योग दिवस....
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रखती सबकी निरोगी काया,
योग को जिसने अपनाया।
स्वस्थ सुखी समाज बनाती,
धन होने नहीं देती जाया।
चाहिए हमें गर रोगों से दूरी,
योग से करनी भक्ति पूरी।
खाया पिया सहज पचाया,
स्वस्थ पाचन से शक्ति पूरी।
आधुनिकता की माया अंधी,
मन तो मन करे काया गंदी।
श्रम शक्ति पर कर रही वार,
होत आलसी मानुष समाज।
योग जीवन सुख का आधार,
बच्चा बुढ़ा सब पाए लाभ।
स्वस्थ शरीर बने तेज दिमाग,
जन जन तभी बने खुशहाल।
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✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"