बरसे बदरी...
🌧🌧
बरसे बदरी भोरहरी से,
तर भयी मौसम सबही के।
ऐसी बारिस हो रही आज,
गोताए सबही घरही में।
प्रकृति जन खुश हैं आज,
जीव जगत सबको लाभ।
चाय पकौड़ा सांझ के बेला,
स्वाद मिले खाए के आज।
गर्मी से राहत मिल जाये,
ज्येष्ठ जोर लगा कर बरसे।
बाद आषाढ़ की आए बारी,
उहे सम्हारी खेत कियारी।
🌧🌧
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"
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