Pages

Friday, 22 May 2020

🐿ये कैसी फ़लसफ़ा है

~ये कैसी फ़लसफ़ा है~
💥💥
ये कैसी फ़लसफ़ा है!
सपने में भी दुश्मन न हो जो
आज बना बैठा है।
~
अकड़ भी देखो कहाँ अड़ा है;
जहाँ स्वर्ग व जन्नत बसा है
अयोध्या है अपनी।
~
कर्ज छोड़ो, फर्ज से भी डिगा है!
हर क्षण खुद भी जल रहा!
ये कैसी फ़लसफ़ा है।
~
बड़ों के मान, सम्मान व
आदर से ही घर में बसती हैं खुशियाँ!
वरना दुसवारियां बढ़ा है।
~
माया का पर्दा ऐसा चढ़ा है!
जनानी के सामने नरवस खड़ा है!
ये कैसी फ़लसफ़ा है।
~
नई चेतना, नव युग है!
फूहड़ संस्कृति पर गर्व भी खुब है!
संतति गर्व से सीख भी रहा है।
~
ये कैसी फ़लसफ़ा है।
💥💥
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

💞💥💞💥💞💥💞


No comments:

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box.

ससुराल मायका बहू बेटी...

ससुराल मायका बहू बेटी... 🍁🍁   ससुराल मायका बहू बेटी! दोनों जहान आबाद करती। मायके से ट्यूशन गर लिया, दुखों का जाल बिछा लेती। जहां कभ...