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Wednesday, 28 October 2020

सोच मतदाता....

सोच मतदाता.....
<👀>
मतदाता  समझदार  होता।
बस फरक इतना ही होता।।
जैसा  उसका  सोच  होता।
वैसे सोच को वोट करता।।

आदत  पीढ़ियों  से उसका।
इसको कैसे बदल वो देता।।
अगर  यदि  ऐसा  न  होता।
धर्म अधर्म से युद्ध न होता।।

पूजते  हैं लोग श्री राम को।
रावण को भी मानते लोग।।
बसते सोच  में  राम रावण।
बस फरक इतना ही होता।।

सही  गलत के  तौर तरीके।
सोच  के  ही आधार  होते।।
खुशियाँ  सोच से  ही होती।
दूखी  सोच  ही कर जाती।।

अपना सोच गलत न होता।
दोष  कमी औरों का देता।।
♨♨
✒....धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Tuesday, 27 October 2020

ऐसी है मानव की प्रवृत्ति...

ऐसी है मानव की प्रवृत्ति...
🍁🍁
आदत  बुरी हो  पर है अच्छी।
उसमें सुख मिलती है सच्ची।।

दर्द   बयां  अपने   कर   देते।
इससे क्या हासिल कर लेते।।

पुरानी बिमारी ईलाज लम्बी।
बिन  दर्द  आराम चाहें रद्दी।।

करिश्मा  कुछ ऐसा हो जाता।
बिना बदले सुख मिल जाता।।

बदलना न चाहे दर्द को झेले।
पीढ़ियों से आदत  हैं उनके।।

गलत  पे  सख्ती गंदी लगती।
आदत  मैली  जो थी अच्छी।।

आदत बुरी हो  पर है अच्छी।
उसमें सुख मिलती है सच्ची।।
♨♨
✒....धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव (हृदय वंदन)



Monday, 26 October 2020

किसका समर्थन करूँ...?

किसका समर्थन करूँ..?
♨♨
कश्मीर अपना परतंत्र किया,
अस्मिता  लूटी घर बार लूटा।
बेबस  पण्डितों  को  भगाया,
आतंक की  फैक्ट्री  चलाया।
मंदिर  मस्जिद  वोट भुनाया,
जनमानस  को मुर्ख बनाया।
बोलो किसका करूँ समर्थन..?

भूल  जाऊँ कार सेवक हत्या,
भूल जाऊँ चारा का घोटाला।
दलितों  की  थी  भी  मसीहा,
अमिरता  की  बनायी ठीहा।
बंगाली  दीदी का का छी छी,
रोहिंग्या  के   लिए  उछड़ती।
बोलो किसका करूँ समर्थन..?

विद्या  मंदिर जेएनयू प्रांगण,
राष्ट्र  विरोध में लगाया नारा।
खड़ा  हुआ  संग  में  बेचारा,
राजनीतिक  विशिष्ठ दुलारा।
पीढ़ियों  से  चहूओर   किया,
देश   खजाना   लूट   भिया।
काम किया, नहीं  ज्ञान हुआ,
हिन्दुत्व  मूल  नाश  में जुटा।
बोलो किसका करूँ समर्थन..?
♨♨
✒....धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव "धीर"



 




Saturday, 24 October 2020

ईमान का आधार.....

ईमान का आधार.....
🍁🍁
ईमान  का  नहीं  है आधार।
नेता  बदलो  पार्टी  बदलो।।
घर के हो गए मीटर खराब।
नेता  बदलो  पार्टी  बदलो।।

आलू  प्याज  भाव  चढ़ाव।
नेता  बदलो  पार्टी  बदलो।।
बुरायी   के  जनक  महान।
नेता  बदलो  पार्टी  बदलो।।

अच्छायी   के  दुश्मन सार।
नेता  बदलो  पार्टी  बदलो।।
शोर  मचा रहा  चोर तमाम।
नेता  बदलो  पार्टी  बदलो।।

आदत  इनकी  बड़ी करार।
फिरी के चाहत रखते यार।।
देश  के  गद्दारों   पर  वार।
करता अपना ही सरकार।।

चौबीस में फिर से सरकार।
चाहे प्याज हो दो सौ पार।।
चौबीस की बधाई है नाथ।
नेता  वही  पार्टी भी साथ।।
🍁🍁
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Wednesday, 21 October 2020

जागृत स्मृति....

जागृत स्मृति....
🍁🍁
इंसान की  यह  कैसी रीति।
देता  दर्द  जिससे  है प्रीति।।

दर्द किसी को जब हम देते।
दर्द कोई तब  हमें भी देता।।

स्वर्ग नर्क सब यहीं पे होता।
इंसा होकर समझ न पाता।।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Wednesday, 14 October 2020

समीकरण खूद के.....

