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Monday, 28 December 2020

2020 तुझे अलविदा...


2020 तुझे अलविदा...
🍁🍁
बुरा  रहा  20 तुझे अलविदा।
परेशान इंसान तुझसे खफा।।

तेरे  जाने  का  गम  हमें नहीं।
तुम जा रहे  खुशी कम नहीं।।

इतिहास  में  दर्ज तुभी रहेगा।
तुझे  याद कर जहां कोसेगा।।

बर्बाद  मंजर   ऐसा   बनाया।
भूलेगा नहीं किस्सा बनाया।।

सुख  दुख जीवन का हिस्सा।
ऐसी तबाही से न रहे रिश्ता।।

20 अलविदा स्वागत 21 का।
सुख  समृद्ध  नूतन  वर्ष का।।

शुभकामना   बधाई   हमारा।
जीवन  स्वस्थ   बने   प्यारा।।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव(हृदय वंदन)

Sunday, 27 December 2020

ग़ज़ल

ग़ज़ल
🍁🍁
मोहब्बत के धन्धे में, कभी  हम न टूटते।
मोहब्बत के बदले, मोहब्बत जो मिलते।।

इबादत  करते  थे, इसी  आस  पर  हम।
कभी  तो सुध लेंगे,  मेरे  हाल  पर  वो।।

इबादत  के  बदले में, मोहब्बत  जताते।
हम  साथ  तेरे  हैं, यही  प्यार से कहते।।

मतलब  के   रिश्ते,  मतलब   से  रखते।
तुम  ऐसा  न  करते, कड़े  मन  न होते।।

रिश्ते  तो  सब  हैं, पर  मोहब्बत नहीं है।
मिलते  सभी  हैं, पर  मिलते न दिल है।।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव(हृदय वंदन)

Tuesday, 22 December 2020

खट्टी मिठी जिन्दगी...

खट्टी मिठी जिन्दगी...
🍁🍁
जीवन  की  बातें खट्टी मिठी।
जीवन  से  सब  जुड़ी होती।।

कभी  सुख कभी दुख होती।
रीत यही नियति यही होती।।

रात  के  बाद ही सुबह होती।
सुबह  अटल  निश्चित होती।।

धैर्य  रखते  विचलित न होते।
मुश्किल  वक्त  सहज  होते।।

अधीर  होते  तकलीफ बढ़ते।
मुश्किल  और  कठीन होते।।

नया  नहीं  कहता 'फक्कड़'।
जीवन  में सबके यही होती।।
🍁🍁
✒.....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Saturday, 5 December 2020

खनक ठनक.....


खनक ठनक.....
🍁🍁
खनखना के  कैसे बर्तन,
संग एक  रह लेते।
देते  सुन्दर  सीख अपने,
हम  समझ  पाते।।

टकराहट  कभी न कहते,
वो  दूर  अपनों  से।
मालूम उनको साथ रहना, 
ता उम्र संग अपने।।
 
कह  दिए  जो दूर अपने,
होते  दूर  अपनों से।
बस  यही  समझने  होते,
समझ न हम पाते।।

खनखना के  कैसे बर्तन,
संग एक रह लेते।
देते  सुन्दर  सीख  अपने,
हम  समझ  पाते।।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

Friday, 4 December 2020

क्या हो जाता हम अगर

क्या हो जाता हम अगर
🍁🍁
क्या हो जाता हम अगर
खामोश   रह    जाते।
चंद लम्हो के रिश्तों में,
कभी  तम नहीं आते।

क्रोध और प्यार अपने,
पहचान   अगर  पाते।
कम से कम जीवन में,
अपने गम नहीं आते।

क्या हो जाता हम अगर
खामोश रह जाते.....

क्या हो जाता झूठ ही,
तारीफ  क ह  जा ते।
तेरी  मेरी  जान्दगी में,
फिर  गम  नहीं आते।

जिन्दगी  ईश्वर  नवाजे,
दे सौगात  खुशियों के।
तम आते न  गम आते,
खिदमत जो हम करते।

क्या हो जाता हम अगर
खामोश रह जाते.....

क्या हो जाता हिस्से के
रो टी      उ से     दे ते।
कम  से कम अपनों में,
रोज   द्वंद्व  नहीं   होते।

क्या हो जाता हम अगर
खामोश रह जाते.....
ते रे   मे रे   रिश्तों  में,
कभी गम नहीं आते।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

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