जागृत स्मृति....
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इंसान की यह कैसी रीति।
देता दर्द जिससे है प्रीति।।
दर्द किसी को जब हम देते।
दर्द कोई तब हमें भी देता।।
स्वर्ग नर्क सब यहीं पे होता।
इंसा होकर समझ न पाता।।
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✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
स्वचिन्तन व मनन से हृदय की गहराईयों से उत्पन्न शब्दों को कविता व लेख से "My Heart" के माध्यम से सत्य, सार्थक, चेतनाप्रद, शिक्षाप्रद विचारों को सहृदय आपके के समक्ष प्रस्तुत करना हमारा ध्येय है। सहृदय आभार! धन्यवाद।
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