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Saturday, 12 September 2020

दिल और आईना....

दिल और आईना....

🍁🍁
दिल  और आईना मेरा,
मस्त  खुश  करीब  था।

बिम्ब व प्रतिबिम्ब जैसे,
एक  दूसरे  के  सामने।

हंसी  खुशी  में  रहते थे,
कभी दूर  न  तनहा रहे।

एक  दूजे  को निहारते,
खुशी  से  दिन  काटते।

प्यार की हर एक बातें,
प्यार  से   हम  बाटते।

प्यार   में  दगा  मिला,
असर इस कदर हुआ।

गम  का  धूल  पड़ गई,
खुशियां धुंधली हो गई।

खामोश दिल व आईना,
तनहा   मेरा   हो  गया।

हो  गए  अजनबी दोनों,
दिल  और आईना मेरा।

दिल  और आईना मेरा,
मस्त  खुश  करीब  था।
🍁🍁

✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)


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