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Tuesday, 19 May 2020

प्राणेशा तुम्हे बधाई


प्राणेशा तुम्हे बधाई
💞
शुभ दिन आज शादी सालगिरह आई।
बहुत बहुत बधाई  बहुत बहुत बधाई।
दाम्पत्य 25 वर्ष की गबरू जवान हुई।
जिन्दगी जवान हुई युवा दाम्पत्य हुई।
शुभ दिन आज शादी सालगिरह आई!
हम तुम एक हुए  जीवन संपूर्ण हुआ।
जिन्दगी टंच रही खुशियाँ भी संग रही!
दुख का प्रभाव न हो सुखी संसार बने।
शुभ मुहूरत रही बेटी वर्णिका जो मिली!
माँ अम्बे कृपा रही बेटा विकास मिला!
हर वक्त साथ रहे एक दूजे के जान बने।
तुही अभिमान मेरी तुही मेरी प्राणेश्वरी!
शुभ दिन आज शादी सालगिरह आई!
प्रभू कृपा करें दो जिस्म एक जान रहें!
जन्मों तक साथ रहे कामना यही रही!
बहुत बधाई तुमको आज मेरी प्राणेशा।


💥💞💥💞💥💞💥💞💥💞

विवाह वृतान्त
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शादी की सालगिरह है भाई!
पचीस वर्ष पूरण को आई!
सभी के प्यार व मंगल कामना
का आकांक्षी है यह भाई।
सुना रहे विवाह का वृतान्त
खुशी मिले अपार सभी को
कोशिश यही किए हैं आज।
~:>
पापा हमारे बहुत शख्त थे!
बात व वसुलों में भी तगड़े थे!
विवाह शीघ्र करना चाहते थे!
सोच के माँ व अपनी वृद्धावस्था!
दिन तारीख विवाह की एक वर्ष
पहले ही 15 मई तिलक व
19 मई 95 को फिक्स किए थे।
विवाह की तिथि फिक्स कर
इन्तजार कर रहे आए कोई लाला।
~
वकालत पढ़ ही रहा था;
वकील बनने का पूरा सिग्नल था
उनके मन में कहीं डर बसा था
चिन्ता भी उनका जायज था!
भूले भटके दुविधा में लिए
घर आ गए एक दिन लाला!
आए परिचय देते हुए बोले
मूलतः भरौना मिर्जापुर के हैं
रामनगर बनारस वन विभाग में हूँ
रहता सपरिवार रामनगर में।
~
पिता ने जीवन वृतांत सुनाया
कार्यभार उस वक्त शून्य था मेरा
पढ़ाई उनके सम्मुख बताया
अगर आप सहमत हो भ्राता
तो ही आगे बात बढ़ाना
ससुर जी ने गर्व से मुझ पर
भरोसा और विश्वास जताया।
~
ससुर जी मधुर मुश्कान बिखेरे
फिर बोले परिवार मेरा है लंबा
मुझको एक पुत्र पाँच कन्या है
तीसरे नम्बर की भाग्यशाली
कन्या की शादी के लिए
सुपुत्र से आपके घर आया।
पिताजी सुन कर उनकी वाणी
खुशी ज़ाहिर कर ही डाली
खड़े क्यों हो बैठो भ्राता
तुमसे एक एक हम हैं ज्यादा
दो पुत्र छ: कन्या मेरे भी हैं भ्राता।
~
एक कुण्डली तो उसी क्षण
मिलाए देखो मेरे पापा!
नजदीकी रिश्ते का ज्ञान लेकर
बहू लाने का जुगाड़ बनाए
लेनी देनी आपकी मर्जी;
मेरे लिए कन्या ही काफी
बोले मेरे पापा है।
~
पूर्व फिक्स तारीख बताए
15 मई पर ही तिलक कराए
19 मई सन् 95 विवाह कराए
गंगा पार से रामनगर नन्दिनी
ले आए देखो मेरे पापा!
आईं लुगाई खुशियाँ आई !
दायित्वों से निवृत्त हुए पापा।
~
कृपा महादेव जगत जननी के
आशीर्वाद स्वरूप प्रथम पुत्री व
दितीय पुत्र का सुन्दर योग हुआ।
पत्नी के साथ दाम्पत्य सूत्र में
जुड़ने का सुखद अहसास रहा।
~
सुखद वृतांत 25 वीं सालगीरह पर
अपनी भार्या को सस्नेह सहृदय
सादर समर्पित!
हार्दिक बधाई व शुभकामना।
💞💞
जब रही गंग जमुन जलधारा।
अचल रहे अहिवात तुम्हारा।
💞💞
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

💞💥💞💥💞💥💞💥

चलो आज हंस लेते हैं~

😂😂

●चलो आज हंस लेते हैं~

हम अपनी ही सूना कर हंसाते हैं!

●व्याह हुआ रामनगर~

विदा होकर घर आई रामनगर नन्दिनी।

महीना भी मई की थी~

गर्मी जबर थी; बुखार भी चढ़ गई थी।

●फाॅदर-इन-लाॅ घर आते हैं~

तीन दिन बाद पाॅव फेरी की तिथि रख जाते हैं।

●निकल पड़ा पाॅव फेरी~

की रश्म निभाने पत्नी को स्कूटर पर बैठा के थोड़ी हरारत शरीर में थी।

●पिछे से पत्नी बोलीं~

जाना है ऊधरे थोड़ा हैंडिल घूमा लें दर्शन करलें माता रानी की।

●माँ दुर्गा के दर्शन उपरान्त~

हम बोले चलो दर्शन करलें संकटमोचन हनुमान की।

●दर्शन कर जब निकले~

रामनगर को प्रस्थान किए आगे थोड़ी भीड़ थी बंद हो गई अपनी स्कूटर।

●श्रीमती बोली ऊतर जाऊँ~

हमने बोला बैठी रहो! सुनने में गफलत हुई! स्टार्ट किया और चल दिया!

☆ पहुँच गया ससुराल रे भाई~

हुई तब बड़ी चोथाई पत्नी स्कूटर पर नहीं थी आई छूट गई ओहरे लुगाई।🙄

☆डाॅट खाकर मुँह लटका कर चला ढूंढ़ने लुगाई, इतने में वो आटो से घर पहुँच गईं भाई।😂

😂

✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

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