कैसी तेरी फितरत रे मनवा!
शिकायते में तु आतुर रहती।
गजब तेरी अभिलाषा भी है!
शिकवा से खुशी तुझे मिलती।
कर तसल्ली अपने मन की!
कटूता हरदम ही बढ़ाई रहती।
तनिक समझती जो तु मन की!
तो हरदम मस्त दिखायी देती।
तुम जो कहती याद न रखती!
दूसरे की अक्षरसः याद कराती।
कैसी तेरी फितरत रे मनवा!
शिकायते में तु आतुर रहती।
याद जो रखती अपने मन की!
तो ही दूसरे की बात समझती।
पापिन है तेरी आदत ही ऐसी!
इतना क्यों फिर शातिर रहती।
दिखे बुराई तो खुश हो जाती!
प्रसारण तंत्र कैसे बन जाती।
सहज सरल बातों में भी तुम!
कुतर्क कर अनर्थ ही कर देती।
कैसी तेरी फितरत रे मनवा!
शिकायते में तु आतुर रहती।
😀😂
☆☆मन का अपना एक विचित्र स्वभाव है इसकी सोच; इसका भाव; इसकी खुशी का तरीका अजीबो गरीब सी है। मानव मन में नकारात्मकता विशेषतः देखने को मिलती है। इसी के परिप्रेक्ष्य में कविता के माध्यम से इंगित किया गया है जिसका निम्न भाव है:-
☆ "मन का स्वभाव उसकी सोच ऐसी है कि वह हमेशा शिकवा और शिकायत, बुराई व निन्दा में लगी रहती और ललाईत भी रहती। जब से किसी की शिकायत व बुराई किसी से न कर ले तब से उसे खुशी नहीं मिलती। शिकायत करने से खुशी का मिलना जाहिर है कटूता, झगड़ा व दुराव भी होना निश्चित ही है।
☆ मानव की एक विशेषता यह भी है कि अपनी कही हुई बातों को भूल जाता है और अपने द्वारा कही हुई बातों के प्रतिवाद में जो जवाब मिलता उसे अक्षरसः याद रखता है। जो मूल रूप से बुराई, दुराव व नफरत की जड़ है।
☆ "मन का स्वभाव उसकी सोच ऐसी है कि वह हमेशा शिकवा और शिकायत, बुराई व निन्दा में लगी रहती और ललाईत भी रहती। जब से किसी की शिकायत व बुराई किसी से न कर ले तब से उसे खुशी नहीं मिलती। शिकायत करने से खुशी का मिलना जाहिर है कटूता, झगड़ा व दुराव भी होना निश्चित ही है।
☆ मानव की एक विशेषता यह भी है कि अपनी कही हुई बातों को भूल जाता है और अपने द्वारा कही हुई बातों के प्रतिवाद में जो जवाब मिलता उसे अक्षरसः याद रखता है। जो मूल रूप से बुराई, दुराव व नफरत की जड़ है।
☆ यदि मानव अपने द्वारा कहे गए बातों पर गौर करे और उस पर चिन्तन करले तो मनमुटाव व दुराव जैसे शब्दों के लिए उसके जीवन में जगह ही न हो और आपस में सुखद समभाव हो।
☆ मानव मन को एक तरह का अभिशाप है कि वह बुरी बातों को बिना कहे, बिना आरोपित किए चैन से रह ही नहीं सकता और सरल से सरल सुक्ष्म बातों का कुतर्क व गलत विश्लेषण कर, आकलन कर अर्थ का अनर्थ भी कर देता")
💥💥
✒......धीरेन्द्र कुमार (हृदय वंदन)
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