क्या हो जाता गर हम खामोश रह जाते।
चंद लम्हों के रिश्तों में तम नहीं आते।
क्रोध प्रेम प्यार अपने गर समझ पाते।
कम से कम जीवन में सबके गम नहीं आते।
🙄
सत्य शाश्वत सत्य है जाएगा जो आया।
वक्त का संतोष होता दुख बेवक्त देता।
जिन्दगी जिन्दादिली संघर्ष से नाता।
क्रोध व नफरत इंसा के प्राण हर जाता।
🙄
क्या हो जाता हम अगर खामोश रह जाते..?
😣
धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"....✒