Pages

Saturday, 26 September 2020

बचपन की यादें....

बचपन की यादें....
🍁🍁
बचपन  की   हरेक  यादें
बहुत  अच्छी   होती  थी
धूल   से   सनी  जिन्दगी
बड़ी   सच्ची   होती  थी
क्या दौर क्या जीवन था
अजादी थी अजाद रहा।
                  दुलारे    बाबा   दादी   के
                  माता पिता के धड़कन थे
                  चाचा  चाची   के  लाडले
                  नाना नानी के शरारती थे
                  मिलजुल  संग साथ रहते
                  जीवन सुखमय अपने थे।
दिन बचपन अच्छा था
प्यारा  बहुत  सच्चा था
सुन्दर  वो   संसार  था।
माता पिता, बाबा दादी
चाचा चाची, भाई बहन
संग  सुखी परिवार था।
                 मारपिट  लड़ाई   झगड़ा
                 गुत्थम  गुत्था  होता  था
                 शाम होते भूल जाता था
                 संग  सभी  सो जाता था
                 एक  दूसरे के साथ बिना
                 रह  भी  नहीं  पाता  था।
खाने  पीने के सामान में
जब  हेरा फेरी होता था।
मेरा  कम है  तेरा ज्यादा
बहस  जुबानी  होता था
माँ डांटे  चाहे डाटे बाबा
दिल पर नहीं लगता था।
                क्या  दौर क्या जीवन था
                अजादी  थी अजाद रहा।
                आंगन आंगन घूमा करते
                खुशियां  सब  बाट आते।
सपना  अपना दौर हुआ
आज बचपन डरा हुआ।
                बचपन  की   हरेक  यादें
                बहुत  अच्छी   होती  थी।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

No comments:

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box.

ससुराल मायका बहू बेटी...

ससुराल मायका बहू बेटी... 🍁🍁   ससुराल मायका बहू बेटी! दोनों जहान आबाद करती। मायके से ट्यूशन गर लिया, दुखों का जाल बिछा लेती। जहां कभ...