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Tuesday, 27 October 2020

ऐसी है मानव की प्रवृत्ति...

ऐसी है मानव की प्रवृत्ति...
🍁🍁
आदत  बुरी हो  पर है अच्छी।
उसमें सुख मिलती है सच्ची।।

दर्द   बयां  अपने   कर   देते।
इससे क्या हासिल कर लेते।।

पुरानी बिमारी ईलाज लम्बी।
बिन  दर्द  आराम चाहें रद्दी।।

करिश्मा  कुछ ऐसा हो जाता।
बिना बदले सुख मिल जाता।।

बदलना न चाहे दर्द को झेले।
पीढ़ियों से आदत  हैं उनके।।

गलत  पे  सख्ती गंदी लगती।
आदत  मैली  जो थी अच्छी।।

आदत बुरी हो  पर है अच्छी।
उसमें सुख मिलती है सच्ची।।
♨♨
✒....धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव (हृदय वंदन)



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