Pages

Wednesday, 27 May 2020

💗चाहत संतान के खुशी का.......

चाहत संतान के खुशी का.......

💌
चाहत तेरी खुशी लिए हर गम पिता सहता!
दर्द अपने सीने का किसे ज़ाहिर नहीं करता।

रोशन हो तेरा जीवन दिन रात सोचा करता!
अंधरों से तभी तो दिन रात है पिता लड़ता।

जिम्मेदारियों के साथ मोहब्बत जो जुड़ी है!
बेचैन ही सदा रखती चैन से रहने नहीं देती।

ईश्वर ही एक सहारा जिसके सहारे जी रहा है!
कल की फ़िक्र छोड़कर वह आज जी रहा है।

कृपा बनाएं हे दाता उसे झूकने कभी न देना!
खुश रहें अपने सदा उसे टूटने कभी न देना।

सीने में दर्द अपने हम मोहब्बत में हैं छुपाए!
दर्द अपने सीने का उसे मालूम न पड़ जाए।

प्रार्थना है रब से कभी तुझको न ख़्याल आए!
चेहरे के पीछे ये मन कैसे किस से जूझता है।

पिता का कर्तव्य ऐसा ही सोच लिए है रहता!
अहमियत पिता की समय पर ही समझ आता।

चाहत तेरी खुशी का हर गम को पिता सहता!
दर्द अपने सीने का किसे ज़ाहिर नहीं करता।
💥
कविता का भाव :-
☆☆ हर प्रणी मात्र का अपने संतान से अद्भूत लगाव व स्नेह होता जो अतुलनीय व अकल्पनीय है। जब बात संतान की सुख का हो उसकी खुशी का पिता मन कभी बेबस व लाचार नहीं होता वह अपने क्षमता व सामर्थ्य से ज्यादा करने की चाहत रखता तथा कोई भी दुख व दर्द हो उसे अपने तक ही सीमित रखता है।
☆☆ एक पिता का अन्तर्मन हमेशा अपने पुत्र के सुख की कामना उसका भविष्य उज्ज्वल बने के निमित्त दिन रात अंधेरा रूपी समस्याओं से जुझता रहता है। अपने अन्तर्मन के दर्द को कभी सम्मूख संतान प्रकट नहीं होने देता और उस दर्द को मोहब्बत से बड़े ही प्यार व सहजता से अपने अंदर सीने में छुपाए रखता है।
☆☆   हर पिता की यही चाहत रहती कि संतान की खुशहाली व सुखी जीवन के पिछे पिता किन किन स्थितियों को से गुजरा है इसकी भी जानकारी अपने संतान को देना नहीं चाहता।
☆☆इस चेतन संसार में माता पिता ही ऐसे अनोखी शख्सियत है जो अपना सर्वश्य न्यौछावर बिना किसी स्वार्थ से अपने संतान पर करता है। 
❣❣
✒......धीरेन्द्र कुमार (हृदय वंदन)

No comments:

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box.

ससुराल मायका बहू बेटी...

ससुराल मायका बहू बेटी... 🍁🍁   ससुराल मायका बहू बेटी! दोनों जहान आबाद करती। मायके से ट्यूशन गर लिया, दुखों का जाल बिछा लेती। जहां कभ...