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Monday, 27 July 2020

प्यार भी कश्मकश...

प्यार भी कश्मकश...
🍁🍁
मुझ  से  तुम  प्यार  करते हो,
क्यों  साथ मेरे नहीं आते हो।
कुछ  तो  मन  में  तेरे दुविधा,
पर  कहने  से  डरते क्यों हो।
            प्यार का मतलब क्या समझें,
            पास  होकर  क्यों  दूर लगते।
            ऐसे   तो   तुम  जी सकते हो,
            अपना  जीना  मुश्किल होते।
बेरूखी   तड़पाती  दिल  को,
रूसवाई  खतम  तो कर लो।
मन  मुटाव क्यों  खींचा तानी,
अब तो अपने  हल  कर  लो।
            दुख  दुविधा में दम घूटता है,
            महसूस तुमको नहीं होता है।
            मुश्किलों  में जीने से अच्छा,
            सुखी जीवन सहज होता है।
वाकई  प्यार  अगर  करते हो,
कश्मकश  में  क्यों  रहते  हो।
सांसों  की  डोर जब न चटके,
दुखी  जीवन  क्यों  करते हो।
            प्यार में गर कश्मकश होती,
            खुशहाल जीवन नहीं होती।
            तोड़ देते मन दुविधा अपना,
            खुशगवार  जीवन तो होती।
🍁🍁
✒....धीरेन्द्र श्रीवास्तव "धीर"

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