समीकरण खूद के.....
🍁🍁
सुख जीवन तेरे दुख भी है।
खुद ही हम चुन लेते भी हैं।
सम्मान  तो अपमान भी है।
मोहब्बत भी नफ़रत भी है।
गालियां  हैं  आशीष भी है।
निज विवेक से  पाते भी हैं।

समझ इंसान  दिमाग भी है।
सुखदुख स्रोत जुबान भी है।

गलत सही को  जाने भी हैं।
कदर न  करने  वाले  भी हैं।
झून्ड  सही  के गलत भी हैं।
अपने झून्ड  में  खुश भी हैं।
जो जीवन  जीने तक भी हैं।
सभी राम  नाम  सत्य भी है।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Saturday, 10 October 2020

कोरोना Go....

कोरोना Go....

😎🍁
कोरोना बस अब तु डर, फितरत समझे तेरी।
न तुझसे अब डरे  कोई,  न  दाल  गले  तेरी।।

यमदूत बन आई यहाँ, चल तू निकल्ले चीन।
रौब तेरा न खौफ तेरा, अब समझ गये नीत।।

बहुत  मचायी  तबाही, डर  को ढ़ाल  बनाय।
खतम हुई तेरी कहानी, अब मरेय  मुँह बाय।।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Thursday, 8 October 2020

कोरोना कुच्छे जगह....

कोरोना कुच्छे जगह....
🍁🍁
चाट  फूलकी  के ठेला तक,
चलल बहिनन के रेला हव।
ईमली मर्चा भर झोर खवाई,
ऊहाँ   कोरोना   ना  भेटाई।

परहेज  करत घरही में सब,
बाहर   नाहीं  कोरोना  हव।
पत्नी बनल  सास  कोरोना,
करे गृह प्रवेश कच्चाईन हव।

कोरोना  मिले  कुच्छे जगह,
बाकी जगे ससुरि नाही हव।

दुआरे  जिद्द में नहवाई हव,
नरखा तुरंत कचरवाई  हव।
जर जाय नटई कढ़ा घोटाई,
कवनो  नाही सुनवायी हव।

जिनगी   सांसत   में   रहेला,
बहरे  से अदमी आईल हव।
सुकून  मिले  ओहके  एहमे,
काहे  जीव झौउवाईल  हव।
🍁🍁

✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Wednesday, 7 October 2020

मन की दशा....

मन की दशा....
🍁🍁
गलत सोच कर दुखी हो जाते,
सही  सोच में  हर्ज ही क्या है।

जो  दुख जीवन आये न आये;
उसे सोच के दिल क्यूँ दुखाये।

दुखी  मन  कर  दुख  में जीना,
अपने सुख को बाधित करना।

मन की  दशा  मक्खी के जैसी,
गंदगी  पर  ही  अटकी  रहती।

गलत  सोच   गलत  ही  करती,
बद् दिमाग  जीवन को डसती।

🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Monday, 5 October 2020

फितरत कंजूसी के.....


फितरत कंजूसी के.....
🍁🍁
चाह हमें सब मिल जाये है,
बिन किए के ख्वाब रखे हैं।

फितरत  तेरे  कंजूसी के हैं,
ठेस  दिलों  को पहुँचाते हैं।

दो  शब्द  लिखने  पढ़ने में,
बड़कपन  आती  आड़े  है।

तु  छोटा  है  हम तो बड़े हैं,
सोच  यहीं   फंस  जाते  है।

कर्तव्य  बड़े  नहीं  करते हैं,
उम्मीद  छोटों  से  रखते हैं।

संस्कार समझ  नहीं पाते हैं,
तभी  तो  मुँह  की  खाते हैं।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Sunday, 4 October 2020

देश के बोझ......


देश के बोझ....

🍁🍁 
धरती  माता  का  कर्ज  है,
फर्ज माँ समझता कौन है।

गोद में  ही  पलते बढ़ते हैं,
ज़हमते  माँ  देता  कौन है।

त्याग  ममता  की  देवी  है,
देवी उसे समझता कौन है।

जिन्दगी  जीते  अपनी  हैं,
माँ  तेरा  सोचता  कौन है।

अपने निवाले का फिक्र है,
फिक्र तेरा  करता कौन है।

अपना  कुछ  तो  कर्तव्य है,
कर्तव्य माँ निभाता कौन है।

ऐसे इंसान भी  धरती पर हैं,
बताओ  माँ  बोझ  कौन है।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Friday, 2 October 2020

समय के साथ चल...

समय के साथ चल...
🍁🍁
समय  का पहिया घूमे भैया,
कदम  बढ़ा  तु चलता चल।

कहने   वाले    कहते   रहेंगे,
बात  सुनो नहीं चलता चल।

कहने  सुनने  में  नहीं आना,
पकड़  सच्चाई  चलता चल।

जितना होता सोच जिसका,
उतना वह बोले चलता चल।

अल्लू  लल्लू  की  बातें सुन,
लक्ष्य रोक नहीं चलता चल।

समय  का पहिया घूमे भैया,
कदम  बढ़ा  तु चलता चल।

🍁🍁

✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

ससुराल मायका बहू बेटी...

ससुराल मायका बहू बेटी... 🍁🍁   ससुराल मायका बहू बेटी! दोनों जहान आबाद करती। मायके से ट्यूशन गर लिया, दुखों का जाल बिछा लेती। जहां कभ...