मुक्तक
🍁🍁उड़ान भावना का विधान पर न जाइए।
होगी जरूर गलती हमें आप बताइए।।
पेशे से वकील करोना ने बनाया कवि।
अबोध, आप दिग्गजों में समझ जाइए।।
जिन पर कृपा राम रघुराई,
पत्थर भी सागर में उतराई।
राम नाम जीवन का आधार,
भवसागर पार राम कराई।
प्रेम की धारा बहे दिल में।
चर्चा उनके होते महफिल में।।
सुन्दर मन विवेक उनके होते।
चहेते बन रहते हर दिल में।।
हिन्दुत्व का है सशक्त आधार।
सनातन संस्कृति व संस्कार।।
धरम करम से अगर कतराए।
खतम होगें हिन्दुत्व जनाधार।।
अच्छा बर्ताव में संकोच होता।
बुरा बर्ताव नि:संकोच होता।।
इंसान गलत आदत में रमा है।
सुकून उसी में संतोष होता।।
परिवार में खुशियां प्यार से है।
तकरार से नहीं त्याग से है।।
नहीं समझता इंसान इसको।
दूर त्याग और प्यार से है।।
चुभने लगे जब कोई किसी को,
लड़ने से अच्छा है दूरी कर लो।
तकरार रार से कुछ न मिलेगा,
सुख चैन अपनी खुशी हरेगा।
खुद में ही खुशियों का सादर,
दर दर भटके लेकर गागर।
इंसान का स्वभाव यही है,
जैसे कस्तूरी ढ़ूढ़े मृग बाहर।
राम को पूजा कृष्ण को पूजा,
आयी नवरात्रि माँ को पूजा।
अपनी जननी जनक उपेक्षित,
फल क्या देगा तुम को पूजा।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव"धीर"
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.