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जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
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भविष्य किसी का कोई न जाने
आने वाला वक्त कैसा होगा।
भविष्य को इतना भी न सोचे कि
वर्तमान कठीन अपना हो जाए।
सिर्फ अपने सत्कर्म की सोचे
नियंता पर विश्वास जमा कर।
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जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
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अपने तो सदा अपने ही होते,
तुलना उनकी किसी से न करते।
फरक बातों में फरक जज्बातों में
बहुत होती तुम यह समझ लेते।
सौ अच्छाईयाँ हैं उनमें मगर
एक गलत पर व्याकूल न होते।
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जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
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माता-पिता, भाई और बंधू
जीवन में दूबारा साथ न होंगे।
थोड़ा तुम विचार कर लेते
खुशियाँ रहती आँगन में तेरे।
बोली भाषा निज दुरूस्त रखते
जो साथ है उसी में खुश रहते।
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जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
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शब्दों व विचारों में फेर मतभेद,
नफरत के ढ़ेर, दिल से मिटा देते।
उनके जज्बातों को समझ लेते,
शब्दों को भूलाने में कष्ट न होते।
चोटिल हुए जीन शब्दों से तुम,
उपजा कैसे वो पहचान लेते।
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जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
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क्रोध, द्वेष, ईश्या, निन्दा, नफ़रत,
मालूम है, ज़हर करे जीवन।
जाने क्यों जीवन में धरे हुए हैं,
गले लगाए घूमते फिरते हैं
सबको दुश्मन बनाए फिरते हैं
अपनों से दूरी बना कर जीए हैं।
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जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
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सुखमय जीवन के साथी तमाम
प्रेम, प्यार, स्नेह व मोहब्बत।
जीवन सुखमय इनसे ही बनते,
जाने क्यों जीवन से दूर किए हैं।
जानवर भी समझे प्रेम की भाषा,
फिर इनको समझ क्यों नहीं आता।
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जो सामने है उसे ही सहेज लेते!
जीवन का जाने कल क्या होगा?
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✒......धीरेन्द्र कुमार (हृदय वंदन)
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