💞 Quotes in Hindi💞
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💥हृदय वंदन💥
~~
नसेड़ी हूँ!
शब्दों में लौ फूँकता हूँ!
तुम हो कि कस मार कर दिल
जला बैठते हो।
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मोह! बुराईयां नहीं देखती।
नफरत! अच्छाईयां नहीं देखती।
~~
खाना, खजाना और जनाना!
छुपाए रखो मर्दाना, वरना
खराब करेगा तराना!
~~
रूठने और मनाने का वो दौर कहाँ!
रूठ गए तो टूट गए वो प्यार कहाँ।
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जाने कब तक संभालेंगे अपनी नैय्या!
पैबंद लगाने की भी अब जगह नही है।
शब्दों में लौ फूँकता हूँ!
तुम हो कि कस मार कर दिल
जला बैठते हो।
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मोह! बुराईयां नहीं देखती।
नफरत! अच्छाईयां नहीं देखती।
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खाना, खजाना और जनाना!
छुपाए रखो मर्दाना, वरना
खराब करेगा तराना!
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रूठने और मनाने का वो दौर कहाँ!
रूठ गए तो टूट गए वो प्यार कहाँ।
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जाने कब तक संभालेंगे अपनी नैय्या!
पैबंद लगाने की भी अब जगह नही है।
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विवेक शून्य इंसान सदैव
अपने कृत्य को श्रेष्ठ समझता!
जो विनाश का सबसे प्रमुख कारण है।
जैसे:-चरित्र दुर्योधन।
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अक्सर उन्हीं दियों से हाथ जलते हैं!
जिन्हें हवाओं से हम बचाते हैं।
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आंसुओं के मायने समझने क्या लगे,
दर्द को सीने में दफनाना आ गया।
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"बुद्धिमान" व "बेवकूफ"
इनमें में एक बात काॅमन है!
एक दूसरे को मूर्ख समझते।
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शब्द भी आईना है व्यक्तित्व का!
जुबान संवार लें तो अच्छा हो।
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जब पापा पापा कहते थे!
फिकर नाॅट हम जीते थे।
जब पापा पापा सुनने लगे!
फिकर थाॅट हम मरते हैं।
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ऐसा कोई गेम पसंद नहीं आता!
जिसमें सामने वाला हार जाए।
हारना कत्तई पसंद नहीं आता!
जब सामने वाला कपटी होए।
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अविवेकी व निर्बुद्धि व्यक्ति की संगति
इंसान को सदैव पतन की ओर ढ़केलती।
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आशीर्वाद लेना हो!
बड़ों का पैरा छूना हो!
तो लकवा मार जाता है!
परन्तु भला बुरा कहना हो!
तो गज़ब की स्फूर्ति आ जाती।
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बुरा से बुरा इंसान भी!
सच्चाई को ही मानता!
सच्चाई पकड़े रखना!
जय इसी का होना है।
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सब दिमाग का खेल!
कर लो जो इसे गरम!
एसी में पसीना छोड़े!
इसे रखो अगर ठंडा!
गर्मी में शीतलता देवे।
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चिन्ता न कर ऐ तु बंदे!
बूरा वक्त ही मजबूत करे!
सफलता के नये द्वार को खोले।
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जीवन एक रंग मंच है!
बेस्ट एक्टर वही जो खुशियों के
लिए अनिच्छित एक्टिंग भी कर सके।
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दुनियां का सरल कार्य
अन्य की सामीक्षा करना।
इंसान जन्म से पारंगत।
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लोग क्या कहेंगे?
यही सोच जीवन जीते हैं।
ईश्वर क्या कहेंगे?
तनिक विचार भी नहीं करते।
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ह्वाट्सअप अपना घर सरीखा!
फेसबुक समझो तुम संसार!
वैसा ही अब व्यवहार रखो!
जैसे रखते घर मे व संसार में।
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नफ़रत पल में इज़हार कर देते हैं!
जब बात प्रेम परस्पर की हो
जुबान बंद कर लेते हैं।
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कभी ऐसी स्थिति भी बनती है!
हम उनको तकलीफ देना नहीं चाहते!
वो हमको तकलीफ देना नहीं चाहते!
पर रहते दोनों तकलीफ में।
यह भी प्रेम है।
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घृणा के पात्र न बनें!
विरोध मर्यादा में करें।
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जीने की आस लिए निकले थे!
उन्हें क्या पता रास्ते में मौत खड़ी है।
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विरोध का एक पैमाना है!
अपनी पहचान कराता है!
अपना ही महत्व गिराता है।
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कभी गौर तो कर अपनी गलती!
नज़र झुकी हुई तुमको मिलेगी!
मुश्किल है पर ये करना बैठना,
इज़हार करना व स्वीकार करना!
खुशियाँ बनी रहे सदा घर आँगन।
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ईज्जत करना इंसान की फितरत है!
कमियों से अपनी बेखबर यूँ न रहो।
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नेतृत्व आसान नहीं!
जिम्मेदारियाँ बहुत बड़ी होती है!
हम हैं कि तुरन्त समीक्षक बन जाते हैं।
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कुदरत ने जीने के लिए हवा पानी दिया!
बुद्धिमान पूछते इसमे कितना हमें मिलेगा।
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शब्द मरहम होती है तो शब्द ज़हर भी होती है।
पल में खुशी देती है तो पल में खुशी ले लेती है।
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माता का चरण जहाँ रहे!
वहीं सर्वोच्च दरबार बने।
बाकी दरबार तो छोटा है!
क्यों न राम रहीम ही रहें।
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कुदरत की हवा!
सरकार का पैकेज!
सभी के लिए समान है!
क्षमता अपनी जीतना ले सके।
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सच्चे, अच्छे व ईमानदार की आलोचना!
जबरदस्त ऊर्जा प्रदान कराती!
मंजिल प्रशस्त कराती।
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बेखौफ जिन्दगी बर्बाद हो जाती!
खौफ ही है जो उसे संभाले रखती।
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प्रतिकूल परिस्थितियों में इंसान का धैर्य
ही उसे संभालती है और आगे बढ़ाती।
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तुम्हारे अशिष्ट बोल से ही
कोई महानायक बनेगा।
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समस्याएं उन्हीं से होती है
जो हर समस्याओं को प्यार
से झेल कर परवरिश करता है।
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मात वही खाता!
जो दिल के करीब होता।
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✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
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