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ससुराल मायका बहू बेटी!
दोनों जहान आबाद करती।
मायके से ट्यूशन गर लिया,
दुखों का जाल बिछा लेती।
जहां कभी खुशहाली होती!
वहां जभी खींचातानी होती।
घर का माहौल बिगड़ जाता,
बस नासमझी नादानी होती।
बेटा, बेटा न रहा बट जाता!
अग्नि का जो फेरा हो जाता।
बन जाता पेंडुलम के सरीखा,
दोनों अलंग से बज जाता।
जीवन स्वस्थ्य सुखी के होते,
संस्कार समझदारी के होते।
बुद्धि विवेक से गर रहते तो,
दोनों जहान खुशियों के होते।
"धीर"
#हृदयवंदन