातें करना इंसान के लिए ईश्वर की एक नैसर्गिक देन है। इंसान इसका उपयोग जीवन के अंतिम क्षण तक अमूमन करता है। इंसान के बोलचाल की भाषा में यदि शब्दों का समायोजन अच्छी व सही तरह से करना जान गया तो संभवत उसका हर कार्य व हर क्षण का जीवन सुखदायी बन सकता है।
☆☆ इंसान के बोलचाल में उपयोग होने वाले शब्दों में ऐसी शक्ति है कि वह बड़े से बड़े जख्म भर देती तो इसके विपरीत जख्म को हरा भरा कर सकती है और अगर इंसान बीमार है मरणासन्न है तो कभी कभी उसके लिए जीवन दायनी भी हो जाती है।
☆☆ कभी कभी अपनी क्षमतानुसार व रूची वश कोई कार्य करता है तो सुसंगत शब्दों के द्वारा उसका प्रोत्साहन कर दिया जाता है तो वह शब्द और वाक्य उसकी कामयाबी के शिखर पर बैठा देता है अगर गलत हुआ तो कार्य शुरू करने के पहले ही या कार्य के बीच से ही विमुख हो जाता है।
☆☆ शब्दों के फेर बदल से महाभारत के द्रोणाचार्य जैसे पराक्रमी योद्धा की हत्या हो गयी और कौरवों का समूल नाश हुआ। पत्नी रत्नावली के शब्दों से आहत होकर तुलसीदास जी ने रामचरितमानस काव्य की रचना कर डाली। शब्तदों में वो जादू है कि मित्र भी दुश्मन बन जाता और दुश्मन भी मित्र बन सकता है।
myheart1971.blogspot.com
✒......धीरेन्द्र कुमार (हृदय वंदन)
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