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Sunday, 6 September 2020

ससुराल मायका बहू बेटी,

🍁🍁
ससुराल मायका बहू  बेटी,
दोनों जहाँ  आबाद करती।

बेटी ट्यूशन मायके से लेती,
ससुराली दुश्मन बना लेती।

घर में ही बेटा पराया होता,
रौनक  ख़ामोश  हो जाता।

आए  नजर  अपने  दुश्मन,
दुश्मन  सरीखा भाव होता।

ससुराल मायका बहू बेटी...

जो अपने संग खुश रहते थे,
सबके  सब  अब दुख में हैं।

माँ  को  सब  सह  जाते  हैं,
सासू माँ को सह नहीं पाते।

जिसने भी  विरोध  किया है,
अदालत तक पहुँच जाता है।

जिसे मतलब फेरों का न हो,
तलाक की  डिग्री  ले आता।

संस्कार समझदारी के  होते,
ससुराल मायका सुखी होते।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)

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