कोरोना कुच्छे जगह....
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चाट फूलकी के ठेला तक,
चलल बहिनन के रेला हव।
ईमली मर्चा भर झोर खवाई,
ऊहाँ कोरोना ना भेटाई।
परहेज करत घरही में सब,
बाहर नाहीं कोरोना हव।
पत्नी बनल सास कोरोना,
करे गृह प्रवेश कच्चाईन हव।
कोरोना मिले कुच्छे जगह,
बाकी जगे ससुरि नाही हव।
दुआरे जिद्द में नहवाई हव,
नरखा तुरंत कचरवाई हव।
जर जाय नटई कढ़ा घोटाई,
कवनो नाही सुनवायी हव।
जिनगी सांसत में रहेला,
बहरे से अदमी आईल हव।
सुकून मिले ओहके एहमे,
काहे जीव झौउवाईल हव।
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✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
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