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Saturday, 5 December 2020

खनक ठनक.....


खनक ठनक.....
🍁🍁
खनखना के  कैसे बर्तन,
संग एक  रह लेते।
देते  सुन्दर  सीख अपने,
हम  समझ  पाते।।

टकराहट  कभी न कहते,
वो  दूर  अपनों  से।
मालूम उनको साथ रहना, 
ता उम्र संग अपने।।
 
कह  दिए  जो दूर अपने,
होते  दूर  अपनों से।
बस  यही  समझने  होते,
समझ न हम पाते।।

खनखना के  कैसे बर्तन,
संग एक रह लेते।
देते  सुन्दर  सीख  अपने,
हम  समझ  पाते।।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

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