🤯"फैशन"🤯
फैशन बहुत जंजाल बड़ा है,
कपड़ों का आकाल पड़ा है।
हाल देखो अपने कुमारों का,
कटे फटे में भौकाल तड़ा है।
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फैशन का तो ऐसा लफड़ा है,
नंगा पन तन को जकड़ा है।
पश्चिमी सभ्यता के लपेट में,
देश सनातन जड़से उखड़ा है।
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फैशन में हर इंसान पड़ा है,
झुकने में स्वाभिमान अड़ा है।
छोटे कर दिए संबंधों के नाम,
गौरवान्वित बुद्धिमान तड़ा हैं।
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नमस्ते प्रणाम नहीं कहना है,
हेलो हाय बाय ही कहना है।
खत्म अदब लिहाज संस्कार,
फैशन में ये सब भी सहना है।
"धीर"
स्वचिन्तन व मनन से हृदय की गहराईयों से उत्पन्न शब्दों को कविता व लेख से "My Heart" के माध्यम से सत्य, सार्थक, चेतनाप्रद, शिक्षाप्रद विचारों को सहृदय आपके के समक्ष प्रस्तुत करना हमारा ध्येय है। सहृदय आभार! धन्यवाद।
Wednesday, 21 December 2022
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