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Wednesday, 28 July 2021

सोच का फरक....

सोच का फरक....

🍁🍁
इंसान  का सोच जैसा रहता,
जीवन  उसका  वैसा  रहता।

सही और गलत सब अपना,
असर  उसी के  जैसा रहता।

"जाकी  रही   भावना  जैसी,
प्रभु  मूरत  देखी  तिन तैसी।"

रामायण  में  अपने लिखी है,
याद  रखिये  चौपाई  तुलसी।

जनम  मरण दाता का लेखा,
बना नहीं अमरता का लेखा।

जाना  एक दिन सभी को है,
काट न पाये  मौत का लेखा।

सोच  सदा  इस  बात का हो,
बात  सुन्दर सकारात्मक हो।

सुखद  जिन्दगी  का आधार,
संदेश अच्छा व काम का हो।
🍁🍁
✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

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