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Thursday, 10 September 2020

विवश है जन्मदाता.....

विवश है जन्मदाता.....

🍁🍁
जिन्दगी बिच्छू प्रजाति,
हो   रहा   इंसान   का।
चूसते  हैं   खून   अपने,
अपने  ही  माँ बाप का।

राह जिनके खुशियाँ हो,
वो   पसीना   बहा  रहे।
छाया  दुख की  ना  हो,
आशिया  वो  बना  रहे।

कर  रहें   हैं   दादागिरी,
अपने  ही  माँ  बाप से।
प्यार में  विवशता ऐसी,
खामोश  हैं नादान  से।

कैसे  कैसे  जुर्म  करता,
अपने  ही  माँ  बाप  से।
झेलते   हैं   जुर्म   सारे,
विवश होके नादान का।

चोट दिल को  दे रहा है,
मोह   की   ये   बेड़ियां।
बन   रहा  है  बाप  बेटा,
अपने  ही  माँ  बाप का।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव (हृदय वंदन)




  

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