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Monday, 15 March 2021

क्या हो जाता....

क्या हो जाता गर हम खामोश रह जाते।

चंद लम्हों के रिश्तों में तम नहीं आते।

क्रोध प्रेम प्यार अपने गर समझ पाते।

कम से कम जीवन में सबके गम नहीं आते।

🙄

सत्य शाश्वत सत्य है जाएगा जो आया।

वक्त  का संतोष होता  दुख बेवक्त देता।

जिन्दगी  जिन्दादिली  संघर्ष  से  नाता।

क्रोध व नफरत इंसा के प्राण हर जाता।

🙄

क्या हो जाता हम अगर खामोश रह जाते..?

😣

धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"....✒

Sunday, 14 March 2021

बुढ़ापा बिमारी और ईलाज....

बुढ़ापा बिमारी और ईलाज....
❤❤
आ रहा है बुढ़ापा समस्या तमाम है,
बीपी  शुगर ब्लाकेज से परेशान है।

बीपी  सामान्य  हो  गिरे  न  चढ़ेगा,
दिल का ब्लाकेज कभी नहीं होगा।

मानो  न  मानो  समझो और जानो,
कुंवारे वाले  लफ़्ज प्रेमी सा बोलो।

दिल  दिमाग  मन फूंफकारे मारेगा,
कुलाचे मारे दिल ब्लाकेज खुलेगा।

दिल  की  बिमारी कभी नहीं होगा,
बीपी का नामो निशान नहीं होगा।

असर  जिस्म  के रोएं रोएं में होगा,
खुशी  मन  होगा  सुखी तन होगा।

निःशुल्क ईलाज है आदत में घोलो,
रुपये  पैसों  से  कभी  नहीं  तौलो।
❤❤

✒......धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

खर्राटा मच्छर पत्नी.....

खर्राटा मच्छर पत्नी.....
🙊
रात  मच्छर, पत्नी ने धुन छेड़ दी।
यार  सुबह हो गयी मेल्हते मेल्हते।

मच्छर  दूर हुआ फैन चालू किया।
झेल  तब  मैं गया धुन पत्नी चली।

खर्राटा  पत्नी  फर्राटा भरने लगी।
यार  सुबह हो गयी मेल्हते मेल्हते।

दुश्मनों  में  मेरी  रात  ऐसी फंसी।
रात  भर  नींद  मेरी  तड़पती रही।

जालिम  रात  के  दुश्मनी  साधते।
बेचारे  हम पति  कुछ कर न सके।

नींद लगती नहीं प्यास लगती बड़ी।
परेशां हो गए बाथरूम जाते आते।

वो  घड़घड़ाते  रहे  और  सोते रहे।
थक  गए  हम उठक बैठक करके।

मच्छरों का ईलाज जैसे तैसे बहुत।
खर्राटे  का  ईलाज  बताओ  कोई।
😀
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

Saturday, 13 March 2021

युवा जाए विदेश....

युवा जाए विदेश....
🍁🍁
गर्व  माता  पिता को, बेटा  रहता  विदेश  में।
जी  रहा  वो जिन्दगी, अपने  धुन  विदेश में।
हुयी  रिश्तों  की उम्र, आज रूपयों से छोटी।
दिल  से कौन सोचता, अपने  माँ  बाप  की।

गर्व  माता  पिता  का, दिल  से  पूछा  कभी।
कितना  पैसा  चाहिए, क्या   नहीं   देश   में।
टूट   जाते  छूट  जाते,  हो   जाते    खामोश।
बस   गये  अपने  दूर,  कोई   बुला  न  सके।

सोचता   स्नेह   वश,  बुलाने   में   खर्च   है।
जोड़   लेता  हिसाब,  उन्हें  बुलाए  तो  कैसे।
सोच  मैं  रूक  गया, मन  से  बोल न सका।
तब  गलत   हो  गया, उसको  दर्द  हो गया।

अजनबी   जहान   में,  गुम  नाम   जिन्दगी।
समझना   यार  यही,  जुड़ी  और  जिन्दगी।
रहना  अपने  देश में,  क्या   नहीं   देश   में।
रूपया  पैसा समाज, सब   अपने   देश  में।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

Wednesday, 3 March 2021

जीवन का वायरस....

जीवन का वायरस....
🦀🦀
कमियों को वायरस समझना,
अपने मन मस्तिष्क न रखना।

खुशियों का दुश्मन यह होता,
जीवन को बर्बाद नहीं करना।

मन  अपना   एक्टिव  रखना,
एन्टी  वायरस  इसे समझना।

मन  स्वस्थ  तो  पंगू  वायरस,
मन कमजोर अपने न करना।

कमियाँ  चाहे जिस किसी की,
हमेशा  याद  नहीं  करने  की।

🦀🦀
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

ससुराल मायका बहू बेटी...

ससुराल मायका बहू बेटी... 🍁🍁   ससुराल मायका बहू बेटी! दोनों जहान आबाद करती। मायके से ट्यूशन गर लिया, दुखों का जाल बिछा लेती। जहां कभ...