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Friday, 24 September 2021

कवि मन....

 कवि मन...

🍁🍁

न पूछो  कवि मन कहां कहां है,
पहुँचे  न रवि जहां वहां वहां है।
सुक्ष्म से सुक्ष्म  शिखर से ऊपर।
सोच न पाये कोई जहां जहां है।

न पूछो  कवि मन कहां कहां है,
पहुँचे  न रवि जहां वहां वहां है।

जीवन के अनछुए अनकहे पल,
शब्दों को सूत्र में  गढ़ता है पल।
अच्छाई सच्चाई और सुख दुख,
उजागर करता वो हर एक पल।

न पूछो  कवि मन कहां कहां है,
पहुँचे  न रवि जहां वहां वहां है।
🍁🍁
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

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