समीकरण खूद के.....
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सुख जीवन तेरे दुख भी है।
खुद ही हम चुन लेते भी हैं।
सम्मान तो अपमान भी है।
मोहब्बत भी नफ़रत भी है।
गालियां हैं आशीष भी है।
निज विवेक से पाते भी हैं।
समझ इंसान दिमाग भी है।
सुखदुख स्रोत जुबान भी है।
गलत सही को जाने भी हैं।
कदर न करने वाले भी हैं।
झून्ड सही के गलत भी हैं।
अपने झून्ड में खुश भी हैं।
जो जीवन जीने तक भी हैं।
सभी राम नाम सत्य भी है।
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✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)
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