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Friday, 23 July 2021

मेरे मन की यह अभिलाषा...


मेरे मन की यह अभिलाषा......!!
🍁🍁
मेरे  मन की यह अभिलाषा।
सुखद सुंदर हो बोली भाषा।
प्यार जहाँ रहे खुशियाँ वहाँ।
जीव जन्तु मानस की भाषा।
मेरे  मन  की यह अभिलाषा.....!!

करते  त्याग आये बड़कपन।
सुख शांति भर जाये जीवन।
जीवन अपने सरल हो जाए।
सुख अपने घर आये आंगन।
मेरे  मन  की यह अभिलाषा.....!!

स्वस्थ सुखी समाज हो जाए।
प्यार मोहब्बत नाज हो जाए।
दुखी  जीवन  कोई भी न हो।
खुशियों के आगाज हो जाए।
मेरे  मन  की यह अभिलाषा.....!!

अकड़  गरूर के भाव न हो।
सुभाव सरल मन घाव न हो।
सहज  संबंध मधुर हो जाए।
विनम्रता  मन रहे ताव न हो।

मेरे  मन  की यह अभिलाषा.....!!
सुखद  सुंदर हो बोली भाषा।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

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