मन की दशा....
🍁🍁
गलत सोच कर दुखी हो जाते,
सही सोच में हर्ज ही क्या है।
जो दुख जीवन आये न आये;
उसे सोच के दिल क्यूँ दुखाये।
दुखी मन कर दुख में जीना,
अपने सुख को बाधित करना।
मन की दशा मक्खी के जैसी,
गंदगी पर ही अटकी रहती।
गलत सोच गलत ही करती,
बद् दिमाग जीवन को डसती।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
स्वचिन्तन व मनन से हृदय की गहराईयों से उत्पन्न शब्दों को कविता व लेख से "My Heart" के माध्यम से सत्य, सार्थक, चेतनाप्रद, शिक्षाप्रद विचारों को सहृदय आपके के समक्ष प्रस्तुत करना हमारा ध्येय है। सहृदय आभार! धन्यवाद।
Wednesday, 7 October 2020
मन की दशा....
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